Himachal OPS News: पुरानी पैंशन स्कीम को लेकर ये है बड़ी खबर ddnewsportal.com

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Himachal OPS News: पुरानी पैंशन स्कीम को लेकर ये है बड़ी खबर

कल से वेतन से एनपीएस शेयर काटने को लेकर सरकार का फैसला, कैसे होगा...

हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। जिस ओपीएस की मांग को लेकर पूर्व की भाजपा सरकार के खिलाफ कर्मचारियों ने खूब हल्ला बोला और यहां तक की OPS फेक्टर चुनाव में काम कर गया और पूर्व की भाजपा सरकार सत्ता से बाहर हुई, उस मांग को पूरा करने वाली कांग्रेस की सरकार की तरफ से एक निर्णय लिया गया है। 

राज्य में नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस में कर्मचारियों का शेयर अप्रैल के वेतन से नहीं कटेगा, जो 1 मई को देय होगा। 
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने घोषणा की है कि पहली अप्रैल के बाद कर्मचारियों के वेतन से एनपीएस का हिस्सा कटना बंद होगा। हालांकि, इसके लिए फिलहाल कोई तैयारी नहीं है, न ही अभी सरकार ने इसके लिए कोई विकल्प मांगा है। परंतु प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम यानी OPS को 1 अप्रैल के बाद से लागू किया जा रहा है। 
गोर हो कि OPS देना कांग्रेस की पहली गारंटी है। इसे सरकार ने सत्ता में आने के दस दिन बाद या पहली कैबिनेट बैठक से लागू करने की घोषणा की थी। जिसका चुनाव में भी असर देखने को मिला और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। राज्य मंत्रिमंडल की पहली बैठक लोहड़ी के दिन 13 जनवरी को हुई थी। उसी दिन OPS को लेकर सरकार ने फैसला किया था। हालांकि इसके बाद भी कर्मचारियों के जनवरी और फरवरी के वेतन से एनपीएस का शेयर कटना बंद नहीं हुआ है। 

एनपीएस का यह शेयर भारत सरकार की एजेंसी पीएफआरडीए के पास जमा होता है। कर्मचारियों से 10 और सरकार की ओर से 14 प्रतिशत शेयर को जमा किया जाता है। हाल ही में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्पष्ट किया कि एक अप्रैल से एनपीएस का शेयर कटना बंद हो जाएगा। ऐसे में 1 अप्रैल से नई व्यवस्था लागू होने जा रही है।

अभी तक नहीं मांगे विकल्प-

OPS को लागू करने के लिए सरकारी कर्मचारियों से अभी तक विकल्प नहीं मांगे गए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि ओपीएस को लागू करने के लिए कर्मचारियों से विकल्प मांगे जाएंगे। यानी जिस सरकारी कर्मचारी ने ओपीएस का लाभ नहीं लेना है, उनसे एनपीएस में बने रहने के लिए लिखकर देना होगा। यानी वे अंडरटेकिंग देंगे कि उन्हें एनपीएस में ही रहना है।