Governor Letters to CM: गवर्नर ने सीएम को पत्र लिखकर अनियोजित भवन निर्माण और अत्यधिक खनन को लेकर कही बड़ी बात ddnewsportal.com

Governor Letters to CM: गवर्नर ने सीएम को पत्र लिखकर अनियोजित भवन निर्माण और अत्यधिक खनन को लेकर कही बड़ी बात ddnewsportal.com

Governor Letters to CM: गवर्नर ने सीएम को पत्र लिखकर अनियोजित भवन निर्माण और अत्यधिक खनन को लेकर कही बड़ी बात 

हिमाचल प्रदेश में इस बार के मानसून में भारी बारिश के चलते बड़ी तबाही हुई। सैंकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी तो प्रदेश को लगभग 8 हजार करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ। इस तबाही को लेकर अधिकांश लोगों ने अवैध खनन और अनियोजित भवन निर्माण को जिम्मेवार ठहराया था। हाँलाकि सरकार के एक मंत्री के तबाही को अवैध खनन जिम्मेदार बताने के एक बयान पर दूसरे मंत्री ने इसे बचकाना बयान कहा था।
लेकिन अब इस मामले में प्रदेश के महामहिम राज्यपाल ने भी मुख्यमन्त्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू को पत्र लिखकर कुछ निर्देश दिए हैं। 


राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने हिमाचल प्रदेश में बीते दिनों हुई भारी बारिश, बाढ़ और बादल फटने से आई प्राकृतिक आपदा को देखते हुए सरकार को अनियोजित भवन निर्माण और अत्यधिक खनन पर रोक लगाने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को लिखे दो पत्रों में राज्यपाल ने आपदा के इन दो बड़े कारणों के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई भी मांगी है। राज्यपाल ने पत्र में लिखा कि हाल ही में राज्य में हुई अतिवृष्टि से जानमाल के भारी नुकसान का एक संभावित कारण पहाड़ों पर और नदियों के किनारे नियम दरकिनार कर भवन निर्माण और अवैध खनन भी हो सकता है। सरकार भवन निर्माण की अनुमति नियमानुसार देती है, लेकिन नियमों के अनुसार लोग भवन निर्माण नहीं करते हैं।
अनियोजित तरीके से भवन निर्माण न हो और भविष्य में नियमों के मुताबिक भवन निर्माण हो, इसके लिए सरकार को सख्ती से नियमों का पालन करना व करवाना सुनिश्चित करना होगा। राज्यपाल ने कहा कि कई भवन 70 से 80 डिग्री ढलानों पर भी बनाए गए हैं, जो अपने आप में खतरनाक हैं। भवन निर्माण से पूर्व संबंधित स्थल का भूमि परीक्षण भी नहीं करवाया जाता। इससे भूमि के खिसकने व धंसने से भवनों के ढहने का खतरा रहता है। राज्यपाल ने लिखा कि सरकार मामले में संबंधित विभागों को उचित दिशा-निर्देश जारी करे। राज्यपाल ने कहा कि पहाड़ों और नदियों के किनारे खनन के लिए लाइसेंस दिए जाते हैं, जिससे सरकार को राजस्व प्राप्त होता है।
कुछ एक सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़ और ऊना में पाया गया है कि अत्याधिक खनन से इन क्षेत्रों में भू-क्षरण व भूस्खलन अधिक बढ़ गया है। गौर हो कि बीते दिन राज्यपाल चक्कीमोड़ पर बंद कालका-शिमला एनएच का निरीक्षण करने भी पहुंचे थे। 


गवर्नर ने लिखा है कि यह दर्शाता है कि तुरंत छोटे से लाभ को पाने के लिए दूरगामी दुष्परिणामों को कुछ लालची लोग नकार देते हैं। इससे सामान्य जनता और सरकार दोनों को ही अत्यधिक दूरगामी कीमत चुकानी पड़ती है। अवैज्ञानिक तरीके से किए गए खनन से सरकार को तो राजस्व घाटा होता ही है, साथ ही पर्यावरण का भी नुकसान होता है। राज्यपाल ने लिखा कि भविष्य में ऐसी गतिविधियां रोकने के लिए सरकार योजनाएं बताए। यह भी बताएं कि खनन के लिए कितने लाइसेंसधारी हैं और अवैध खनन में नियमानुसार क्या कार्रवाई हुई।