EXCLUSIVE- पांवटा मे खलने लगी अग्निशमन चोकियों की कमी- ddnewsportal.com

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कितना सुरक्षित है हमारा शहर-02

EXCLUSIVE- पांवटा मे खलने लगी अग्निशमन चोकियों की कमी

गर्मियों मे आगजनी के हर तीसरे दिन मामले आ रहे सामने, करोडों की फसल और संपति चढ़ रही भेंट, बारुद के ढेर पर है सार्वाधिक तापमान वाला नगर।

ये तो जाहिर है कि एक अकैला फायर स्टेशन पांवटा के विस्तृत एरिया की हिफाजत के लिए नाकाफी है। फायर सीजन मे औद्योगिक क्षेत्र पांवटा साहिब बारुद के ढेर पर बैठा हुआ है। और फायर चोकियों की कमी यहां पर कभी भी बड़े हादसे को दावत देता दिख रहा है। अभी गर्मियों का मौसम शुरु हुआ ही है लेकिन पांवटा मे औसतन हर दूसरे दिन आगजनी के मामले सामने आ

रहे हैं। हालांकि फायर स्टेशन के कर्मी सूचना पर हर जगह पंहुच जाते हैं लेकिन बड़ी आगजनी की घटना के दौरान सुविधाओं की कमी और एक ही समय मे दो से अधिक आगजनी की घटनाएं समाने आने से फायर चोकियों की कमी खलने लगती है। ऐसा ही इस बार की गर्मियों मे भी आगजनी की घटनाओं के दौरान देखने को मिला है। लेकिन प्रदेश सरकार व विभाग हादसों के बाद भी नही जाग रहे। जानकारी के मुताबिक पांवटा साहिब फायर स्टेशन के पास विस्तृत दायरा आता है। इसमे नाहन की तरफ कोलर तक, रामपुरघाट की तरफ नवादा तक, और गिरिपार के आंजभोज सहित शिलाई की तरफ सतौन तक का कईं किलोमीटर का दायरा शामिल है। ऐसे मे सुविधाओं के अभाव मे फायर कर्मी आगजनी की घटनाओं पर कितना काबू पा सकते हैं। यह खुद ही समझा जा सकता है। प्रदेश के सार्वाधिक गर्म तापमान वाले पांवटा नगर मे फायर स्टेशन मे नाममात्र की दो तीन ही गाड़ी है। यहां से एक बड़ी गाड़ी शिलाई मे खोली गई फायर चोकी के लिए भेजी गई है। ऐसे मे यदि दो स्थानो पर एक ही समय आगजनी की घटना समाने आती हैं तो कर्मी क्या कर करेंगे। हालांकि एक छोटा क्यूआरवी वाहन भी है जो तंग सड़कों और गलियों के लिए रखा गया है। पांवटा मे हर साल गर्मियों के मौसम मे लाखों करोड़ों रुपए की संपति आग से नष्ट होती है। साथ ही यहां पर सैंकड़ो उद्योग भी है बावजूद इसके सरकार और विभाग यहां पर फायर स्टेशन मे सुविधाएं देने मे विफल रही है। जनता लंबे समय से मांग कर रही है कि पांवटा साहिब मे एक फायर स्टेशन के अलावा तीन फायर चोकियां होनी चाहिए जिनके पास सभी सुविधाएं हो। ये चोकियां माजरा, गोंदपूर औद्योगिक क्षेत्र और गिरिपार क्षेत्र के पुरुवाला मे होनी चाहिए। लेकिन इस और सरकार का ध्यान ही नही है। हद तो यह है कि जो औद्योगिक क्षेत्र सरकार को हर साल करोड़ो का टेक्स और राजस्व देता है वहां भी सुविधाएं देना जरुरी नही समझा जा रहा है। चेंबर आॅफ कामर्स एंड इंडस्ट्री का कहना है कि इस बारे सरकार से कईं बार मांग की जा चुकी है। लेकिन बावजूद इसके अभी तक गोंदपूर क्षेत्र मे कोई फायर चोकी नही खोली गई है। बहरहाल, पांवटा नगर बारूद के ढेर पर है और यदि यहां जल्द ही आग बुझाने के लिए पुख्ता इंतजाम नही हुए तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। हालांकि उर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने गत दिनों एक वाहन गर्मियों के दौरान भंगानी मे रखने के आदेश दिये हैं लेकिन इससे कोई खास लाभ नही होगा क्योंकि नया वाहन तो आया नहीं बस पांवटा साहिब अग्निशमन केंद्र मे एक वाहन और कम हो गया।