पिछड़े गिरिपार की महिलाओं को जागरुक कर बताए उनके अधिकार ddnewsportal.com
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष- 02
पिछड़े गिरिपार की महिलाओं को जागरुक कर बताए उनके अधिकार
समाज सेविका आशा तोमर ने नशे के साथ साथ स्वच्छता पर भी जागरुकता अभियान छेड़ महिलाओं को बुराई के प्रति आवाज उठाने को किया सशक्त।
आज समाज मे महिलाएं किसी दर्जे मे पुरुष से कम नही है। अनैकों फील्ड मे महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का डंका बजाया हैं। आज देश के हर कौने मे छोटे से छोटे शहर मे भी महिलाओं ने अपनी जिम्मैदारियों को बखूबी निभाकर देश के विकास मे अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम ऐसी महिलाओं की उपलब्धियां आप सभी के समक्ष ला रहे हैं जो समाज को एक बड़ी प्रेरणा दे रही है। समाजसेवा हो या देश सेवा हर क्षेत्र मे अब महिलाएं घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश के विकास मे अपना अहम योगदान दे रही हैं। ऐसी प्रेरणास्रोत्र शख्सियतों को देश दिनेश न्यूज पोर्टल का सैल्यूट..........
सिरमौर जिले के पिछड़े गिरिपार क्षेत्र की महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करने और क्षेत्र मे नशे के अवैध व्यापार को बंद करने के प्रति उन्हे जागरुक करने मे महिला जागृति मंच की अध्यक्ष व समाजसेवी आशा तोमर का बड़ा योगदान रहा है। पिछले करीब 12 वर्षों से वह अपने अभियान मे जुटी हुई है तथा हर गांव मे महिलाओं के समूह बनाकर उन्हे अपने गांव को
स्वच्छ व सुंदर तथा नशा मुक्त बनाने का दायित्व सौंप दिया है। उनकी मुहिम
काफी रंग ला चुकी है तथा गिरिपार क्षेत्र के कई गांव आज नशामुक्त हो चुके है। जानकारी के मुताबिक करीब एक दशक पूर्व गिरिपार के शिलाई क्षेत्र मे
अवैध शराब का धंधा जोरों पर था। पुलिस भी इस कारोबार पर पूरी तरह से अंकुश नही लगा पा रही थी। इस कारोबार के चलते लोग विशेषकर युवा शराब की लत मे जकड़ रहे थे। समाजसेवी आशा तोमर ने सोंचा कि यदि इसी प्रकार चलता रहा तो एक दिन क्षेत्र का युवा भविष्य तबाह हो जाएगा। उन्होने हर गांव मे जाकर महिलाओं को एकत्रित कर उन्हे नशे के दुष्प्रभाव के प्रति जागरुक किया तथा उन्हे उनकी शक्ति बताई। उन्होने धीरे धीरे कई गांव मे महिला संगठन खड़े कर दिए तथा यह महिलाएं इतनी सशक्त हो गई कि कई जगहों पर व गांवों मे पूर्ण रुप से शराब पर पाबंदी लग गई। उनके द्वारा खड़े किए गए महिला संगठनो ने शराब माफियाओं को अवैध शराब समैत पकड़वाकर पुलिस के हवाले भी किया है जो प्रशंसनीय है। आज जब वह क्षेत्र मे जाती है तो उन्हे इस बात की खुशी होती है कि क्षेत्र की महिलाएं अपने
अधिकारों मे प्रति जागरुक हो रही है। आशा तोमर का जन्म 27 अगस्त 1973 को गांव दुगाना में पिता भीम सिंह व माता जंयती देवी के घर हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई। इसके बाद 1993 में इनकी शादी कमरउ के प्रतिष्ठित व्यक्ति एंव खनन व्यवसायी मियां चतर सिंह तोमर के साथ हुई। इनके मन में बचपन से ही समाजसेवा करने की इच्छा थी। जिस कारण उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने का संकल्प लिया। इसके बाद यह महिला पीछे नहीं हटी। इन्होंने फिर नशा निवारण, रेडक्रास समिति व पुलिस सामुदायिक योजना की सदस्य बनकर समाज में फैली बुराईयों को दूर करने का संकल्प लिया। इन्होंने मद्य निषेध, महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना, स्वयं सहायता समूह में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ाई। देश दिनेश न्यूज पोर्टल से बातचीत मे उन्होने बताया कि समाज फैली कुरीतियों के खिलाफ इनका अभियान आज भी जारी है। आज वह इसके अलावा महिलाओं को स्वच्छ भारत अभियान से भी जोड़कर गांव की सफाई मे महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित कर रही है। उनके समाज के प्रति किए गए अविस्मरणीय कार्यो के लिए उनको कई स्वंयसेवी संस्थाए सम्मानित भी कर चुकी है।