Sirmour: जिले के शिक्षालय: शहर के बड़े स्कूलों को टक्कर दे रहा ग्रामीण क्षेत्र का डिवाइन विजडम स्कूल, पढ़ें उपलब्धियाँ... ddnewsportal.com

Sirmour: जिले के शिक्षालय: शहर के बड़े स्कूलों को टक्कर दे रहा ग्रामीण क्षेत्र का डिवाइन विजडम स्कूल, पढ़ें उपलब्धियाँ... ddnewsportal.com

Sirmour: जिले के शिक्षालय: शहर के बड़े स्कूलों को टक्कर दे रहा ग्रामीण क्षेत्र का डिवाइन विजडम स्कूल

40 बच्चों से शुरु हुआ सफर आज पंहुच चुका है 700 पार, भवन और लाइब्रेरी शानदार, पढ़ें उपलब्धियाँ...

वैसे तो जिला सिरमौर और पाँवटा साहिब में एक से बढ़कर एक निजी शिक्षण संस्थान अपने बेहतरीन परिणाम के लिए प्रख्यात है लेकिन उपमंडल पाँवटा साहिब के ग्रामीण क्षेत्र के माजरा (कोटड़ी) में स्थित डिवाइन विजडम स्कूल बेहतरीन परिणाम और सुविधाओं के मामले में बड़े बड़े निजी स्कूलों को टक्कर देता नजर आ रहा है। यही कारण है कि स्कूल में बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और फैसिलिटी के बूते यहां कम समय में ही 700 से अधिक बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। स्कूल अधिक सुर्खियों में गत दिवस उस समय आया जब हिमाचल प्रदेश के महामहिम राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल स्कूल के सालाना समारोह मे बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने पंहुचे। इस मौके पर बच्चों ने जिस प्रकार के रंगारंग और शिक्षाप्रद कार्यक्रम से जहां स्कूल के उत्कृष्ट स्टेंडर्ड को दर्शाया वहीं यह भी दिखा कि स्कूल का स्टाॅफ बच्चों को निखारने में अच्छी खासी मेहनत करता है। स्कूल का परीक्षा परिणाम और अन्य गतिविधियों के रिजल्ट भी शानदार रहे हैं। 
स्कूल के 13 वर्ष के सफर की बात करें तो वर्ष 2011 में लाला आत्मा राम मेमोरियल सोसाइटी के अंतर्गत माजरा में किराए की बिल्डिंग में मात्र 40 बच्चों के साथ यह स्कूल शुरु हुआ। उसके बाद अपना भवन बनाया। वर्ष 2015 में सीबीएसई से 10वीं की एफिलिएशन मिली। उसके बाद कोरोना काल में वर्ष 2020 मे जमा दो की मान्यता भी स्कूल को मिली। आज प्लस वन और टू के तीनों संकाय (आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस) में यहां शिक्षा दी जा रही है। आज 700 के लगभग यहां  बच्चें शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। 
सुविधाओं की बात करें तो माडर्न एजुकेशन में बच्चों को कोडिंग की शिक्षा, 8 सूत्रीय कार्यक्रम शिक्षा, हर क्लास मे स्मार्ट टीवी, लैब्स व बड़ी लाइब्रेरी भी उपलब्ध है। इस समय स्कूल मे शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक स्टाॅफ में कुल 75 सदस्य कार्यरत है। स्कूल की अपनी 5 बसें और दो वैन है। सीबीएसई के हिसाब से हर क्लासरूम वेल फर्नीश्ड है और सुविधाएं उपलब्ध है। 

स्कूल के प्रबंधक नीरज गोयल और प्रिंसिपल मीनाक्षी मल्होत्रा ने बताया कि एक्टिविटीज में भी स्कूल के बच्चों ने उपलब्धियाँ हासिल की है। गत वर्ष चिल्ड्रेन साइंस कांग्रेस में बच्चों ने एनआईटी हमीरपुर में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। बच्चे नेशनल तक गये, भारत को जानो प्रतियोगिता में भी नेशनल में क्विज में भाग लिया। उन्होंने बताया कि उनका पहला प्रयास है कि ग्रामीण क्षेत्र का बच्चों को भी क्वालिटी और प्रतिस्पर्धात्मक शिक्षा प्रदान कर उन्हें बड़े बड़े शहरों के बच्चों के साथ कंपीट करने लायक बनाया जाए। इसके लिए हरसंभव प्रयास जारी है। 

■ प्रिंसिपल मीनाक्षी मल्होत्रा के मुताबिक स्कूल का सफरनामा- 

सन 2011 में लाला आत्माराम मेमोरियल समिति माजरा के संस्थापक वेद प्रकाश गोयल ने डिवाइन विज़डम स्कूल की नींव रखी जिसका उद्घाटन हिमाचल प्रदेश सरकार के  तत्कालीन मुख्य संसदीय सचिव चौधरी सुखराम के कर कमलों द्वारा 12 मार्च 2011 को किया गया। समिति की प्रबंधन समिति कई वर्षों से यह अनुभव कर रही थी क्षेत्र की जनता के लिए एक सीबीएसई से संबंधित विद्यालय माजरा के आसपास होना चाहिए। अपने इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने माजरा के पास कोटडी गाँव में एक शांत सोम्य सुंदर स्थल का चयन किया। साल के वृक्षों की पहाड़ियों से घिरा यह सौम्य स्थल अपने आप में शिक्षण के लिए श्रेष्ठता प्रदान करता  है।  वर्तमान में सीबीएसई द्वारा 10+2 की मान्यता प्राप्त कर अपने विद्यार्थियों को तीनों श्रेणियों (कला, वाणिज्य तथा विज्ञान) में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है। विज्ञान के दोनों संकाय (मेडिकल, नॉन मेडिकल) विद्यार्थियों के द्वारा अपनाए गए हैं तथा उनकी आवश्यकतानुसार आधुनिक शैली पर आधारित भौतिक, रसायन, जीव विज्ञान की प्रयोगशालाओं  द्वारा बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। परंपरागत शिक्षा के क्षेत्र में विद्यालय प्रारंभ से ही 8 Point Educational Programme को अपनाए हुए था परंतु आज उसके साथ-साथ 7 C’s Lifelong Skills (Critical Thinking and Doing, Creativity, Collaboration, Cross-cultural Understanding, Communication,Computing, Carrier & Learning Self-reliance) भी 21वीं शताब्दी के भागदौड़ भरे जीवन में विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास करने में सक्षम है। विद्यालय द्वारा आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित प्रत्येक कक्षा में स्मार्ट टीवी लगवा कर शिक्षा को रुचिकर बनाया गया है। आकर्षक क्रियाकलापों से विद्यार्थियों का सभी विषयों के प्रति रुझान समान रूप से बढ़ रहा है। बच्चों का मनोबल बढ़ाने हेतु समयानुसार SLC (Student Lead Conference) कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है ताकि विद्यार्थी गतिविधि द्वारा पूर्ण आत्मविश्वास से सबके समक्ष अपनी बात को प्रस्तुत कर सकें। विद्यालय में विद्यार्थियों की चेष्टाओं को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक कक्षा में सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए हैं ताकि  बच्चों की प्रत्येक गतिविधि पर ध्यान रखते हुए उनका उचित मार्गदर्शन हो सके। विद्यार्थियों के भावी जीवन को सुखमय बनाने हेतु समयानुसार विभिन्न क्षेत्रों में जैसे- भारत विकास परिषद द्वारा आयोजित भारत को जानो, राष्ट्रीय समूह गान प्रतियोगिता, हिमोत्कर्ष मेधावी छात्रवृत्ति परीक्षा, शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित चिल्ड्रन साईंस कांग्रेस, खेल , मार्शल आर्ट्स आदि प्रतियोगिताओं में प्रतिभागिता सुनिश्चित करवाई जाती है। इस वर्ष हमारे विद्यालय के विद्यार्थी भारत को जानो प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता तथा ताइक्वांडो में राष्ट्रीय स्तर तक अपनी प्रतिभागिता सुनिश्चित करवाई। साथ-ही-साथ चिल्ड्रन साईंस कांग्रेस के अंतर्गत वरिष्ठ प्रश्नोत्तरी तथा गतिविधि में राज्य स्तर पर प्रथम आकर पूरे हिमाचल में विद्यालय का नाम रोशन किया। लगातार 2 वर्षों से हमारे विद्यालय के छात्र अंतरराष्ट्रीय इंडो-नेपाल कराटे टूर्नामेंट में किया और कुमित्ते श्रेणियों में भाग लेकर अनेक स्वर्ण, रजत तथा काँस्य पदक जीत चुके हैं। हम अत्यंत हर्षोल्लास एवं आत्मविश्वास के साथ कह सकते हैं कि स्कूल दिन-प्रतिदिन सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ रहा है। यहाँ उपस्थित अध्यापक वर्ग का योगदान भी स्कूल की उन्नति में सराहनीय रहा है क्योंकि अध्यापक वर्ग पूर्ण लगन, उत्साह एवं निष्ठा के साथ उच्च शिक्षण कौशल को अपनाते हुए अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं और बालकों का उचित मार्गदर्शन भी कर रहे हैं।
विद्यालय की प्रबंधन समिति के  द्वारा अनेक छात्रवृत्तियों को अपनाया गया है जिसमें सर्वप्रमुख कुंजना बेटी है अनमोल छात्रवृत्ति योजना है। इस योजना के अंतर्गत आर्थिक रूप से कमजोर ऐसी छात्राओं को सहयोग दिया जाता है जो हर क्षेत्र में अग्रणी हों। छात्राओं की संपूर्ण शिक्षा का खर्च विद्यालय द्वारा वहन किया जाता है। विद्यालय का प्रमुख उद्देश्य अपने विद्यार्थियों को जीवन की सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए इस तरह तैयार करना है ताकि वह संस्कारी, जिम्मेदार एवं देशभक्त नागरिक बनकर भारत माता को विश्व गुरु का दर्जा दिलाने में सहायक बन सके। 


इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए 28 जनवरी को विद्यालय का वार्षिकोत्सव मनाया जा रहा है जिसमें विद्यार्थी जीवन को एक नदी के प्रवाह के माध्यम से प्रकट किया है। जिस तरह नदी का उद्गम अर्थात प्राकट्य होता है तो उस समय वह बहुत ऊर्जा से भरी होती है। उसकी निरंतरता को बनाए रखने हेतु उसकी धारा को एक निश्चित राह की आवश्यकता होती है। जैसे ही वह निरंतर गति  से आगे बढ़ती है तो उसे राह में अनेक उतार-चढ़ाव भी झेलने पड़ते हैं। धीरे धीरे उसमें अनेक नदियों का विलय होना आरंभ हो जाता है म। इससे उसके प्रवाह में कोई अंतर नहीं आता बल्कि सबको अपने में समाहित करती हुई शांत भाव से निरंतर गतिमान रहती है। इसी भाँति जब एक विद्यार्थी बाल्यावस्था में विद्यालय में प्रवेश करता है तो वह ऊर्जावान होता है। उसकी ऊर्जा का मार्ग प्रशस्त करने हेतु अध्यापक उसमें विभिन्न क्रियाकलापों के माध्यम से अनेक मूल्यों को समाहित करके उसकी धारा को सही मार्ग प्रदान करते हैं। अंततः जब वह पूरी तरह परिपक्व हो जाता है तो उसे समाज में विलय होने हेतु छोड़ देता है, जिससे वह अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाकर समाज में एक योग्य नागरिक बनता है। उसका यह सफर उद्गम से प्रारंभ होकर नई धारा के साथ समाज में विलय होता है।