खास खबर: देश को गोल्ड- पीईटी हीरा सिंह के तराशे हीरे आज दुनियाभर मेें बिखेर रहे अपनी चमक ddnewsportal.com
खास खबर: पीईटी हीरा सिंह के तराशे हीरे आज दुनियाभर मेें बिखेर रहे अपनी चमक
एशियन गेम्स में हाटी समुदाय की बेटियों की बदौलत देश को गोल्ड, 2006 में चार लड़कियों का बिलासपुर हाॅस्टल में चयन से शुरु हुआ सफर
आज पूरा देश एशियन गेम्स 2023 में लड़कियों के गोल्ड मेडल जीतने से खुशी मना रहा है। मनाएं भी क्यों नही, ये उपलब्धि ही इतनी बड़ी है। और सामने जब चीन की टीम को हराया हो तो खुशी दोगुनी हो जाती है। लेकिन इस एतिहासिक जीत के पीछे किसकी और कितनी मेहनत है, किसने ये आधार बनाया, ये भी हमे जरूर जानना चाहिए। वैसे तो सभी राज्य की जो खिलाड़ी इस महिला टीम में शामिल रही उन सभी लड़कियों के स्कूल से लेकर कॉलेज और हॉस्टल से लेकर एकेडमी तक के रात-दिन के कठिन परिश्रम और उनके कोच की कड़ी मेहनत है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके तराशे हीरों ने आज दुनियाभर में अपनी चमक बिखेर दी है। इन हस्ती के बारे में आज बताना इसलिए भी जरूरी हो गया है क्योंकि कबड्डी की इस भारत टीम में कप्तान सहित तीन खिलाड़ी हिमाचल से जो है, उनको इस मुकाम तक पंहुचाने में इनका बड़ा हाथ रहा है।
हम बात कर रहे हैं जिला सिरमौर के दुर्गम ग्रामीण क्षेत्र शिलाई के प्रख्यात पीईटी द लेजेंड हीरा सिंह ठाकुर की। आज वह भले ही हमारे बीच नही हैं लेकिन उनके तराशे हीरे आज देश का विश्व में नाम रोशन कर रहे हैं। भारतीय महिला कबड्डी टीम की कप्तान रितु नेगी इनकी शागिर्द रही और पहली बार स्कूल टाइम में इनसे ही कबड्डी की बारीकियां सीखी।
हीरा सिंह नेगी इसलिए लेजेंड है क्योंकि उन्होंने उस कठिन दौर में लड़कियों को खेलने के लिए प्रोत्साहित किया जब अभिभावक उन्हें स्कूल भी बड़ी मुश्किल से भेजते थे। समय की बात थी, उस समय क्षेत्र में शिक्षा के अभाव और अज्ञानता के कारण माहौल ही ऐसा होता था कि लड़कियां खेलों में भाग लें ये लोगों को अजीब सा लगता था। लेकिन जिनकी रगों में खेल खून की तरह दौड़ रहा हो वो प्रतिभा को कभी दबने नही देता। ऐसा ही स्वर्गीय हीरा सिंह नेगी ने किया।
बात वर्ष 2006 की है जब प्रदेश के बिलासपुर में स्पोर्ट्स हाॅस्टल खुला। उससे पहले स्कूल में कुछ लड़कियों की कबड्डी में रूचि तो पैदा कर ही चुके थे और काबिलियत भी पहचान चुके थे। इसलिए उन्हे अच्छा मंच देने का मन बनाया ताकि लड़कियों का उज्जवल भविष्य बन सके। उनके फर्स्ट बैच में चार लड़कियों रितू नेगी, प्रियंका नेगी, निर्मला देवी और संजय लक्ष्मी का हाॅस्टल के लिए चयन तो हो गया लेकिन समस्या ये हुई कि अभिभावक उन्हे भेजने को मना कर रहे थे। उसके बाद किसी तरह से हीरा सिंह ठाकुर ने अभिभावकों को समझाया और लड़कियों को हाॅस्टल भेजा। उनमे से आज एक रितु नेगी भारतीय टीम की कप्तान बनी और देश को गौरवान्वित कर गई। इस मुहीम में फिर हीरा सिंह ठाकुर के साथ ग्यार सिंह नेगी भी जुड़े और उन्होंने इस सफर को आगे बढ़ाया। जब चार लड़कियों हाॅस्टल गई तो अन्य बालाओं में भी कबड्डी खेल के प्रति क्रेज बढ़ा और आज शिलाई से सैंकड़ों लडकियां नेशनल खेल चुकी है। कईं तो खेलों के दम पर ही अच्छी नौकरियाँ कर रहे हैं। एक मोटे अनुमान के मुताबिक हीरा सिंह ठाकुर के कार्यकाल के दौरान शिलाई क्षेत्र से सैंकड़ों बच्चों ने कबड्डी, वालीबॉल, एथलेटिक्स आदि गेम्स में नेशनल खेला, जबकि 20 से अधिक लड़के लड़कियां हाॅस्टल पंहुचे। ऐसे में कठिन समय में जो पौधे स्वर्गीय हीरा सिंह ठाकुर ने लगाये आज वह भरपूर फल दे रहे हैं। उनके तराशे हीरे चमक बिखेर रहे हैं, जिससे आज वह जहां भी होंगे बहुत खुश होंगे।
सिरमौर कबड्डी एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलदीप राणा व कबड्डी ऐसोसियेशन के ज्वाईंट सेकेटरी ग्यार सिंह नेगी ने बताया कि कबड्डी खेल के प्रति हीरा सिंह ठाकुर का अतुल्य योगदान अविस्मरणीय रहा। वे सदा से ही कबड्डी के लिए ही जिए। साथ ही उन्होंने एशियन गेम्स 2023 में गोल्ड मेडल जीतने पर कप्तान रितु नेगी और पूरी टीम को बधाई दी है।