Shiv Ki Booti: क्या हिमाचल में वैध होगी भांग की खेती ddnewsportal.com

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Shiv Ki Booti: क्या हिमाचल में वैध होगी भांग की खेती

पढ़ें, सरकार की तरफ से आए क्या संकेत और क्या बन रही भविष्य की रणनीति 

भांग यानि धतूरा जिसे भक्त शिव बाबा की बूटी भी कहते हैं, का इंसान के साथ सदियों का नाता रहा है। कुछ इसे नशे के तौर पर इस्तेमाल करते हैं तो जानकार इसे दवा के रूप में भी देखते हैं और उपयोग भी कलते हैं। भांग के गंभीर बीमारियों के उपचार के कईं फायदे हैं जिसे अधिकांश लोग जानते हैं, फिर भी ज्यादातर

राज्यों में इसकी खेती और इस्तेमाल अवैध है। हिमाचल प्रदेश भी उनमे से एक राज्य है जहां भांग की खेती और चरस की बिक्री अवैध है और कानून में कड़ी सजा का प्रावधान भी है। लेकिन अब जो कुछ इस विषय पर बीते दिनों हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में हुआ वो अब चर्चा का विषय बन चुका है। 
क्या हिमाचल प्रदेश में भी उत्तराखंड की तर्ज पर भांग की खेती को वैध करार दिया जा सकता है? सरकार की तरफ से कुछ ऐसे संकेत सामने आ रहे हैं। 

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खु ने खुद बयान देकर कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में भांग की खेती को वैध बनाने की दिशा में विचार कर रही है, जिससे राज्य के लिए राजस्व अर्जित होगा। वहीं यह औषधीय और औद्योगिक क्षेत्र के लिए कारगार साबित होगी। भांग में कई औषधीय गुण पाए जाते है। इसके औषणीय गुणों के इस्तेमाल से  कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अवसाद आदि से ग्रसित मरीजों को काफी राहत मिलती है। 
मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने भांग की खेती का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया है, जिसमें पांच विधायकों को सदस्य बनाया गया है। समिति उन इलाकों का दौरा करेगी, जहां भांग की अवैध खेती होती है। समिति सभी पहुलुओं का गहनता से अध्ययन करने के उपरांत एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। इसी रिपेार्ट के आधार पर भांग की खेती को वैध करने के बारे में सरकार अंतिम निर्णय लेगी।

उन्होंने कहा कि विश्व के कई देशों में भांग की खेती को कानूनी मान्यता दी गई हैं। वहीं देश के कई राज्यों में भांग की खेती को कानूनी दायरे में रखा गया है। उत्तराखंड वर्ष-2017 में भांग की खेती को वैध करने वाला देश का पहला राज्य बना है। इसके अलावा गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में भी भांग की नियंत्रित खेती की जा रही है। प्रदेश सरकार इन सभी पहुलाओं कां भी ध्यान में रखते  हुए ही कोई निर्णय लेगी।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खु ने कहा कि भांग की खेती राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है, लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इसका इस्तेमाल नशे के तौर पर न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की संसद में वर्ष 1985 में एनडीपीएस अधिनियम के तहत भांग को परिभाषित किया था, जिसके तहत भांग के पौधे से राल और फूल निकालने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन यह कानून औषधीय और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए भांग की खेती की विधि और सीमा निर्धारित करता है। अधिनियम की धारा 10 (ए) के अंतर्गत राज्यों को किसी भी भांग के पौधे की खेती, उत्पादन, कब्जा, परिवहन, खपत, उपयोग और खरीद तथा बिक्री, भांग की खपत (चरस को छोड़कर) के संबंध में नियम बनाने का अधिकार देती है। राज्यों को सामान्य या विशेष आदेश द्वारा, केवल फाइबर या बीज प्राप्त करने या बागवानी उद्देश्यों के लिए भांग की खेती की अनुमति देने का अधिकार है।
ऐसे में हिमाचल प्रदेश चर्चाएं आ गया है कि क्या वहां पर भांग की खेती को वैध करार दिया जा सकता है? 
उधर, जानकारों की माने तो अक्सर जिस वस्तु पर प्रतिबंध होता है, वह चोरी छिपे मंहगे दामों पर उतनी ही अधिक बिकती है। जब सरकार कानून के दायरे में इसमे कुछ छूट देगी तो इसके नशे के रूप में भी कम इस्तेमाल करने की संभावना बढ़ सकती है और ओषधिय रूप में इसका बड़ा इस्तेमाल किया जा सकता है।