सात वर्ष मे दुगुना हुआ प्रदेश पर कर्ज का भार ddnewsportal.com

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इस बार बड़ा कर्ज लेगी हिमाचल सरकार 

सवाल: क्या पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए उठाना पड़ेगा ॠण...? 

जेसीसी बैठक से पहले चल रही तैयारियाँ, सात वर्ष मे दुगुना हुआ प्रदेश पर कर्ज का भार।

आगामी 27 नवंबर को हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के साथ होने वाली जेसीसी की बैठक से पहले राज्य सरकार फिर से 2,000 करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है। राज्य सरकार की तरफ से लिए जाने वाले इस कर्ज को पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके अलावा राज्य सरकार पर पंजाब की तर्ज पर प्रदेश के कर्मचारियों को 11 फीसदी डीए का भुगतान करने का दबाव भी है, जिसमें से अब तक 6 फीसदी अदायगी कर दी गई है। जानकारी मिली है कि सरकार की तरफ से यह कर्ज 4 अलग-अलग मदों में लिया जा रहा है। इस कर्ज को राज्य सरकार की तरफ से 9 वर्ष, 10 साल, 11 वर्ष और 12 वर्ष के

अंतराल के बाद लौटाया जाएगा। सरकार के खाते में कर्ज की यह राशि 24 नवम्बर को आ जाएगी। पिछले आंकड़ो की तरफ देखें तो पिछली सरकार के कार्यकाल में 19,199 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया था जबकि वर्तमान सरकार चार वर्ष यानि 18 नवम्बर, 2021 तक 14,600 करोड़ रुपए का कर्ज ले लेगी, ऐसे में अब हिमाचल प्रदेश पर 63,544 करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ जाएगा।
दरअसल, पर्यटन और प्राकृतिक संसाधनों के धनी हिमाचल प्रदेश मे आय के साधन इस कदर सृजित नही हो पाए हैं कि वह कर्ज लेने की नौबत तक न पंहुचे। जबकि उपरोक्त संसाधनों मे आय की अपार संभावनाएं हैं। ऐसे मे बुद्धिजीवियों की मानें तो सरकारों को कर्ज लेने की बजाय संसाधनों के उचित दोहन पर विशेष बल देना चाहिए ताकि आने वाले समय मे प्रदेश सरकार की आय मे इजाफा हो सके। लेकिन नीति निर्धारण की कमी ही कहेंगे कि सरकारें कर्ज पर कर्ज उठा रही है। 
हालांकि पिछले करीब सात वर्ष मे ही हिमाचल सरकार द्वारा लिए जाने वाले कर्ज की राशि दुगुनी हो चुकी है। प्रदेश में समय-समय पर सत्तारूढ़ रही कांग्रेस व भाजपा सरकार की तरफ से कर्ज लेने का यह क्रम जारी है। यानि

मौजूदा वित्तीय हालात ऐसे हैं कि कोई भी सरकार कर्ज के बिना आगे नहीं बढ़ सकती। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013-14 के अंत तक सरकार के ऊपर 31,442 करोड़ रुपए, 2014-15 में 35,151 करोड़ रुपए, वर्ष 2015-16 में 38,568 करोड़ रुपए, वर्ष 2016-17 में 44,423 करोड़ रुपए, वर्ष 2017-18 में 47,906 करोड़ रुपए, वर्ष 2018-19 में 50,773 करोड़ रुपए, वर्ष 2019-20 में 56,107 करोड़ रुपए तथा वर्ष 2021-22 में अब तक 62,544 करोड़ रुपए कर्ज पहुंच गया है। ऐसे मे मात्र सात वर्ष मे कर्ज की यह राशि दुगुनी हो चुकी है।