Sirmour: गिरिपार- राज्यसभा से हाटी ST संशोधन बिल पारित होने के बाद केंद्रीय हाटी समीति की पहली बैठक में हुए ये खास निर्णय... ddnewsportal.com

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फाइल फोटो।

Sirmour: गिरिपार- राज्यसभा से हाटी ST संशोधन बिल पारित होने के बाद केंद्रीय हाटी समिति की पहली बैठक में हुए ये खास निर्णय...

बीते दिनों राज्यसभा में हाटी जनजातीय संशोधन बिल पारित होने के बाद हाटी की केंद्रीय समीति की एक ऑनलाइन बैठक हुई। संसद से बिल पारित होने के बाद यह पहली बैठक थी इसलिए ये खास हो जाती है। इस बैठक में ब्लॉक यूनिटों और शिमला, सोलन, नाहन, चंडीगढ़ तथा विकास नगर क्षेत्रीय यूनिटों के अध्यक्ष व सचिव को भी आमंत्रित किया गया था। इस बैठक में विस्तृत चर्चा के बाद कुछ बातें उभर कर आई जिन पर सभी यूनिटों के सदस्यों को ध्यान देते हुए समयबद्ध अपनी जिम्मेदारी पूरी करने को कहा गया। बैठक की जानकारी देते हुए केंद्रीय कार्यकारिणी के अध्यक्ष डॉ अमीचंद कमल और महासचिव कुंदन सिंह शास्त्री ने कहा कि

बैठक में सर्वप्रथम हाटी जनजाति संशोधन बिल राज्यसभा में सर्वसम्मति से पास होने पर केन्द्र सरकार सहित उन सभी जनप्रतिनिधियों और सहयोगियों का धन्यवाद किया गया जिन्होंने हाटी समुदाय को जनजाति का अधिकार दिलाने में सक्रिय योगदान दिया है।

बैठक में इस बात पर हैरानी जताई गई कि कुछ राजनेताओं और जातिगत संगठन संकीर्ण मानसिकता दिखाते हुए हाटी समुदाय को मिल रहे जनजाति अधिकार पर बेहूदा टिप्पणियां करते हुए जनता को गुमराह करके समाज को बांटने का प्रयास कर रहे हैं। ध्यान रहे कि हाटी समुदाय को जनजाति के अधिकार उसी तर्ज पर मिलने हैं जैसे हिमाचल प्रदेश की दूसरी जनजातियों को मिल रहे हैं, फिर बेवजह आशंकाएं क्यों? 

हाटी समिति ने सभी सदस्यों और लोगों से संयम बरतने तथा समाज को बांटने की कोशिश करने वाले इन स्वार्थी संगठनों को अधिक महत्व नहीं देने तथा सावधान रहने का आग्रह किया। यदि जरूरत पड़ी तो केंद्रीय हाटी समिति द्वारा सभी को तथ्यों के साथ सटीक और स्पष्ट जवाब दिया जाएगा।
प्रत्येक गांव में सभी जातियों के साथ सदियों से प्रेम, सद्भाव और आपसी भाईचारे से रहने पर विश्वास करने वाले हाटी समुदाय पर समय समय पर किए गए एंथ्रोपोलॉजिकल स्टडी  और एथनोग्राफिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार सभी मापदण्ड पूरे करने के बाद भी जनजाति का अधिकार लेने के लिए 55 वर्षों का लम्बा इंतजार करना पड़ा है। आज तक जनजातीय अधिकारों से वंचित रहने पर हाटी समुदाय को कितना नुक्सान हुआ है इस बात का अंदाजा संशय फैलाने वाले इन अल्पज्ञानी लोगों को नहीं है।

गिरिपार क्षेत्र के पिछड़ेपन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिरमौर जिला की 25 सबसे अधिक पिछड़ी पंचायतों में से 23 पंचायतें गिरिपार क्षेत्र में पड़ती है, यही नहीं विकास के सर्वे में शिलाई और संगड़ाह तहसीलें हिमाचल प्रदेश की सबसे अधिक पिछड़ी तहसीलों में है। फिर भी हाटी समुदाय ने अपनी स्मृद्ध लोक संस्कृति और परम्पराओं को बचाकर रखा है जिसके आधार पर जनजाति का दर्जा मिलने जा रहा है।

सभी यूनिटों से आग्रह किया जाता है कि पिछले वर्ष छपवाए गए ब्रोशर में जनजाति के लाभ सम्बन्धी विस्तृत जानकारी दी गई है उसे स्वयं पढ़ें और लोगों को विशेष रूप से विद्यार्थियों को लाभ की सही जानकारी दें।

सभी ब्लॉक यूनिटें 6 अगस्त तक अपनी ओनलाइन या ओफलाईन बैठक निर्धारित कर लें और उसमें अपने ब्लॉक के केन्द्रीय समिति तथा क्षेत्रीय यूनिटों के सदस्यों को भी अवश्य जोड़ें। बैठक में अभी तक की प्रगति और भावी रणनीति पर चर्चा करें।

महासचिव ने कहा कि इसके साथ ही बैठक में बहुत महत्वपूर्ण निर्णय यह हुआ कि हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिलाने पर सही जानकारी गांव गांव में देने तथा देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम धन्यवाद प्रस्ताव पारित करने के उद्देश्य से गिरिपार क्षेत्र सभी गांव/पंचायत स्तर में बैठकों का आयोजन किया जाना है। उन बैठकों के लिए तिथि, समय का निर्धारण, बैठक का एजेंडा और धन्यवाद प्रस्ताव का प्रारुप सभी ब्लॉक यूनिटों को उपलब्ध करा दिया जाएगा। उसके अनुसार ब्लॉक हाटी समितियां अपनी रणनीति बना लें।