हिन्दी को आत्मसात करें- यही होगा सबसे बड़ा सम्मान- राजेन्द्र तिवारी ddnewsportal.com

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हिन्दी को आत्मसात करें- यही होगा सबसे बड़ा सम्मान- राजेन्द्र तिवारी 

हिंदी दिवस पर सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था 'विधा' ने किया ऑनलाइन कवि सम्मेलन और हिंदी भाषा पर संगोष्ठी का आयोजन।

जिला सिरमौर की जानी मानी सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था 'विधा' ने हिन्दी दिवस की पावन संध्या पर एक ऑनलाइन कवि सम्मेलन और हिन्दी भाषा पर एक संगोष्ठी का सफल आयोजन किया। ज़िसमें हिमाचल प्रदेश के

अलावा भारत की साहित्यिक राजधानी मानी जाने वाले शहर लखनऊ के अलावा उत्तराखण्ड और मुंबई से जाने माने साहित्यकारों ने भाग लिया और अपनी अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से इस साहित्यिक समागम में चार चाँद लगाये। इस ऑनलाइन कवि सम्मेलन की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश जाने माने

समाजसेवी, पत्रकार और उद्यमी राजेन्द्र तिवारी ने की। कवि सम्मेलन में खास बात यह रही कि ऐस बार बहुत सारे नवोदित कवियों ने अपनी दमदार प्रस्तुति के द्वारा वरिष्ठ साहित्यकारों को आनन्दित किया और खूब प्रशंसा भी बटोरी।

कवि समनेलन का सफल संचालन प्रदेश के बेहतर मंच संचालकों में शुमार जीवन जोशी ने किया। विधा  सामाजिक संस्था द्वारा आयोजित इस साहित्यिक कार्यक्रम में जहां एक ओर उमंग भटनागर, सानवी गोयल और अनिरुध ने अपनी-अपनी कविताओं में  देश प्रेम, जीवन की सार्थकता और

हिन्दी विषय पर चिंतन मनन करने और उसका संरक्षण करने पर बल दिया वहीं मुंबई, उत्तराखण्ड, हिमाचल और लखनऊ के वरिष्ठ और माने जाने साहित्यकारों ने अपने अपने अन्दाज में एक से एक बेहतरीन कविताओं से श्रोताओं का रसास्वादन किया। अपने अध्यक्षीय उदबोधन में समाजसेवी राजेन्द्र तिवारी ने हिन्दी को दिल से आत्मसात करने का आहवान किया।

उन्होने यह भी कहा कि अपनी अपनी बात का, भाव का जितना अच्छा संप्रेषण अपनी मातृभाषा में संभव होता है वह अन्य भाषा में नहीं हो सकता इसलिये हमेशा अपनी भाषा, संस्कृति, अपने राष्ट्र पर गर्व करना ही सबसे बड़ा राष्ट्र प्रेम हैं। इस कवि सम्मेलन में सावित्री तिवारी आजमी, जीवन जोशी, चंडी प्रसाद मिश्र, भारती श्रीवास्तव, मालती सिंह, हेमराज राणा, डॉ श्रीकांत अकेला, आशुतोश मिश्रा, सुरेन्द्र कुमार विश्नोई, पंकज भटनागर आदि ने काव्य पाठ किया।

"मुझे हिंदी आती है" कविता ने  हिंदी दिवस की काव्य गोष्ठी में सभी को किया मंत्रमुग्ध-

विधा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था पांवटा साहिब  के सौजन्य से हिन्दी दिवस पर राष्ट्रीय स्तर की काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें देश के विभिन्न प्रांतों से ऑनलाइन जुड़े प्रतिष्ठित रचनाकारों ने अपनी कविताएं प्रस्तुत की। गोष्टी के प्रारंभ में बाल कवि अनिरुद्ध हिंदी की गरिमा में कविता

प्रस्तुत की ।प्रयागराज से मालती सिंह ने हिंदी की महिमा में कविता सुना कर वाहवाही लूटी। मुंबई से डॉ भारती श्रीवास्तव ने अपनी कविता प्रस्तुत की। लखनऊ से चंडी प्रसाद मिश्रा ने खड़ी बोली में हिंदी के सवैया गाकर सब को रोमांचित किया। नवोदित कवयित्री सानवी ने हिंदी पर ओजमयी कविता सुनाई। आचार्य राधेश्याम ने भारतीय संस्कृति पर आधारित हिंदी की महिमा

का गान करने वाली कविता सुनाई। हेमराज राणा ने हिंदी की दुर्दशा प्रस्तुत करते हुए उसके उत्थान पर कविता प्रस्तुत की। शंखनाद मीडिया के संपादक एवं प्रतिष्ठित कवि श्रीकांत अकेला ने हिंदी के वैभव एवं प्रकृति के अत्यधिक दोहन पर कविता सुना कर सभी को आनंदित किया। पांवटा साहिब की प्रतिष्ठित कवयित्री सावित्री आजमी तिवारी ने हां मुझे हिंदी आती है कविता

प्रस्तुत करके सभी को मंत्रमुग्ध किया। हिंदी दिवस पर आयोजित इस काव्य गोष्ठी में पंकज भटनागर, उमंग भटनागर, सुमन बिश्नोई, जीवन प्रकाश जोशी ने भी मनमोहक तरीके से अपनी  कविता की प्रस्तुत की। अन्य श्रोताओं के साथ विद्या संस्था के अध्यक्ष आर पी तिवारी भी इस गोष्टी में उपस्थित रहे। समापन अवसर पर अपने संबोधन में तिवारी जी ने गोष्टी के सफल आयोजन

के लिए सभी को धन्यवाद देने के बाद, हिंदी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भावों के संप्रेषण के लिए हिंदी सबसे सक्षम भाषा है। आज की युवा पीढ़ी हिंदी के प्रति आकर्षित हो रही है और यह आधुनिक हिंदी के लिए अच्छे संकेत है। हिंदी भाषा का प्रयोग हमें केवल हिंदी दिवस तक ही सीमित नहीं रखना है उसे दिनचर्या में शामिल करके राष्ट्र को सुदृढ़ बनाना है।