Paonta Sahib: समझौते के मुताबिक नदी में नहीं छोड़ा जा रहा पानी, यमुना घाट पर सूखे जैसे हालात, संस्थाओं ने उठाई ये माँग... ddnewsportal.com

Paonta Sahib: समझौते के मुताबिक नदी में नहीं छोड़ा जा रहा पानी, यमुना घाट पर सूखे जैसे हालात, संस्थाओं ने उठाई ये माँग... ddnewsportal.com

Paonta Sahib: समझौते के मुताबिक नदी में नहीं छोड़ा जा रहा पानी, यमुना घाट पर सूखे जैसे हालात, संस्थाओं ने उठाई ये माँग...

पाँवटा साहिब से होकर बह रही युमना नदी का यमुना घाट पर जल स्तर अत्यधिक गिर चुका है और वह अब एक नाले में परिवर्तित हो गया है। इस पर पाँवटा साहिब की धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं ने चिंता व्यक्त कर उचित कार्रवाई की माअएग की है। पाँवटा साहिब की संस्थाओं मॉर्निंग जॉगर्स क्लब, रोटरी क्लब, राधा कृष्ण मंदिर समिति, इनरव्हील क्लब,
श्री जगन्नाथ सेवा ट्रस्ट, सीनियर सिटीजन काउंसिल, पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन और पंजाबी बिरादरी महा सभा आदि के पदाधिकारियों ने कहा कि एक सरकारी समझौते के अनुसार मुख्य नदी बेसिन में पर्याप्त जल प्रवाह बनाए रखना अनिवार्य है, परंतु वर्तमान स्थिति में जल प्रवाह की कमी स्पष्ट रूप से देखी जा रही है। निरीक्षण में पाया गया है कि नदी में अपेक्षित जल प्रवाह में

कमी आई है, जिसके कारण जल स्तर अत्यंत निम्न स्तर पर पहुँच गया है। मुख्य नदी बेसिन में जल प्रवाह की कमी, प्राकृतिक एवं मानवनिर्मित कारणों से उत्पन्न विकार है। पूरे शहर के नालों का गंदा पानी बिना ट्रीटमेंट के यमुना में डाला जा रहा है, जिससे प्रदूषण की समस्या और बढ़ गई है। बैराज कई वर्षों से बंद पड़ा है, जबकि इसे नदी में उचित जल स्तर बनाए रखने के लिए बनाया गया था। यमुना का जल बिजली उत्पादन हेतु नहरों में अधिक मात्रा में डाल दिया जा रहा है, जिससे जल स्तर पर और प्रभाव पड़ रहा है।


यमुना मंदिर एवं गुरुद्वारा श्री पाँवटा साहिब घाट के सामने जल स्तर बनाए रखने हेतु बैराज का निर्माण किया गया है। सरकारी समझौते के अनुसार, मुख्य नदी बेसिन में पर्याप्त जल प्रवाह बनाए रखने हेतु नियमित निगरानी एवं आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
संस्थाओं ने सभी संबंधित प्राधिकरणों, स्थानीय निकायों और जल विभाग से निवेदन किया है कि यमुना नदी में आवश्यक जल स्तर बहाल करने, प्रदूषण नियंत्रण एवं बैराज की मरम्मत के साथ-साथ नहरों में उचित जल प्रवाह सुनिश्चित करने हेतु तुरंत कार्रवाई करें। कृपया इस दिशा में उचित कदम उठाकर नदी के पुनरुद्धार एवं पर्यावरणीय संतुलन को सुनिश्चित करें।