Chanderyaan 3 Latest Update: बेहद रोमांचक मोड़ पर पंहुचा चंद्रयान-3 का सफर- अब आई ये बड़ी खबर... ddnewsportal.com

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Chanderyaan 3 Latest Update: बेहद रोमांचक मोड़ पर पंहुचा चंद्रयान-3 का सफर, अब आई ये बड़ी खबर...

भारत के चन्द्रयान-3 मिशन का सफर अब बेहत रोमांचक मोड़ पर पंहुच चुका है। हर कोई अब उस ऐतिहासिक क्षण के इंतजार में है जब विक्रम लैंडर चांद पर कदम रखेगा। आइए इस आर्टिकल के माध्यम से जानते है अभी तक के सफर की कहानी और आई इस बड़ी खबर के बारे में।

ISRO का चंद्रयान-3 मून मिशन अब बेहद रोमांचक दौर में पहुंच गया है। उसके विक्रम लैंडर (Vikram Lander) को तीन दिन बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) के आसपास लैंड करना है। तीन दिन पहले वह अपने सारथी यानी प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module) से अलग हुआ था। 17 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 के दो हिस्से अलग हुए। 
प्रोपल्शन मॉड्यूल को छोड़कर विक्रम लैंडर आगे के रास्ते पर चल पड़ा था। ISRO के पूर्व वैज्ञानिक विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि जब चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग हुई थी। तब प्रोपल्शन मॉड्यूल में 1696.4 किलोग्राम फ्यूल था। इसके बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल के सहारे ही पृथ्वी के चारों तरफ पांच बार ऑर्बिट बदली गई। छह बार इंजन ऑन किया गया था, ऑर्बिट करेक्शन को मिलाकर।


इसके बाद चंद्रयान-3 चांद के हाइवे पर गया। यानी ट्रांस-लूनर ट्रैजेक्टरी में पहुंचा। फिर चंद्रमा के चारों तरफ छह बार प्रोपल्शन मॉड्यूल का इंजन ऑन किया गया। कुल मिलाकर 1546 किलोग्राम फ्यूल खत्म हुआ। 


पृथ्वी के चारों तरफ पांच बार प्रोपल्शन मॉड्यूल के थ्रस्टर्स को ऑन किया गया। तब 793 किलोग्राम फ्यूल लगा। इसके बाद चांद के चारों तरफ पांच बार ऑर्बिट को घटाने के लिए थ्रस्टर्स यानी इंजन को ऑन किया गया। तब 753 किलोग्राम फ्यूल लगा। कुल मिलाकर 1546 किलोग्राम फ्यूल की खपत हुई। अब बचा हुआ है 150 किलोग्राम फ्यूल। यानी यह 3 से 6 महीने तक ही काम नहीं करेगा, बल्कि यह कई सालों तक काम कर सकता है।


इस बात की पुष्टि ISRO चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने भी की है। उन्होंने कहा कि हमारे पास उम्मीद से ज्यादा फ्यूल बचा है, यानी अगर सबकुछ सही रहा और ज्यादा कोई दिक्कत नहीं आई तो प्रोपल्शन मॉड्यूल कई सालों तक काम कर सकता है। यह सब चांद के चारों तरफ ऑर्बिट करेक्शन पर निर्भर करता है।

अब चांद की सतह से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर है Chandrayaan-3-

ताजा अपडेट ये भी है कि Vikram Lander अब चांद से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर है। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने 17 अगस्त 2023 को प्रोपल्शन मॉड्यूल को छोड़ दिया था। खुद आगे चल रहा था. दूसरा रास्ता पकड़ लिया था। इसी रास्ते से वह चांद के और नजदीक पहुंच गया है। 18 अगस्त की दोपहर से पहले विक्रम लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल 153 km x 163 km की ऑर्बिट थे. लेकिन करीब 4 बजे दोनों के रास्ते बदल गए।


इसके बाद विक्रम लैंडर 113 km x 157 km की ऑर्बिट में आ गया। तब इसकी दूरी चांद की जमीन से सिर्फ 113 किलोमीटर बची थी। यानी विक्रम 113 किलोमीटर वाले पेरील्यून और 157 किलोमीटर वाले एपोल्यून में था। पेरील्यून यानी चांद की सतह से कम दूरी। एपोल्यून यानी चांद की सतह से ज्यादा दूरी। चंद्रयान-3 बताए गए किसी भी गोलाकार ऑर्बिट में नहीं घूमा, न प्रोपल्शन मॉड्यूल न ही विक्रम लैंडर। सब लगभग गोलाकार ऑर्बिट में थे। बता दें कि 23 अगस्त की शाम को 6 बजे के आसपास चंद्रयान-3 चांद पर उतरेगा। यदि यह मिशन सफल रहता है तो भारत इतिहास रचेगा जो साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बनेगा।