48 हजार हेक्टेयर दायरा....58 बीट....14 ब्लाॅक और वाहन सिर्फ एक ddnewsportal.com

48 हजार हेक्टेयर दायरा....58 बीट....14 ब्लाॅक और वाहन सिर्फ एक ddnewsportal.com

खास खबर

48 हजार हेक्टेयर दायरा....58 बीट....14 ब्लाॅक और वाहन सिर्फ एक

सीमांत वन मंडल पांवटा साहिब मे करोड़ों की वन संपदा की रखवाली करने वालों के पास नही गाड़ियां

वन विभाग के कर्मी सुविधाओं के अभाव मे कर रहे जंगलों की सुरक्षा, न हथियार न ही वाहन। खनन, शराब और वन माफिया हावी।

प्रदेश मे करोड़ों-अरबों रुपए की वन संपदा की रक्षा राम भरोसे ही है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योकि इन वनों की सुरक्षा का जिम्मा जिस वन विभाग के पास है उनके पास न तो वनों की सुरक्षा करने के लिए हथियार है और न ही पेट्रोलिंग के लिए वाहन। सुविधाओं के अभाव मे बेशकीमती वनों की सुरक्षा की उम्मीद रखना ऐसे मे बेमानी ही है। जानकारी के मुताबिक प्रदेश मे वन विभाग सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। यही हाल प्रदेश के सीमांत वन मंडल पांवटा साहिब का भी है। यहां पर वन मंडल पांवटा के तहत पड़ने वाले चार वन रेंज मे पेट्रोलिंग के लिए केवल एक सरकारी वाहन की सुविधा है। सिर्फ मंडल कार्यालय मे डीएफओं के पास एक सरकारी वाहन है। हालांकि विभाग ने पेट्रोलिंग के लिए एक वाहन की स्वीकृति दी है, जिसे हायर कर काम चलाया जा रहा है। अधिकांश स्थानों पर जब अधिकारियों को जंगलों मे निरिक्षण के लिए जाना पड़ता है तो उन्हे किराए पर गाड़ियां लेनी पड़ती है। पकड़ी गई लकड़ियों के लिए भी किराए की गाड़ी मंगवानी पड़ती है। बिना हथियारों के तो पहले ही वनो की सुरक्षा करने वाले कर्मी है। साथ ही जंगलों मे पेट्रोलिंग के लिए वाहन की कमी भी विभाग को खल रही है। पांवटा वन मंडल के तहत चार वन रेंज आते हैं। जिसमे पांवटा साहिब, माजरा, भंगानी व गिरिनगर वन रेंज है। पूरे पांवटा को 14 ब्लाॅक मे बांटा गया है। जिसमे 58 बीट है। पांवटा वन मंडल का दायरा करीब 48 हजार हेक्टेयर मे फैला हुआ है जो काफी विस्तृत है। यही नही, यह वन मंडल सीमांत है और उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमाओं को छूंता है। ऐसे मे यहां पर इंटर स्टेट वन माफिया भी काफी सक्रिय रहते हैं। यहां पर ज्यादातर साल और खैर की बेशकीमती लकड़ियों के घने जंगल है। इसके साथ ही पांवटा के जंगलों को अवैध शराब बनाने वालों ने भी अपना ठिकाना बनाया हुआ है। और नदियों के किनारे वन भूमि पर खनन माफिया भी सक्रिय रहते हैं। ऐसे मे सुविधाओं के अभाव मे वन विभाग कितना कार्य कर सकता है। इसका अंदाजा स्वयं ही लगाया जा सकता है। जानकारों की माने तो यदि पांवटा वन मंडल के तहत आने वाली करोड़ों रुपए की वन व खनिज संपदा की सही ढंग से हिफाजत करनी हो तो विभागीय कर्मियों को सुविधाएं देनी पड़ेगी। सरकार को यहां पर हर रेंज मे एक एक वाहन समेत फाॅरेस्ट गार्ड़ व कर्मियों को हथियारों से लेस करना होगा तभी वन माफियाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है। उधर इस बारे वन मंडल पांवटा के डीएफओ कुनाल अंग्रिष ने बताया कि पांवटा वन मंडल सीमांत होने के कारण संवेदनशील है। इसलिए यहां पर सरकार व

विभाग से जरुरी सुविधाओं को मुहैया करने की मांग की गई है। उन्होने बताया कि पिछले वर्ष से हालांकि सीमांत मंडल मे एक गाड़ी किराये पर लेने को बजट दिया जा रहा है। वहीं इस बारे पांवटा साहिब के विधायक व ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने बताया कि वह वन मंत्री राकेश पठानिया से इस बारे बात कर पांवटा वन मंडल मे जरुरी सुविधाएं प्रदान करने की मांग करेंगे। हालांकि जिन फोरेस्ट गार्ड़ ने हथियारों के लिए आदेवन किया है उन्हे कुछ सब्सिडी पर हथियार मुहैया करवाये जा रहे हैं।