गांव के सही विकास मे पंचायत प्रधान का अहम रोल ddnewsportal.com

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फोटो: कुंदन सिंह शास्त्री, सामाजिक कार्यकर्ता।

गांव के सही विकास मे पंचायत प्रधान का अहम रोल

सामाजिक कार्यकर्ता कुंदन सिंह शास्त्री ने पंचायत चुनावों को लेकर सामने रखे अमूल्य विचार, सही प्रत्याशी चुनेंगे तो पांच साल मे पंचायत छूएंगी विकास ने नये आयाम

हिमाचल प्रदेश मे पंचायत चुनाव के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है। जनवरी माह मे चुनाव भी होने हैं लेकिन यह चुनाव प्रत्याशी की खूबी को कम और पार्टी और लेन-देन, लोटा-नूण और खान-पान के मामलों को ज्यादा उजागर करती है। ऐसे मे समाज के बुद्धिजीवियों का भी दायित्व है कि वह मतदाताओं को सही राह दिखायें और उन्हे विकास को तरजीह देने और रचनात्मक दृष्टिकोण के प्रत्याशी को आगे लाने का मौका देने के लिए प्रोत्साहित करें। इसी कड़ी मे गिरिपार क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता कुंदन सिंह शास्त्री ने भी अपने निजी विचार व्यक्त किये हैं। उन्होंने सोशल मीडिया मे अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा है कि आजकल हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव की दृष्टि से लोगों में प्रतिनिधि बनने या बनाने की उत्सुकता बढ़ती जा रही है और बढ़नी भी चाहिए। लेकिन जनता को एक सवाल पर समय रहते गम्भीरता से चिंतन मनन भी करना चाहिए कि हमारे चुने जाने वाले प्रतिनिधि में किन गुणों का होना जरूरी है? ध्यान रहे गांव में सही विकास की दृष्टि से एक पंचायत प्रतिनिधि विधायक और सांसद से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है। एक शिक्षित, ईमानदार, साहसी, दूरदर्शी, मधुर व्यवहार, निष्पक्ष, न्यायप्रिय और हमेशा अपने लोगों के बीच रहने वाले व्यक्ति ही अपने गांव पंचायत को आदर्श बनाने में सक्षम हो सकते हैं। राजनीतिक दखलंदाजी और ठेकेदारी मानसिकता ने गांव-पंचायतों के सही विकास में बाधा पहुंचाने के साथ जनता में आपसी सदभाव और भाईचारा बिगाड़ने का ही काम किया है इसलिए अपना प्रतिनिधि चुनते समय राजनीति नहीं सामाजिक सद्भाव और सही विकास को ही प्राथमिकता देनी चाहिए। अब क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार से विकास कार्यों के लिए मिलने वाली धनराशि सीधे तौर पर पंचायत के खाते में जमा होती है। जिसमें पहले की तरह राजनेताओं की कोई दखलंदाजी नहीं हो सकती इसलिए पंचायत प्रतिनिधि को पद के नाते किसी राजनेता या पार्टी का पिछलग्गू बनना या बनाना कतई भी उचित नहीं है। बेशक उसकी व्यक्तिगत राजनीतिक विचारधारा कहीं भी जुड़ी हो सकती है। अनुभव में आया है कि जहां पंचायतों में योग्य और ईमानदार प्रतिनिधि नहीं चुने जाते वहां सरकारी कर्मचारी ही हावी रहते हैं और कमीशनखोरी के चलते बजट का दुरुपयोग होने से विकास कार्य भी अच्छे स्तर के नहीं हो पाते तथा पात्र लोगों को भी उनका हक नहीं मिल पाता, बीपीएल में सम्पन्न लोगों के चयन की शिकायतें इसका जीता जागता प्रमाण है। गांव की भोली-भाली जनता को मांस मदिरा या धन का लालच देकर चुनाव जीतने वाले प्रतिनिधि कभी भी ईमानदारी से काम नहीं कर सकते इसलिए जनता को भी चाहिए कि इन कुरीतियों को पहले ही नकारें और झांसे में ना आएं। अक्सर देखा गया है कि सस्ती राजनीति करने वाले नेता भी यही चाहते हैं कि योग्य और निष्पक्ष लोगों की बजाय उनके पिछलग्गू व्यक्ति ही पंचायतों में चुने जाएं ताकि उनकी राजनीति भी आसान हो जाए लेकिन जागरूक और समझदार जनता को इस कुचक्र से बचना ही चाहिए। यद्यपि पंचायतों में आरक्षण के लिए जारी किया गया रोस्टर समझ से परे है क्योंकि अनेक पंचायतें लगातार

तीसरी चौथी बार आरक्षण में गई हैं। जिसकी वहां की जनता में काफी हैरानी और नाराजगी भी है। फिर भी सभी वर्गों में अब सक्षम उम्मीदवारों की कमी नहीं है। इसलिए पांच वर्ष बाद मिलने वाले इस सुनहरी अवसर पर सभी स्तरों में यथा सम्भव सर्वसहमति से अथवा चुनाव की स्थति में सद्भावपूर्ण माहौल में मतदान के द्वारा शिक्षित ईमानदार समझदार जिम्मेदार न्यायप्रिय और अपने लोगों के बीच में ही रहने वाले व्यक्ति को ही चुनने का सार्थक प्रयास करें ताकि बाद में पछतावा ना हो। इसी में गांव समाज की भलाई है।