हिमाचल शिक्षा विभाग का स्कूलों को लेकर बड़ा निर्णय ddnewsportal.com
हिमाचल शिक्षा विभाग का स्कूलों को लेकर बड़ा निर्णय
218 स्कूलों को मिलेगी सौगात, 1360 दिव्यांग को ये तोहफा...
हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग ने स्कूलों को लेकर फिर बड़ा निर्णय लिया है। विभाग के इस निर्णय से सरकारी स्कूल अब प्राईवेट स्कूलों के साथ मुकाबले में खड़े होंगे। दरअसल, प्रदेश में शिक्षा विभाग द्वारा नौवीं से बारहवीं कक्षा वाले 218 सरकारी स्कूलों में आईसीटी (कंप्यूटर) लैब बनाई जाएंगी। साथ ही 1360 दिव्यांग बच्चों को टैबलेट दिए जाएंगे। यही नहीं, प्रदेश के 741 और स्कूलों में प्री प्राइमरी की कक्षाएं शुरू की जाएंगी। पहली से पांचवीं कक्षा के 2.75 लाख बच्चों को पढ़ाने के लिए टीचिंग-लर्निंग मैटीरियल तैयार किया जाएगा। केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक में प्रदेश के अधिकारियों की ओर से रखे गए विभिन्न प्रस्तावों को मंजूर करते हुए 943 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया है। समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय के माध्यम से इस बजट को खर्च किया जाएगा। निपुण भारत मिशन के तहत वर्ष 2026-27 तक प्रत्येक बच्चे को तीसरी कक्षा के अंत तक पढ़ने, लिखने एवं अंक गणित को सीखने की क्षमता प्रदान करने का
लक्ष्य रखा गया है। टीचर ट्रेनिंग मॉडयूल को विकसित करने का दायित्व एससीईआरटी सोलन को सौंपा जाएगा। कक्षा एक से पांच तक के लिए लर्निंग मैटीरियल उपलब्ध करवाए जाएंगे। बच्चों का ज्ञान कौशल, दृष्टिकोण, क्षमता और विश्वास को इसके तहत बढ़ाया जाएगा। प्रदेश में 2.75 लाख विद्यार्थियों को इस मिशन में शामिल किया गया है। प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड ने कंप्यूटर शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 218 स्कूलों के लिए आईसीटी लैब मंजूर की है। इसके अलावा छठी से आठवीं कक्षा तक के 50 और सरकारी स्कूलों में प्री वोकेशनल शिक्षा दी जाएगी। बीआरसी स्तर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा दी जाएगी।
बीते वर्ष के मुकाबले 157 करोड़ बढ़ा बजट-
प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक में वर्ष 2022-23 के लिए मंजूर हुआ बजट बीते वर्ष के मुकाबले 157 करोड़ रुपये अधिक है। वर्ष 2021-22 के लिए केंद्र सरकार ने 786 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया था।
विद्यार्थियों का बनेगा डाटा बैंक, कमियां-विशेषताएं होंगी दर्ज-
विद्या समीक्षा केंद्र योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पहली से बारहवीं कक्षा तक में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों का एक पोर्टल पर डाटा बैंक तैयार होगा। इसमें विद्यार्थियों की कमियों और विशेषताओं का उल्लेख किया जाएगा। इससे किसी शिक्षक के स्थानांतरित होने पर स्कूल में आने वाले नए शिक्षक को विद्यार्थियों के बारे में जानने में आसानी होगी।