Paonta Sahib: दीवाली पर देसी सामान को दें तरजीह, स्थानीय दुकानदारों से करें खरीददारी- चौहान ddnewsportal.com

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Paonta Sahib: दीवाली पर देसी सामान को दें तरजीह, स्थानीय दुकानदारों से करें खरीददारी- चौहान

दीवाली पर मज़दूरों के बोनस को लेकर कही ये बड़ी बात....

सिरमौर जिला के मजदूर नेता प्रदीप चौहान का कहना है कि हमे दीवाली पर देसी सामान को तरजीह देनी चाहिए। पांवटा साहिब मे जारी प्रेस बयान मे मजदूर नेता ने बताया कि हमे दीवाली पर चीनी वस्तुओं का बहिष्कार कर भारत मे निर्मित सामान को अपनाना चाहिए। साथ ही दीवाली को प्रदूषण रहित मनाना चाहिए। उन्होने कहा कि यदि हम किसी मिट्टी के बर्तन और दीये बेचने वालों से सामान खरीदते हैं तो जहां एक गरीब को दो वक्त की रोटी मिलेगी वहीं रोशनी के पर्व को प्रदूषण रहित मना सकते हैं। उन्होने कहा कि आजकल बाजार मे चीन का आर्कषक सामान पंहुचा हुआ है जिसमे लड़ियां और अन्य ईलेक्ट्रोनिक की चीजें शामिल है। हमे इनके स्थान पर भारत मे निर्मित साजो सजावट का सामान खरीदना चाहिए और दीवाली पर अपने लोगों के साथ खुशियां मनानी चाहिए। ताकि हमारे साथ साथ उनकी दीवाली भी रोशन रहे। 


इसके साथ ही हमे ऑनलाइन शॉपिंग के साथ ही हमारे अपने स्थानीय दुकानदारों से भी सामान खरीदना चाहिए। हमे ये याद रखना चाहिए कि हमारे लोकल दुकानदारों के फाथ हमारा आत्मीय रिश्ता बन चुका है। हमारे दादा पड़दादा से लेकर स्थानीय दुकानदारों से संबंध बने हुए है। वे हमारे सुख दुख के साथी है। कभी पैसे कम पड़ जाए तो कुछ दिनोः का उधार भी दे देते हैं। इसलिए स्थानीय दुकानदारों से खरीददारी अवश्य करनी चाहिए। 
इसके साथ ही मजदूर नेता ने कहा कि पांवटा साहिब में कई उद्योगों का तानाशाही रवैया इतना बढ़ गया है कि आम मज़दूर परेशान है। पांवटा साहिब में कईं उद्योग है और यहां पर हजारों की तादाद में लोग को रोजगार मिलता है। लेकिन उद्योग दिवाली पर जो बोनस देते हैं आम मज़दूर तक नहीं पहुंचता। पांवटा साहिब में ऐसी कई फैक्ट्रियां हैं जो आज भी अपनी तानाशाही रवैया अपना रही है और लड़कों को पूरा बोनस नही दे रहे है। जबकि फैक्ट्री की रीड की हड्डी मज़दूर ही है। वह इस बारे में हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री और मुख्यमंत्री को शिकायत करेंगे। साथ ही उद्योग मंत्री से गुज़ारिश की है कि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दें कि वह चेक करें कि हर मज़दूर चाहे वो ठेकेदार के पास भी है, क्या उनको भी बोनस मिला की नहीं। बोनस को मज़दूर के खाते में ही डलवाया जाये ताकि मालूम पड़े किसको कितना मिला है।