Himachal News: पर्वतारोही बलजीत कौर ने सुनाई संघर्ष की दास्तां ddnewsportal.com

Himachal News: पर्वतारोही बलजीत कौर ने सुनाई संघर्ष की दास्तां ddnewsportal.com
सोलन: पर्वतारोही बलजीत कौर अपनी मां से मिलकर भावुक होती हुई।

Himachal News: पर्वतारोही बलजीत कौर ने सुनाई दास्तान 

मौत को मात देकर घर पंहुची पर्वतारोही ने बताया मौत से लड़ने का एक एक पल, हौंसला बुलंद...

वह समय कौन भूल सकता है जब देश और विश्व के बड़े समाचार चैनलों एजेंसी ने नेपाल मीडिया के हवाले से खबर दी थी कि अन्नपूर्णा पीक पर चढ़ाई करते हुए हिमाचल की पर्वतारोही बलजीत कौर नही रही, लेकिन चंद घंटो में जो सुखद खबर आई उसने बता दिया कि होंसला बुलंद हो तो मौत को भी मात दी जा सकती है। बलजीत कौर को खोज निकाला गया और वह भी जिंदा। यह खबर मिलने पर हिमाचल ही नही बल्कि पूरे भारत में खुशी का आलम बना। रेस्क्यू के बाद कैंप में उपचार ले रही बलजीत कौर का हिमाचल आने के लिए इंतजार किया जा रहा था, जो अब पूरा हुआ। वह शनिवार को अपने घर पंहुची। सभी यह जानने के लिए उत्सुक थे कि उस मुश्किल घड़ी में कैसे मौत को मात दी और क्या क्या हुआ।


इस दौरान नेपाल की अन्नपूर्णा पहाड़ी में हुए हादसे से सुरक्षित लौटीं हिमाचल प्रदेश की पर्वतारोही बलजीत कौर ने ट्रैकिंग एजेंसी पर लापरवाही का आरोप लगाया है। शनिवार को सोलन पहुंचने पर बलजीत कौर ने कहा कि ट्रैकिंग एजेंसी की लापरवाही से ही उनके साथ हादसा हुआ। हालांकि, वह हादसे में मौत को मात देकर सुरक्षित घर पहुंच गई हैं। पत्रकारों से बातचीत के दौरान बलजीत ने कहा कि बीते 16 अप्रैल को वह अन्नपूर्णा पहाड़ी के लिए रवाना हुई थीं। 17 अप्रैल को बीच रास्ते में ही उसके साथ मौजूद शेरपा उसे छोड़कर चला गया। कुछ दूरी पर जाने के बाद एक अन्य शेरपा कंपनी द्वारा भेजा गया।


करीब 36 घंटे का सफर तय करने के बाद वह माउंट अन्नपूर्णा पर 17 अप्रैल को सायं 6:00 बजे पहुंचीं। वह बुरी तरह से थक गई थीं। जो शेरपा उनके साथ था, वह भी काफी थका हुआ था। क्योंकि दो दिन पहले ही वह एक अन्य चोटी पर जाकर आया था। जब वह अन्नपूर्णा पहाड़ी से लौटने लगीं तो वह बुरी तरह से थकी हुईं महसूस करने लगीं। उनके साथ जो शेरपा मौजूद था, वह एक अन्य पर्वतारोही की सहायता के लिए चला गया। देर रात तक वह अकेली चलती रहीं। 10 मीटर चलने के बाद वह आराम करतीं और फिर से आगे बढ़ जातीं। बलजीत ने कहा कि इस दौरान तेज बर्फीला तूफान चल रहा था। बुरी तरह से थकने के बाद देर रात नींद आ गई।


18 अप्रैल की सुबह जब वह करीब 8:00 बजे उठीं तो वह वहां पर अकेली थीं। इस सबके बीच अच्छी बात यह थी कि सुरक्षा रस्सी को नहीं छोड़ा था। वह उसी के सहारे चलती रहीं। बलजीत ने कहा कि उसने अपने मोबाइल के एप से सैटेलाइट सिग्नल रेस्क्यू टीम को भेजा और सहायता मांगी। करीब पांच घंटे बाद दोपहर 1:00 बजे उनके पास रेस्क्यू दल पहुंचा। 48 घंटे तक बर्फ में रहीं और सबको यह लग रहा था कि उसके हाथ-पांव पर बर्फ की वजह से घाव बन गए होंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था। जो प्रशिक्षण लिया था, वह इस खतरे के बीच काम आया और उसी की वजह से वह आज जिंदा हैं। बलजीत ने कहा कि वह भविष्य में भी इस प्रकार की यात्राएं जारी रखेंगी। फिलहाल वह तीन-चार माह आराम करना चाहती हैं, इसके बाद आगे का सफर शुरू करेंगी।
पर्वतारोही बलजीत कौर दिल्ली से शनिवार को सीधे सोलन के एक निजी होटल पहुंचीं। जहां पर उनकी माता शांति देवी और अन्य परिजन पहले से मौजूद थे। बेटी को देखकर उसकी मां भावुक हो गईं। उनकी आंखें भर आईं। इस दौरान मां ने बेटी को गले लगा लिया। बलजीत कौर काफी खुश दिखाई दीं। उन्हें विभिन्न संस्थाओं की ओर से सम्मानित भी किया गया। इसमें हॉकी क्लब सोलन के सदस्यों ने भी बलजीत का फूलमालाओं के साथ स्वागत किया।