आस-पड़ोस: शहीद उद्धम सिंह काम्बोज को उनके बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि ddnewsportal.com

आस-पड़ोस: शहीद उद्धम सिंह काम्बोज को उनके बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि ddnewsportal.com

आस-पड़ोस: शहीद उद्धम सिंह काम्बोज को उनके बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि 

'शहीद उद्धम सिंह काम्बोज इन्टरनेशनल महासभा' सुनाम द्वारा शहीद-ए-आजम शिरोमणि शहीद ऊधम सिंह काम्बोज जी को देश को ब्रिटिश अत्याचार, शोषण से मुक्त कराने के लिए उनके बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन व वन्दना करके उनकी प्रतिमा पर फूल माला अर्पित किए गए और उनकी वीरता व शाहस की शौर्य गाथा की जानकारी नौजवान पीढ़ी को

जलियांवाला बाग़ की जघन्य कत्लेआम की घटना के साथ सुनाई गई। इस मौके पर डा. आशु काम्बोज ने बताया कि इस घटना के लिए जनरल "माइकल ओ डायर" को ज़िम्मेदार माना जो उस समय पंजाब प्रांत का गवर्नर था। गवर्नर के आदेश पर ब्रिगेडियर जनरल रेजीनल्ड "एडवर्ड हैरी डायर" ने 90 सैनिकों को लेकर जलियांवाला बाग़ को चारों तरफ से घेर कर मशीनगन से गोलियाँ चलवाईं, जिसमे सेकडों र्निदोष भारतीय मारे गए। जिसका बदला घटना के 21 वर्षों बाद ऊधम सिंह (राम मोहम्मद सिंह आजाद) ‘सर्व धर्म सम भाव’ के प्रतीक जिन्होने 1919 में अनाथालय छोड़ दिया। अफ्रीका, नैरोबी, ब्राजील और अमेरिका की यात्राएँ की। सन् 1934 में ऊधमसिंह लंदन गये।


द्वितीय विश्व युद्ध के समय जब ब्रिटेन पूूरे विश्व पर भारी पड़ रहा था। 13 मार्च 1940 को रायल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के काक्सटन हाल में बैठक थी जहां माइकल ओ'डायर भी वक्ताओं में से एक था, जिसे बडी बहादुरी के साथ उद्धम सिंह द्वारा सबके सामने गोली मार दी गई। 31 जुलाई 1940 को उद्धम सिंह को पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई। जसमेर सिंह, बलदेव सिंह द्वारा भी उद्धम सिंह की वीर गाथा को सुनाया गया। श्रद्धांजलि के इस मौके पर अनेकों गणमान्य लोग मौजूद रहे।