शिमला मे सरकार के खिलाफ जुटे हैं 40 कर्मचारी संगठन- वीरेन्द्र ddnewsportal.com
शिमला मे सरकार के खिलाफ जुटे हैं 40 कर्मचारी संगठन
संयुक्त कर्मचारी महासंघ का दावा, 20 फरवरी से प्रदर्शन की तैयारी।
पंजाब की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान और लंबित भत्ते दिलाने के लिए गठित संयुक्त कर्मचारी महासंघ की बैठक सोमवार को शिमला के कालीबाड़ी हॉल में हुई। इसमें फैसला लिया गया कि 20 फरवरी को कर्मचारी जिला मुख्यालयों में विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे। उपायुक्तों के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भेजे जाएंगे। 21 फरवरी को कांगड़ा, 27 को बिलासपुर, 28 को हमीरपुर, 1 मार्च को ऊना, 6 मार्च को
सोलन, 7 मार्च को सिरमौर और 11 मार्च को कुल्लू में विरोध स्वरूप महासम्मेलन होंगे। सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन होंगे और शिमला में इनका समापन होगा। कहा गया कि सरकार ने 15 दिन के भीतर कर्मचारियों की मांगें नहीं मानीं तो अगली रणनीति तैयार की जाएगी। संयुक्त महासंघ विधानसभा का घेराव भी करेगा। संघ ने दावा किया कि 25 संगठनों के साथ बनाए संयुक्त महासंघ में 41 कर्मचारी संघ जुड़ चुके हैं। महासंघ की दूसरी
बैठक में 41 कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने रणनीति बनाई है। इसमें राज्य के निगमों और बोर्डों के कर्मचारी संगठनों के नेता भी मौजूद रहे। महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान और मुख्य सलाहकार ने कहा कि सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था। सरकार ने जब कोई कदम नहीं उठाया तो संयुक्त महासंघ को सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ा है। पंजाब तर्ज पर संशोधित वेतनमान और भत्ते देने के लिए कर्मचारी सरकार पर दबाव डालेंगे।
उधर, हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ जिला शिमला के अध्यक्ष गोपाल झिलटा और महासचिव विनोद शर्मा ने कहा है कि हाल ही मे कुछ कर्मचारियों द्वारा आए दिन कर्मचरियों को संयुक्त मोर्चा के नाम से बैठकें करके भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि इस प्रकार किसी संयुक्त मोर्चे की कोई आवश्यकता नहीं है। क्योंकि सभी विभागों
के सरकारी कर्मचारी हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के माध्यम से साक्ष्यों व तथ्यों के साथ उठा रहे है। वेतन आयोग के सम्बंध में जो भी विसंगतियां महासंघ के ध्यान में आ रही हैं उसका समाधान भी समय समय पर सरकार के साथ मिलकर किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त शिक्षकों के मान्यता प्राप्त संगठन भी अपनी अपनी श्रेणियों के मसलों को लगातर प्रदेश सरकार से उठा रहे है। इसी का परिणाम है कि छठे वेतनमान में जो पंजाब की तर्ज़ पर तीसरे विकल्प नहीं दिया गया उस पर गंभीरता से विचार चल रहा है।