सर्वेक्षण ही होता रहेगा या लाईन भी बनेगी ddnewsportal.com
सर्वेक्षण ही होता रहेगा या लाईन भी बनेगी
पूछती है जनता, रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कही अब जगाधरी से सर्वेक्षण की बात, जानिये सर्वेक्षण का इतिहास.....
जगाधरी-पांवटा साहिब रेललाइन बिछाई जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार नए सिरे से सर्वेक्षण करेगी। यह बात सोमवार को शिमला मे केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कही। उन्होंने कहा कि पांवटा साहिब औद्योगिक क्षेत्र है। यहां तैयार होने वाले उत्पाद रेल के जरिये भेजे जाएंगे। उनकी इस बात से सिरमौर की जनता को फिर से नई आस जगी है, खुशी भी है। साथ ही लोग यह भी कह रहे हैं कि पांवटा साहिब के लिए कभी रेल लाइन भी बनेगी या सिर्फ सर्वेक्षण ही होते रहेंगे। दरअसल, रेललाईन की मांग पांवटा साहिब की बड़ी
पुरानी मांग है। पिछले 6 दशक से यह मुद्दा चुनावों मे तो जरूर गूंजता है लेकिन बात कभी सर्वे से आगे नही बढ़ती।
ओद्योगिक व शिक्षा के हब मे उभर रहे तीन राज्यों के सीमांत नगर पांवटा साहिब के लिए रेल लाईन मिलने की दशकों पुरानी मांग की आवाज लंबे समय से फाईलों मे ही दफन होकर रह गई है। औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण भी रेल मंत्रलाय ने कभी हिमाचल और सिरमौर को बजट मे खास तरजीह नही दी। पहले कांग्रेस की केंद्र सरकार ने सिरमौर की यह मांग रददी की टौकरी मे फेंकी तो बाद मे भाजपा की केन्द्र सरकार ने भी 8 साल मे अनदेखी की कोई कसर नही छोड़ी। जानकारों का कहना है कि पिछले करीब 6 दशक से कभी यमुनानगर के जगाधरी से तथा कभी चंडीगढ़ से सर्वेक्षणों का दिखावा जरुर होता रहा लेकिन गाड़ी उससे आगे नही बढ़ पाई।
पांवटा साहिब मे देशभर के करीब एक दर्जन से अधिक राज्यों के लोग बसते है। कुछ रोजगार की तलाश मे यहा पंहुचे है तो कई बिजनेस और नौकरी मे यहां सेटल है। ऐसे मे शहर मे रौजाना बाहरी राज्यों से लोगों का आवागमन रहता ही है। दूसरे यहां पर उद्योगों मे कई प्रकार का माल तैयार किया जाता है जो देश के कौने कौने और यहां तक कि बिदेश मे भी जाता है। उद्योगों का कच्चा माल भी रेल मे आसानी व कम खर्चे मे आ सकता है। इसके अलावा पांवटा साहिब के प्रसिद्व दशम पिता गुरु गोबिन्द सिंह के गुरुद्वारे मे भारत ही नही बल्कि विदेशों से भी सिख संगते आती रहती है। रेल लाईन के जुड़ने से पांवटा दून का पहाड़ी गिरिपार क्षेत्र भी र्प्यटन की दृष्टि से विकसित हो जाता। लेकिन बात सर्वेक्षण से आगे बढ़ती ही नही। इस मामले को बार बार पांवटा की आधा दर्जन से अधिक निजी संस्थाएं भी लगातार उठा रही है। प्रदेश के मुख्यमत्री समैत केन्द्र मे प्रधानमंत्री व रेल मंत्री को भी पत्र लिखकर इस मांग को पूरा करवाने की मांग की जाती रही है।
राष्ट्रीय विकास समिति के सिरमौर जिला प्रभारी व वरिष्ठ पत्रकार ई. नरेन्द्र मोहन रमौल तो पूरे जीवनकाल मे इस दिशा मे प्रयास करते रहे। अब वह हमारे बीच नही हैं लेकिन उनके प्रयास शायद भविष्य मे कामयाब हों। रेललाईन की मांग को लेकर चैम्बर ऑॅफ कार्मस पांवटा साहिब के अध्यक्ष सतीश गोयल, गुरूद्वारा प्रंबधक कमेटी पांवटा साहिब के पूर्व मेनेजर कुलवन्त सिंह चौधरी व पांवटा साहिब व्यापार मंडल के प्रधान व ब्लू प्रिंट विजन कमेटी के संयोजक अनिन्द्र सिंह नौटी आदि का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा रेल मंत्री को लगातार पत्र भेजे गये जिसमे पांवटा साहिब को रेललाईन से जोड़ने की मांग की जाती रही।
वहीं यदि पांवटा साहिब के लिए रेललाईन के प्रयासों को सर्वे का रिकार्ड खंगाला जाए तो जगाधरी-पांवटा-राजबन रेल मार्ग बनाने हेतु सर्वेक्षण का कार्य वर्ष 1972 मे भी किया गया। एक सूचना के अनुसार रेल मंत्रालय द्वारा पांवटा को पेवाह से जगाधरी होते हुए रेल मार्ग से जोड़ने का एक प्रस्ताव योजना आयोग को भेजा गया परन्तु निर्माण की ओर एक कदम भी नही बढ़ सका। एक विश्वस्त सूचना के अनुसार केन्द्रीय सरकार मे रेल राज्यमंत्री रहे अधीर रजंन चौधरी ने अपने कार्यकाल मे संसद में एक प्रश्न का उतर देते हुए कहा था कि घनौली-बददी-नालागढ़-कालाआम्ब-पांवटा-देहरादून के बीच नई रेलवे लाईन का सर्वेक्षण कार्य पूरा कर लिया गया है व अनुमानित राशि के अनुमोदन हेतु प्रस्ताव योजना आयोग को भेजा गया है। लेकिन अभी तक स्थिति जस की तस है। वहीं संसदीय क्षेत्र के तत्कालीन सांसद वीरेन्द्र कश्यप ने कहा था कि वह यमुनानगर या सहारनपुर से रेल लाईन पांवटा साहिब के लिए जोड़ने का पूरा प्रयास करेंगे।
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पचास के दशक से चल रहा है सर्वेक्षण
जानकारी के मुताबिक सिरमौर जिला के पांवटा क्षेत्र को रेल लाईन से जोड़ने हेतु 50 के दशक मे सर्वेक्षण का कार्य आरम्भ किया गया था जिसमें पांवटा को यमुनानगर (जगाधरी,) सहारनपुर अथवा चण्डीगढ़ से जोड़ने की संभावनाएं तलाशी जानी थी। वर्ष 1962 मे सर्वेक्षण का कार्य किया भी गया। चण्डीगढ़ से देहरादून वाया बद्दी औद्यौगिक क्षेत्र, कालाआम्ब, पांवटा साहिब, सेलाकुई रेल लाईन बिछाने के लिए ममता बेनर्जी के मंत्रीत्वकाल मे 2 करोड़ रूपये की धनराशि आबंटित भी की गई थी परन्तु बताया जा रहा है कि तब से मामला फाइलों मे ही दब कर रह गया। अब पांवटा साहिब के लिए जगाधरी से सर्वेक्षण करने की रेल मंत्री ने बात कही है।