धातुओं के दाम मे बेतहाशा बढ़ौतरी से गरीबों की फीकी रहेगी धनतेरस ddnewsportal.com

धातुओं के दाम मे बेतहाशा बढ़ौतरी से गरीबों की फीकी रहेगी धनतेरस ddnewsportal.com

अब बर्तन खरीदना भी आम आदमी की पंहुच से हुआ बाहर 

स्टील सहित धातुओं के दाम मे बेतहाशा बढ़ौतरी से गरीबों की फीकी रहेगी धनतेरस, बर्तन विक्रेता भी परेशान 

मंहगाई की मार अब धरातल पर दिखाई देने लगी है। इस बार आम आदमी की धनतेरस भी फीकी रहने वाली है। स्टील सहित अन्य धातुओं के दाम ने इस वर्ष दुकानदारों की उम्मीदों को तो तोड़ा ही है साथ साथ जनता पर भी मार डाली है। लोग स्टील व अन्य धातुओं के बर्तनों की खरीदारी बहुत कम कर रहे हैं। तीन माह में स्टील के दाम में भारी बढ़ोतरी हुई है। दाम अधिक

होने की वजह से दुकानदारों का धंधा भी प्रभावित होने लगा है। बर्तनों की बिक्री में भी 50 फीसद तक की गिरावट दर्ज की गई है। धातुओं के दाम बढऩे से बर्तन भी महंगे हुए हैं। तीन माह के दौरान स्टील का रेट 210 से बढ़कर 250 रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच गया है। कांसा 900 से बढ़कर 1400 रुपये तक पहुंच गया है। वहीं, पीतल का रेट भी लगातार बढ़ रहा है। पीतल भी 400 से बढ़कर 750 रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच गई है। इसी प्रकार तांबा 700 से बढ़कर 1250 रुपये तक पहुंच गया है। एल्युमिनियम भी 190 से बढ़कर 250 रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच चुका है। त्योहारों के दौरान व्यापारियों ने अच्छे कारोबार की उम्मीद से दूसरे राज्यों से बर्तन मंगवाए हैं, लेकिन मांग काफी कम हो रही है। दरअसल, धनतेरस पर बर्तन खरीदना शुभ

माना जाता है, लेकिन लगातार बढ़ रहे रेट ने ग्राहकों का बजट बिगाड़ कर रख दिया है। आलम यह है कि त्योहारी सीजन में भी बर्तन विक्रेता ग्राहक के लिए तरस गए हैं। बर्तनों की बिक्री में भी 50 फीसद तक की गिरावट आई है। पांवटा साहिब के बर्तन विक्रेता अजय संसरवाल का कहना है कि स्टील व अन्य प्रकार की धातु इतनी अधिक महंगी कभी नहीं हुई हैं। बढ़ती महंगाई ने दुकानदारी चौपट कर दी है। थोक के रेट भी बहुत बढ़ गए हैं। अब ग्राहक को समझाना भी कठिन हो रहा है। जो ग्राहक तीन माह पहले बर्तन खरीदकर ले गये थे वो आजकल आ रहे हैं तो कहते हैं कि तीन माह मे दाम लगभग दोगुने कैसे हो गये। हालांकि स्पष्ट नही है लेकिन कहा ये जा रहा है कि राॅ मटेरियल चीन से आता है जो आजकल कम आ रहा है जिससे यकायक बर्तनों के दाम मे भारी उछाल आया है। कुछ भी हो मंहगाई की मार हर तरफ से घूम फिर कर गरीबों तक ही पंहुचती है।