पांवटा मे कृषि कानून पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन ddnewsportal.com

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पांवटा मे कृषि कानून पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन

फाईट फाॅर फार्मर राईट ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेज संसद के दोनो सत्र बुलाने की उठाई मांग, किसान सभा ने भी जमकर नारेबाजी, फूंके केंद्र सरकार के पुतले

पांवटा साहिब के यमुना बाल पार्क मे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष मौन धारण करने के बाद पांवटा साहिब के किसानों ने केंद्र सरकार के

खिलाफ प्रदर्शन करते हुए पुतला फूंका। यह प्रदर्शन नये कृषि कानूनों के खिलाफ तथा दिल्ली मे आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन मे किया गया। इसके बाद एसडीएम के मार्फत देश के महामहिम राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भेजकर संसद के दोनो सत्र बुलाने की मांग की गई। और नये कृषि कानून को निरस्त करने की भी मांग की गई। जानकारी के मुताबिक शनिवार को दर्जनो किसान यमुना बाल पार्क मे इकट्ठे हुए। यहाँ पर एक गैर राजनीतिक किसानों की संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया गया। जिसमें अनिंद्र सिंह नॉटी को संयोजक तथा डॉ नरेश चौधरी, जगदीश चौधरी, कैप्टन शिवराम, प्रदीप सिंह बंगा, गुरजीत सिंह नंबरदार, चरणजीत सिंह जैलदार, गुलजार सिंह, इंद्रजीत सिंह, एडवोकेट चरणजीत सिंह जैलदार, जोगिंदर सिंह चौधरी, कमल सिंह चौधरी, सतविंदर सिंह बिट्टू, दिलबाग सिंह नंबरदार, प्रीतपाल सिंह, बहादुर सिंह, मंजूर अली, बलराज कश्यप, अमृतपाल सिंह ठाकुर, यशपाल, कुलदीप सिंह, मोहम्मद अयूब, राजेंद्र तोमर, नजीर अली को कार्यकारिणी सदस्य चुना गया। इस कमेटी का नाम फाईट फाॅर फार्मर राईट रखा गया। यह कमेटी आने वाले समय में इस किसान आंदोलन में पांवटा साहिब क्षेत्र की क्या भागीदारी रहेगी और क्या उचित कदम उठाए जाएंगे, इसके निर्णय लेगी तथा इसके बाद भी किसानों की बेहतरी के लिए यह कमेटी अपना कार्य करती रहेगी।
  वहीं, इसके साथ साथ हिमाचल किसान सभा पांवटा साहिब तहसील कमेटी

ने भी कृषि कानून के विरूद्ध प्रदर्शन किया। पहले सभा ने मासिक बैठक की जिसकी अध्यक्षता सभा अध्यक्ष ओम प्रकाश चौधरी ने की। इस बैठक मे जिला सचिव गुरविंद्र सिंह विशेष रूप से मौजूद रहे। बैठक के बाद केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। किसान सभा के पदाधिकारियों ने कहा कि यह काला कानून है जिसमे किसान की जमीन को अंबानी अदानी को बेचने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। इसके बाद सभा ने क्षेत्र मे कईं स्थानों पर केंद्र सरकार के पुतले फूंककर इस कानून का विरोध किया।