शनिवार को पूरे देश मे मनाया जा रहा दीपों का पर्व दीपावली ddnewsportal.com

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प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं कमलकांत सेमवाल

सांय 05ः28 बजे से 07:24 बजे तक दीवाली पूजा का विशेष मुर्हत

शनिवार को पूरे देश मे मनाया जा रहा है दीपों का पर्व दीपावली

सचिन ओबराॅय/ सिरमौर

जिला सिरमौर के प्रसिद्व ज्योतिषाचार्य पं कमलकांत सेमवाल ने बताया है कि

इस बार शनिवार 14 नवम्बर को दीवाली का पर्व पूरे देश मे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। उन्होने बताया कि पर्व पर लक्ष्मी पूजन के वैसे तो दिनभर लग्न के हिसाब से कईं मुर्हुत है लेकिन मुख्य रुप से गृहस्थ लोगों के लिए प्रदोष काल का पूजा के लिए विशिष्ट मुर्हुत सांय 5ः28 बजे से शाम 07:24 बजे तक है। पं कमलकांत का कहना है कि दीपावली हिन्दु धर्म का मुख्य पर्व है। रोशनी का पर्व दीवाली कार्तिक अमावस्या के दिन मनाई जाती है। मान्यता है कि दीपों से सजी इस रात में मां लक्ष्मी जी भ्रमण के लिए निकलती है और अपने भक्तों को खुशियां बांटती है। दीपावली का पावन पर्व इस बार 14 नवम्बर को मनाया जा रहा है। दीवाली भगवान श्रीराम के लंका पर विजयी के पश्चात अयोध्या लौटने की खुशी मे मनाई जाती है। इस मौके पर लोग घर मे घी के दिए जलाते है और इस त्यौहार का खूब आनद लेते है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। दीपावली के दिन दीपदान का विशेष महत्व है। नारद पुराण के अनुसार इस दिन मन्दिर, घर, नदी, बगीचे, वृक्ष, गौषाला और बाजार में दीपदान देना शुभ माना जाता है। इस दिन जो कोई श्रद्वापूर्वक मां लक्ष्मी की पूजा करता है। उसके घर कभी दरिद्रता का वास नही होता। दीपावली के दिन घर में चौमुखा दीपक रात को अवश्य प्रदीप्त होना चाहिए।

पूजा विधि-

मां लक्ष्मी से पूर्व गणेश जी की पूजा करें उसके बाद मां लक्ष्मी, सरस्वती,

कुबेर, कमल, दवात की पूजा करें। बही खातों की भी पूजा करें। मां लक्ष्मी की मूर्ति गणेश जी के दाईं और रखें। एक कलश स्थापित करें। कलश को चावलों की ढेरी पर स्थापित करें। दो बडे दीपक रखें। एक दीपक तेल का और एक दीपक घी का प्रज्वलित करें। कलश की तरफ चावलों से नौ ढेरियां नवग्रह के रूप में बनाएं। गणेश जी के सामने चावलों से 6 ढेरियां षोडश मातिृका के रूप में बनाए एवं स्वास्तिक का चिन्ह भी बनाएं। चौकी के सामने तीन थाली जिसमें खील, पताशे, मेवे इत्यादि रखें। जलभर कर कलश रखें। धनतेरस पर जो पात्र खरीदा हैं उसमें अन्न भर कर रखें।

मां लक्ष्मी के प्रिय-

मां लक्ष्मी को पूजा में कमल के फूल व गुलाब प्रिय है। फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार, सिंघाडे प्रिय है। सुगंध में केवडा, गुलाब, जल, चन्दन व

पित्र प्रिय है। अनाज में चावल, मिठाई में केसर की मिठाई हलवा। दीपक प्रकाश के लिए गाय का घी, मुंगफली या तिल का तेल इनको शीघ्र प्रसन्न करता है। गन्ना, रबडी, हल्दी, कमल गठ्ठा, बिलपन्न आदि भी इन्हे प्रिय है। स्कन्द पुराण के अनुसार कार्तिक अमावसया को प्रातः स्नान कर सभी देवताओं की पूजा करनी चााहिए।

ये है पूजन का शुभ समय-

दीपावली का पर्व शुभ पर्व है। इस दिन लक्ष्मी, गणेश, कुबेर व इंद्र देव की पूजा करनी चाहिये। प्रदोष काल मे पूजा का शुभ विधान है, अतः इस समय की गयी पूजा सभी मनोरथो को पूरा करती है। गृहस्थ के लिए पूजा का शुभ समय सायं 5ः28 बजे से शाम 7 बजकर 24 मिनट तक है। सभी गृहस्थ इस शुभ मुहूर्त मे पूजा करें। प0 सेमवाल ने बताया कि गृहस्थ लोगों को प्रदोष काल मे ही पूजा करनी चाहिए जो इस बार 1 घण्टे 56 मिनट तक है। हालांकि दिवाली के दिन पूजा के अन्य मुर्हुत भी हैं लेकिन गृहस्थ लोगों के लिए पूजा का अति विशिष्ट समय उपरोक्त ही है।