किसानों पर हुए मुक्कदमें बिना शर्त लिये जायें वापिस ddnewsportal.com
किसानों पर हुए मुक्कदमें बिना शर्त लिये जायें वापिस
फाईट फाॅर फार्मर राईट कमेटी ने तहसीलदार के मार्फत राष्ट्रपति को ज्ञापन भेज उठाई मांग।
फाइट फॉर फार्मर राइट कमेटी के पदाधिकारियों व सदस्यों ने महामहिम राष्ट्रपति को तहसीलदार के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया। जैसा कि विदित है आज प्रदेश देश भर से किसान ज्ञापन और संदेश राष्ट्रपति को भेज रहे हैं, उसी कड़ी में पांवटा साहिब ने भी यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। महामहिम राष्ट्रपति को भेजे गए ज्ञापन भेजा मे कहा गया है कि हम पांवटा
साहिब हिमाचल प्रदेश स्थित फाइट फॉर फार्मर राइट कमेटी के समस्त सदस्य एवं क्षेत्रीय किसान इस ज्ञापन के माध्यम से आप से निम्नलिखित करबद्ध निवेदन करते हैं और आशा करते हैं कि इस गणतंत्र के सर्वोच्च पद के रूप में आप केंद्र सरकार को इसके बारे उचित निर्देश प्रेषित करते हुए देश के करोड़ों किसानों (अन्नदाता) को न्याय प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करेंगे। पिछले 88 दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर लाखों किसान आंदोलनरत हैं तथा देश के अन्य भागों में भी करोड़ों किसान इस आंदोलन और संघर्ष के प्रति अलग अलग तरीके से अपना समर्थन जता रहे हैं। यह किसान अपनी आजीविका खेती पर मां समान खेतिहर भूमि को बचाने का संघर्ष कर रहे हैं। अतः हमारा
आपसे अनुरोध है कि आप अपने विशाल हृदय व पद अनुसार किसानों की पीड़ा को समझते हुए एक दिन राष्ट्रपति भवन के दरवाजे किसानों के प्रतिनिधियों के लिए खोल दें ताकि वह अपनी पीड़ा इस देश के संवैधानिक मुखिया को अपने शब्दों में ब्यान कर सकें। कमेटी संयोजक अनिन्द्र सिंह नौटी ने कहा कि 26 जनवरी को लगभग 99% किसानों ने ट्रैक्टर परेड के दौरान अनुशासन का परिचय दिया था और कई रास्तों से दिल्ली आए तथा अपने-अपने स्थानों को वापस लौटे। फिर भी सैकड़ों किसानों जिनमें अत्याधिक वृद्ध एवं महिलाएं भी शामिल हैं उनके खिलाफ एकतरफा कानूनी कार्रवाई व गिरफ्तारियां की गई। जिनकी बिना शर्त रिहाई करवाई जाए व सभी किसानों के खिलाफ दिल्ली में दर्ज मुकदमे भी वापिस हों। हाल ही में गिरफ्तार 22 वर्षीय अधिकार कार्यकर्ता दिशा रवि इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि सरकार किस तरह सरकार के विरोध को देश विरोध और राजद्रोह बनाने पर तुली हुई है। सरकार जिस तरह हठधर्मिता का परिचय दे रही है वह देश के संविधान की आत्मा को चोट पहुंचाता है। हर आंदोलन स्वस्थ लोकतंत्र का हिस्सा होता है तथा केवल तानाशाह देश ही विरोध का दमन करते हैं। अतः संविधान के रक्षक व पहरेदार के रूप में आप भी सरकार को उसकी जिम्मेदारी का अहसास कराएं। हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप के माध्यम से किसानों का मसला जल्द सुलझेगा तथा सरकार को उसकी जिम्मेदारी का एहसास होगा।