अंतिम चरण पर है 251 करोड़ रूपये के 22 किलोमीटर के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट की स्वीकृति ddnewsportal.com
यमुना नदी चेनेलाइजेशन पांवटा साहिब के लोगों के लिए बनेगा वरदान
अंतिम चरण पर है 251 करोड़ रूपये के 22 किलोमीटर के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट की स्वीकृति, विधानसभा की 480 हेक्टेयर भूमि का होगा संरक्षण,
जलशक्ति मंत्रालय की 2020 में मिल चुकी है हरी झंडी, 2015-16 में सरकार ने मंगवाई थी डीपीआर, पढें पूरी खबर...
नदियों से घिरे पांवटा साहिब उपमंडल मे नदियां रोद्र रुप दिखाकर तबाही लाती है। बरसात मे हर साल बड़ी और छोटी नदियां करोड़ों रुपये का नुकसान कर जाती है। इसमे मुख्य नदी यमुना सहित सहायक नदियां बाता और गिरि नदी सहित कईं खड्ड शामिल है। जिला मे बरसात शुरु होते ही नदियों सहित कईं खड्ड उफान पर रहते हैं। हर साल तटीयकरण के अभाव मे ये खड्ड जहां आईपीएच की योजनाओं को बहा ले जाते हैं वही किसानों की कूहल लगती जमीनों का नामो-निशान मिटा देती है। इसी कड़ी मे प्रदेश से गुजरने वाली यमुना नदी भी शामिल है जो विभाग के मुताबिक हर साल 400 से 500 करोड़ का नुकसान कर जाती है। इसी को मध्य नजर रखते हुए जलशक्ति विभाग ने उक्त नदी के हिमाचल की तरफ के 22 किलोमीटर के दायरे को चेनेलाईजेशन करने की डीपीआर जलशक्ति मंत्रालय को भेजी थी। जिसे वर्ष 2022 मे मंत्रालय ने हरी झंडी दे दी थी। उसके बाद इसे केन्द्र की केबिनेट मे अप्रवूल को रखा जाना था। अपुष्ट सूचना है कि इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल से भी स्वीकृति मिल गई है और पैसा आते ही इसके टेंडर लग जाएंगे। यह डीपीआर 250.56 करोड़ रुपये की है। इसमे खोदरी से लेकर बहराल कौंच वैली गुरुद्वारा साहिब तक का करीब 22 किलोमीटर का हिमाचल की तरफ का दायरा शामिल है। विभाग के मुताबिक भेजी गई डीपीआर मे बताया गया था कि यमुना नदी हर साल हिमाचल के किसानों और विभाग की स्कीमों का करीब 400 से 500 करोड़ रुपये का नुकसान
कर जाती है। तटीयकरण के बाद इस बड़े नुकसान से बचा जा सकेगा। काबिलेजिक्र है कि यमुना सहित गिरि नदी के तटीयकरण की योजनाओं की डीपीआर बनाने मे एसडीओ देवानंद पुंडीर का अहम रोल रहा है। गोर हो कि पांवटा साहिब उपमंडल मे अभी तक बाता नदी और शुंकर खड्ड का तटीयकरण हो चुका है। जलशक्ति विभाग ने शुंकर खड्ड का तटीयकरण का कार्य वर्ष 2017-18 मे पूरा कर लिया है। इस खडड पर कोलर से लेकर घुंघलो तक के 11650 मीटर दायरे मे चैनेलाईजेशन हुआ है जिसमे 14 करोड़ 37 लाख रुपये खर्च हुए हैं। इससे 584.60 हेक्टेयर भूमि सुरक्षित हुई है। इसी प्रकार बाता नदी के तटीयकरण पर भी विभाग ने 34 करोड़ 67 लाख रुपये खर्च कर 1537.81 हेक्टेयर जमीन को बरबाद होने से बचाया है। जलशक्ति विभाग ने बाता नदी का तटीयकरण बातापुल से लेकर बायकुंआ तक के दायरे मे नदी के दोनो तरफ 18470 मीटर का चैनेलाईजेशन किया है। यह कार्य भी वर्ष 2017-18 मे पूरा हुआ। चैनेलाईजेशन से पूर्व बाता नदी हर साल करीब 8 करोड़ का नुकसान कर जाती थी जो अब बचाया जा सका है।
जलशक्ति विभाग मंडल पांवटा साहिब के अधिषासी अभियंता अरशद रहमान ने बताया कि विभाग ने यमुना नदी की 250.56 करोड़ की डीपीआर तटीयकरण के लिए भेजी थी जो जलशक्ति मंत्रालय से स्वीकृत हो चुकी है। अब यह केंद्रिय केबिनेट मे अप्रवूल हुई है कि नही, फिलहाल उन्हे इस बारे कोई पत्र नही पंहुचा है। हालांकि योजना की स्वीकृति फाइनल स्टेज पर है। यमुना नदी के तटीयकरण से हर साल करोड़ों रुपयों की तबाही को रोका जा सकेगा।
क्या बोलती है राजनीति-
डीपीआर से सेंक्शन तक दिया योगदान: सुखराम चौधरी
हिमाचल प्रदेश सरकार के बहुद्देशीय परियोजना एवं ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने कहा कि यमुना तटीयकरण की योजना को लेकर वह सरकार बनते ही सक्रिय हो गये थे। वर्ष 2017 में उन्होंने सर्वे करवाकर योजना की
डीपीआर बनाई। उसके बाद सरकार के सहयोग से डीपीआर केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय को भिजवाई। वह लगातार फोलोअप करता रहे और अब यह सेंटर कैबिनेट में पास हो गई है। जैसे ही पैसा जारी होता है तो इसके टेंडर लगवाये जायेंगे। यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस तो कहती है कि डीपीआर उनकी सरकार के कार्यकाल में बनी थी, इस पर ऊर्जा मंत्री ने कहा कि सब झूठी बातें है। कोई डीपीआर नही बनी थी। सारा काम उन्होंने शुरू से किया है। कांग्रेस झूठ बोलने में माहिर है।
कांग्रेस की बोई फसल काट रही भाजपा: किरनेश
पांवटा साहिब के पूर्व विधायक चौधरी किरनेश जंग का कहना है कि पांवटा साहिब मे कांग्रेस द्वारा बोई फसल को अपनी बताकर भाजपा के मंत्री काट रहे हैं और विकास का श्रैय ले रहे हैं। पूर्व विधायक ने कहा कि जिस अढ़ाई सौ करोड़ रूपये के यमुना तटीयकरण की स्वीकृति का श्रैय उर्जा मंत्री ले रहे हैं, वह उनके कार्यकाल मे पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के प्रयासों से हुआ है।
उन्होंने कहा कि पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल मे 2015-16 उन्होंने आईपीएच विभाग से पांवटा साहिब की सभी नदियों के चेनेलाईजेशन की डीपीआर तैयार करवाई। जिसमे यमुना नदी का किलौड़ से बहराल कौंच वैली गुरूद्वारा तक का तटीयकरण भी प्रस्तावित था। डीपीआर भिजवाने के बाद वह लगातार संबंधित विभाग और केंद्र के अधिकारियों के संपर्क मे रहे। उनके कार्यकाल मे ही डीपीआर केंद्र मे संबंधित मंत्रालय मे चली गई थी। जिसमे से यमुना नदी के चेनेलाईजेशन की स्वीकृति अब मिल चुकी है। इस चेनेलाईजेशन की फसल कांग्रेस ने बोई है जिसे अब ऊर्जा मंत्री काट रहे हैं और पूरा श्रैय ले रहे हैं लेकिन जनता सब जानती है कि ये किसके प्रयासों से हुआ है।