बड़ी खबर- जयराम राज्य में गो सेवक का घर ऑन सेल ddnewsportal.com

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जयराम राज्य में गो सेवक का घर ऑन सेल

गोवंश की सेवा करते सब कुछ लगाया दाव पर, अब घर बेचने की आ गई नौबत।

जयराम राज्य हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब मे एक गोसेवक को अपना घर बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। कारण गोवंश भूखा न रहे और उसे दो वक्त का चारा मिलता रहे। साथ ही लोगों व बैंक का कर्ज भी चुकाया जा सके। गोसेवक ने सोशल प्लेटफार्म पर हाऊस ऑन सेल की पोस्ट भी कुछ दिन पूर्व शेयर कर दी है।  
दरअसल, पांवटा साहिब के गो सेवक सचिन ओबराॅय ने बहराल मे श्री

सत्यानंद गोधाम के नाम से एक गोशाला खोली है। मन में सड़क पर बेसहारा घूम रहे गोवंश को आश्रय देने के उद्देश्य से यह काम शुरू किया और इसके लिए अपनी और परिवार की जीवन भर की जमा पूंजी लगा दी। जमीन खरीदी और वहां पर गोशाला निर्माण किया। इसके लिए बैंक और कुछ निजी

लोगों से ॠण भी उठाया। साथ ही दर्जनो गोवंश सडकों से उठाकर अपनी गोशाला पंहुचाए। कुछ लोग यह कहते भी सुनाई दिये कि घाटे का सौदा कर लिया। इतना पैसा लगाकर कोई बिजनेस ही कर लेता तो दो पैसों की आमदन हो जाती। लेकिन उन्हें क्या मालूम की सचिन ओबराॅय ने व्यापार नहीं सेवा का मार्ग चुना। तभी इस काम का जुनून उन पर इस कदर सवार हो गया कि

सबकुछ दांव पर लगा दिया। अपनी गोशाला में अपने सामर्थ्य के मुताबिक गोवंश सड़क से उठाकर रखे। लेकिन जब देखा कि सडकों पर बेसहारा गोवंश की तादात बढ़ती जा रही है तो विभाग और सरकार से भी इन्हें सरकारी गोशाला और गो अभ्यारण्य में भेजने की मांग को लेकर पहले तो एसडीएम कार्यालय के समक्ष 24 घंटे का सांकेतिक अनशन किया और जब कोई कारवाई न हुई तो पांवटा के रामलीला मैदान में गोवंश को साथ लेकर आमरण अनशन पर बैठ गये। यहां पर पांच दिन के अनशन के बाद जिला

प्रशासन ने सुध ली और मांगों पर उचित कार्रवाई का उपायुक्त सिरमौर राम कुमार गौतम ने फोन पर आश्वासन दिया। जिसके बाद अनशन खत्म हुआ। उसके बाद नाहन और पांवटा साहिब में बेसहारा गोवंश को गोशाला पंहुचाने की मुहिम शुरू हुई। हालांकि अभी भी गोवंश शहर में घूम रहे हैं लेकिन प्रशासन इन्हें पकड़ने से पहले इनके आश्रय का प्रबंध कर रहा है। इस अनशन के लिए जब वित्तीय समस्या सामने आई तो गोसेवक की माता मीना ओबराॅय ने अपने हाथों से सोने के कंगन उतार कर बेटे को दे दिये जिसे गिरवी रखकर कुछ पैसों की व्यवस्था हुई। आमतौर पर ऐसे लोगों को पागल कहते हैं जो इन बेसहारा बेजुबानों के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर रहा है। 
अब सड़क पर घूम रहे बेसहारा गौवंश को तो धीरे धीरे आश्रय मिलने लगा है लेकिन अब अपनी गोशाला में रखे गये करीब 45 गोवंश के चारे की समस्या उभरने लगी। आर्थिक तौर पर पूरी तरह से खाली हो चुके सचिन ओबराॅय ने अंत मे फैसला लिया कि अब अपना रिहायशी मकान बेचना ही पड़ेगा ताकि

गोशाला में रखे गोवंश के चारे की समस्या तो कुछ समय तक दूर हो सके और कर्जदारों से भी छुटकारा मिल सके। इसके अलावा भी प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे सड़कों से निराश्रित गोवंश को गोशाला भेजने के अभियान के तहत भी उन्होंने फिल्हाल 10 और गोवंश अपनी गोशाला में भेजने की पेशकश रखी है।
उऋर, पूछे जाने पर गोसेवक सचिन ओबराॅय ने कहा कि अत्याधिक कर्ज़ हो जाने और परिवार में आय का कोई साधन न बचने के बाद अब घर बेचना ही

एकमात्र विकल्प है। पहले गोशाला के पास परिवार के लिए एक-दो कमरे बना लें और साथ ही जंगल व खाले की तरफ एक सुरक्षा दीवार बना लूं ताकि परिवार और गोवंश की सुरक्षा बनी रहे। इसके लिए जमीन की डिमारकेशन काफी समय से लंबित है लेकिन राजस्व विभाग इसमें भी आनाकानी कर रहा है। जिससे वह परेशान है।