चूड़धार शिरगुल महाराज के दर्शनों को भक्त रवाना ddnewsportal.com

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फोटो: चूड़धार स्थित चूडेश्वर महाराज।

चूड़धार शिरगुल महाराज के दर्शनों को भक्त रवाना

संक्रांति और वीकेंड के मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने किया महाराज की तपोस्थली की ओर रूख, समीति की रात को सफर न करने कि अपील।

दो वर्ष के कोरोना काल के कारण धार्मिक यात्राएं भी खासी प्रभावित रही। यही कारण है कि अब कोरोना के मामलों मे गिरावट और प्रतिबंध हटाने के बाद भक्त धार्मिक स्थलों की ओर रवाना हो चले हैं। सिरमौर जिला की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित शिरगुल महाराज की तपोस्थली चूड़धार की और भी भक्त रवाना होने लगे हैं। शनिवार को भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने चूड़धार का रुख किया। वीकेंड और संमक्रांति के अवसर पर हिमाचल के अलावा बाहरी

राज्यों से आए श्रदालु नोहराधार के रास्ते से शिरगुल महाराज के दर्शन के लिए चूड़धार की चोटी के लिए निकल पड़े है। गौरतलब है कि हिमाचल के प्रमुख आस्था स्थलों मे शुमार चूड़धार में हर साल लाखों श्रदालु अपने अराध्य देव शिरगुल महाराज के दर्शन करने पहुंचते है। दो वर्षों से कोविड के चलते श्रद्धालु चूड़धार नही जा पा रहे थे। हालांकि फिर भी चोरी छिपे कुछ श्रदालु चूड़धार जाते थे। लेकिन अब सारे प्रतिबंध हटते ही श्रद्धालुओं का चूड़धार मंदिर में तांता लग गया है। मई माह में कपाट खुलते ही व चूड़धार में ठहरने की उचित व्यवस्था के चलते चूड़धार में श्रदालुओं के जाने का रिकॉर्ड टूट गया। नौहराधार के रास्ते से शनिवार को करीब चार घंटो का पैदल सफर कर

हजारों की संख्या में श्रदालु चुडधार पहुंचे। अभी भी चूड़धार में बर्फ जमी पड़ी है। हालांकि सरकार द्वारा नोहराधार से चूड़धार के लिए रोपवे प्रस्तावित है यदि रोपवे का निर्माण कार्य शीघ्र होता है तो निश्चित तौर पर बाहरी राज्य के श्रदालुओं को शिरगुल महाराज के दर्शन करने में आसानी होगी। बाहरी राज्यों अथवा हिमाचल के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे कईं श्रद्धालुओं को नौहराधार में मौजूद होटल व गेस्ट हाउस आदि में कमरे फुल भरे रहे। नौहराधार के रास्ते में अस्थाई ढाबे खुल चुके है तथा स्थानीय ढाबा संचालक भी यात्रियों को अपनी दुकानों में जगह देकर उनकी मुश्किलों को कम करने का प्रयास करते है। चूड़धार में खासकर मई माह से नवंबर माह तक शिव भक्तो का यहां पर खूब ताँता लगा रहता है। मगर इस वर्ष अप्रैल में ही श्रदालु

चूड़धार मंदिर पहुंच रहे है। बहराल परम्परा के अनुसार बैशाखी पर कपाट खोल दिए जाते है। अमावस्या व अन्य शुभ तिथियों में यहां पर श्रदालुओं का आंकड़ा पांच हजार के पार भी चला जाता है। चूड़ेश्वर सेवा समिति के प्रबंधक बीआर शर्मा ने श्रदालुओं से अपील की है कि कोई भी श्रद्धालु रात को सफर न करें क्योंकि यहां रात को सफर करना जान जोखिम में डालना है।


वहीं समीति ने चूड़धार जा रहे श्रद्धालुओं व यात्रियों से यंहा प्लास्टिक अथवा पोलिथीन का कचरा न फैलाने की अपील की है तथा स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने का आह्वान किया है।