Sirmour: सरकार-विभाग और अध्यापकों की संयुक्त मेहनत से हासिल की राष्ट्रीय उपलब्धि: मायाराम शर्मा  ddnewsportal.com

Sirmour: सरकार-विभाग और अध्यापकों की संयुक्त मेहनत से हासिल की राष्ट्रीय उपलब्धि: मायाराम शर्मा  ddnewsportal.com

Sirmour: सरकार-विभाग और अध्यापकों की संयुक्त मेहनत से हासिल की राष्ट्रीय उपलब्धि: मायाराम शर्मा 

राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण में हिमाचल प्रदेश को पूरे भारत में पांचवा स्थान मिला है, इससे पहले हिमाचल प्रदेश 21 स्थान पर था। इस अचीवमेंट पर पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष मायाराम शर्मा ने सभी शिक्षक साथियों और विभाग के साथ साथ सरकार को बधाई दी है। उन्होने कहा कि यह सभी के संयुक्त प्रयासों से संभव हो पाया है। इसके लिए सरकार, विभाग और अध्यापकों ने मिलकर जो रणनीति तैयार की थी उसके प्रयासों का नतीजा है। इस उपलब्धि में सबसे बड़ा योगदान अध्यापकों का है जिनकी मेहनत और लगन से यह सब संभव हो पाया है। प्राथमिक विद्यालय में ज्यादातर एक अध्यापक पांच कक्षाओं को पढ़ाने का कार्य कर रहा है। इस उपलब्धि के लिए हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी बधाई के पात्र हैं।

उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के कुशल नेतृत्व में तथा शिक्षा विभाग के शिक्षा सचिव राकेश कंवर, शिक्षा निदेशक आशीष कोहली, अतिरिक्त शिक्षा निदेशक बाबूराम शर्मा, राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा राजेश शर्मा के मार्गदर्शन में तथा जिला के समस्त शिक्षा उप निदेशक, जिला परियोजना अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी तथा हिमाचल प्रदेश के अध्यापकों के अथक प्रयासों से हिमाचल प्रदेश ने पूरे भारत में लंबी छलांग लगाकर 21वें स्थान से पांचवा स्थान हासिल किया है। सर्वेक्षण में तीसरी कक्षा के बच्चों ने पूरे भारतवर्ष में दूसरा स्थान हासिल किया है  और छठी और नौवीं कक्षा के छात्रों ने चौथा स्थान प्राप्त किया है। ओवरऑल हिमाचल ने पांचवा स्थान प्राप्त किया है।

■ इन बातों पर भी ध्यान देना जरुरी...

इस सफलता के लिए सभी बधाई के पात्र हैं। सरकारी विद्यालयों में नामांकन वृद्धि और गुणात्मक शिक्षा बनाए रखने के लिए इस तरह के प्रयास करना अति आवश्यक है। प्रदेश अध्यक्ष मायाराम शर्मा ने इस उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर का विशेष आभार प्रकट किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से मांग की है कि सरकारी विद्यालयों में नामांकन संख्या बढ़ाने के लिए सभी प्राथमिक विद्यालयों में प्री प्राइमरी की कक्षाएं संचालित की जानी अति आवश्यक है। इससे बच्चों का पलायन निजी विद्यालय की तरफ होने से रुक जाएगा और सरकारी विद्यालय में नामांकन संख्या में वृद्धि होगी। इसके अलावा बच्चों के दाखिले की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए और  6 वर्ष पूरे कर चुके बच्चों का दाखिला सितंबर तक जारी रहना चाहिए। केरल राज्य की तरह प्राथमिक स्तर पर कक्षावार पांच अध्यापक की नियुक्ति होनी चाहिए तथा प्री प्राइमरी के लिए अलग से अध्यापक और केयरटेकर नियुक्त किया जाना चाहिए। प्राथमिक स्तर की खेलकूद प्रतियोगिताएं फिर से आरंभ करवाई जानी चाहिए क्योंकि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए यह अति आवश्यक है। शिक्षा के क्षेत्र में अगर हिमाचल प्रदेश को नंबर एक राज्य का दर्जा हासिल करना है तो उसके लिए अध्यापकों को अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता है तथा समाज के लोगों को जोड़कर सरकार और विभाग के साथ मिलकर उचित रणनीति बनाकर मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। सरकारी विद्यालयों में लगातार नामांकन संख्या घट रही है जिसकी वजह से बहुत सारे विद्यालय बंद हो रहे हैं और बहुत सारे बंद होने के कगार पर पहुंचे चुके हैं।
यह हम सबके लिए चिंता का विषय है। हिमाचल प्रदेश के बहुत सारे प्राथमिक अध्यापकों ने सरकारी विद्यालय की मजबूती के लिए मिलकर कार्य करने का बीड़ा उठाया है जिसके तहत हिमाचल प्रदेश के सभी अध्यापक मिलकर बहुत सारे प्रयास कर रहे हैं। जिसमें नामांकन वृद्धि को लेकर जागरूकता अभियान चलाकर घर-घर जाकर अभिभावकों को सरकारी विद्यालय में बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित करना तथा सरकार की योजनाओं को लोगों तक पहुंचाना है। इसके अतिरिक्त   विद्यालय में बच्चों के लिए अतिरिक्त सुविधाएं  प्रदान करना जैसे ट्रैकसूट जूते, स्वेटर जुराबे, टाई कोट आदि अपना विद्यालय योजना के तहत समाज के लोगों से सहयोग लेकर बच्चों के लिए विद्यालय में उच्च स्तर की सुविधा प्रदान करवाना, जिसमें स्वच्छ जल फलाहार भोजन व्यवस्था आदि विद्यालय में कमजोर बच्चों के लिए अतिरिक्त कक्षाओं का आयोजन और नई तकनीक से बच्चों को शिक्षा देने के लिए डिजिटल कक्षा कक्ष तैयार करवाना खेलकूद और सांस्कृतिक क्षेत्र में बच्चे को  तैयार करना सरकारी विद्यालयों में बच्चों को सभी तरह के मुक्त सुविधा उपलब्ध की जा रही है। उसके बावजूद भी अभिभावकों का सरकारी विद्यालय की तरफ रुझान नहीं बढ़ रहा है जिसके लिए अध्यापक मिलकर अनेक तरह के कार्य कर रहे हैं।