स्थानीय बेरोजगार युवाओं को मोहरा बना रहे नशा माफिया- नौटी- ddnewsportal.com
स्थानीय बेरोजगार युवाओं को मोहरा बना रहे नशा माफिया
एडवोकेट अनिन्द्र सिंह नौटी ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखकर माफिया और विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई करने की उठाई मांग।
हिमाचल प्रदेश मे बेरोजगार युवाओं को नशा माफिया मोहरा बनाकर नशे का कारोबार कर रहे हैं। खुद पर्दे के पीछे रहकर बलि का बकरा स्थानीय युवाओं को बना रहे हैं। यह बात पांवटा साहिब के एडवोकेट अनिन्द्र सिंह नौटी ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को लिखे पत्र मे कही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह
से पांवटा साहिब के एक निहायत ही शरीफ और मिलनसार परंतु बेरोजगार साथी मनीष मोहन के साथ छल कपट के द्वारा नकली फार्मा कंपनी खड़ी करके नशीली दवाइयों का कारोबार फैलाया गया। ऐसे ही मामले हिमाचल प्रदेश में अनेकों जगह सामने आ रहे हैं। जहां नशीली दवाओं के कारोबार करने वालों ने स्थानीय बेरोजगार युवाओं के नाम पर फार्मा कंपनियां खड़ी कर दी ताकि पकड़े जाने की स्थिति में बड़े मगरमच्छ कानून की पहुंच से दूर रहें। उन्होंने कहा कि हाल ही मे पंजाब पुलिस द्वारा पांवटा साहिब के देवीनगर मे नशे की बड़ी खेप और लाखों कैप्सूल पकड़े जाने के मामले मे स्पष्ट होता है कि नशा माफिया द्वारा हिमाचल के बेरोजगार नौजवानों के नाम से फर्म खड़ी की जाती है। और परिवार के जीवन यापन और तन्ख्वाह के लालच मे उनसे ऐसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाये जाते हैं कि पकड़े जाने पर बड़े मगरमच्छ न फंसे हो हिमाचल के युवा जेल की हवा खाते रहें। पांवटा साहिब के बाद कालाअंब मे भी ऐसा ही मामला सामने आया। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मांग की है कि हिमाचल की सभी संदिग्ध फार्मा कंपनियों की ऑडिट होनी चाहिए कि सारी टर्नओवर सही हे ऐसे मालिक के खाते मे जाती भी है कि नही। इन पूरे प्रकरण को लेकर मुख्यमंत्री को उच्च स्तरीय जांच करवानी चाहिए और दोषी ड्रग डिपार्टमेंट और इंडस्ट्री मालिकों के उपर कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही जिन इंडस्ट्री मेन के पास कोडिन और ट्रामाडोल के 500 किलोग्राम के कोटे हैं उन उद्योगों को लगातार चेक करना, उनकी बिलिंग चेक और स्टाॅक चेक किया जाना चाहिए। ताकि इतना भारी मात्रा मे नशा कहाँ जा रहा है इसकी समय पर जानकारी मिल सके। स्टेट ड्रग विभाग ने हिमाचल को उड़ता हिमाचल बना दिया है। उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या स्टेट ड्रग कंट्रोलर को नही पता कि किस उद्योग को कोडिन और ट्रामाडोल के कितने कितने कोटे दिए गये हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस मामले की गहनता से जांच करवाई जाए ताकि देश विदेश मे हिमाचल की छवि धूमिल होने से बच सके। कम से कम हिमाचल की इस तरह से छवि बिगाड़ना तो किसी सरकार भी सरकार का लक्ष्य और विजन नही होना चाहिए। उन्हे आशा है कि मुख्यमंत्री इस मामले मे कठोर कदम उठायेंगे ताकि दूध का दूध और पानी का पानी जनता के समक्ष आ सके।