गोसेवा को घर तक गिरवी फिर भी अपने लिए नही गोवंश के संरक्षण के लिए मांगी मदद ddnewsportal.com

गोसेवा को घर तक गिरवी फिर भी अपने लिए नही गोवंश के संरक्षण के लिए मांगी मदद ddnewsportal.com
पांवटा साहिब: क्षेत्र के दौरे पर आए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मुलाकात कर गोवंश संरक्षण के सुझाव सौंपते गो सेवक सचिन ओबराॅय।

गोसेवक सचिन ओबराॅय ने मुख्यमंत्री से की मुलाकात

गोसेवा को घर तक गिरवी, लाखों का कर्ज, फिर भी अपने लिए नही गोवंश के संरक्षण के लिए मांगी मदद

सीएम को सौंपे प्रदेश में गोवंश संरक्षण व गो सदनों के हालात सुधारने के सुझाव, जयराम ठाकुर ने दिया अमल करने का आश्वासन।

गोवंश के हक के लिए लगातार 104 घंटे तक का अनशन करने वाले जिला सिरमौर के गोसेवक सचिन ओबराॅय ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से पांवटा साहिब प्रवास के दौरान मुलाकात की। सचिन ओबराॅय ने इस दौरान सीएम को गोवंश संरक्षण और गो सदनों के हालात सुधारने और उन्हे आत्मनिर्भर बनाने के लिए सुझाव पत्र भी सौंपा है। इन सबके बीच अहम् ये है कि अक्सर

परेशान लोग मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी समस्याएं रखते है ताकि उनका समाधान हो सचे। लेकिन गले तक कर्ज में डूबे और गो सेवा के जुनून में घर तक गिरवी रख चुके गोसेवक सचिन ओबराॅय ने मुख्यमंत्री से मिलकर भी अपने लिए कुछ नही मांगा। बात की तो सिर्फ पूरे प्रदेश मे सड़क पर घूम रहे गोवंश संरक्षण की और प्रदेश के सभी गो सदनों की हालत को किस तरह से सुधारा जा सकता है, इस पर सुझावों की। 
सचिन ओबराॅय ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र के माध्यम से जो सुझाव दिये हैं उसमे विशेष रूप से कहा है कि-

सविनय निवेदन है कि इतिहास में पहली बार आपकी सरकार ने गोसंरक्षण हेतु एतिहासिक फैसले लेते हुए गोसेवा आयोग का गठन किया व प्रदेशभर में निराश्रित गोवंश को संरक्षण देने की मुहीम चलाई है। लगातार बढ़ रही महंगाई के कारण इसके तहत गोशालाओं को दी जाने वाली आर्थिक अनुदान राशि से गोवंश का महीने भर का गुज़ारा भी काफी मुश्किल है। आपसे

निवेदन है की गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की ओर यदि जोर दिया जाए तो यह समस्या काफी हद तक कम हो पाएगी तथा अब भी जिला सिरमौर में करीब 5,00 व प्रदेशभर में करीब 10,000 गोवंश को भी आश्रय मिल पाने का रास्ता सुगम होगा. इसके लिए निम्नलिखित काफी कारगर साबित हो सकते हैं:- 

1. गोसेवा आयोग के जिला सदस्यों को प्रतिमाह जिले की गोशालाओं में जाने व समस्याएँ जानकर आयोग के समक्ष रखने हेतु कहा जाए. साथ ही पशु पालन डाक्टर भी गोशालाओं में पशुओं की नियमित जांच करें। 

2. गोशालाओं को गाय के पंचागाव्यों से बाई-प्रोडक्टस बनाने की गोबैज्ञानिकों द्वारा बेहतरीन ट्रेनिंग दी जाए।

3. गोशालाओं को गों-कास्ट, धूपबत्ती, अगबत्ती, गोमूत्र अर्क आदि मशीनों पर सब्सिडी दी जाए।

4. गो-कास्ट को शमशान घाट में 40%, थर्मल प्लांट, ईंट भट्टे सीमेंट प्लांट आदि में इस्तेमाल के लिए कोटा निर्धारित करने के सरकारी आदेश दिए जाएं. जिससे पेड़ व पर्यावरण भी बचेंगे।

5. गोशालाओं में बने प्रोडक्टस (धुप, अगबत्ती, उपले, घृत, गोमूत्र अर्क आदि) को राशन डीपो में बेचने का प्रावधान किया जाए जोकि आजकल बड़े शहरों में आनलाइन बिक रहे हैं।

6. हरियाणा व पंजाब से भूसा व पराली न्यूनतम मूल्यों पर खरीदकर जिले की काऊ सेंचुरी में हब बनाया जाए तथा जिलेभर की गोशालाओं को सस्ते दाम में उपलब्द्ध कराई जाए। (पराली जलाने वाले राज्य इसे फ्री में भी दे सकते हैं)

7. हिमाचल प्रदेश में लगातार बढ़ रहे पशु फीड व चारे के दाम और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए उचित नीति बनाई जाए (इस बार फीड के दाम 2600 व भूस के दाम 1400 प्रति क्विंटल तक पहुँचे)

8. वर्मी कम्पोस्ट खाद को भी यूरिया खाद के साथ 20-40% कोटा देकर खाद केन्द्रों पर उपलब्द्ध कराया जाए।

9. सभी गोशालाओं के लिए गोबर गैस प्लांट की स्कीम व उसपर सब्सिडी दोबारा शुरू की जाए।

10. जिला सिरमौर के लिए एक अन्य काऊ सेंचुरी पांवटा/नाहन की गोचर/शामलात/वन्य भूमि का चयन कर उसे शीघ्र खोलने का प्रावधान किया जाए। (कोटला बड़ोग में चीड़ के पेड़ों के जंगल में बना गो-अभ्यारण्य गायों को चुगने हेतु उपयुक्त स्थान नहीं है) 

11. दूसरे राज्यों से हज़ारों रूपयों का गोचारा (भूस व पराली) खरीदने वाले हिमाचल में ईथेनोल प्लांट जैसे प्रोजेक्ट्स लगाने के प्रस्तावों पर पुनह विचार किया जाए।

12. गोशालाओं को दी जाने वाली अनुदान राशि को 500 से 700 किया गया है उसे भी 1,000 किए जाने पर भी विचार किया जाए।

13. सभी गो-अभ्यारण्य में पूर्व निर्धारित 200 करोड़ के बजट के तहत ही गोबर गैस से सी.एन.जी. प्लांट या बिजली उत्पादन का भी प्रावधान कर दिया जाए ताकि वे भी आत्मनिर्भर बनें और अनेकों बड़े उद्योगों को इसका मेनेजमेंट दिया जा सके।

उन्होंने लिखा है कि मुख्यमंत्री जी आपके द्वारा पहली बार देवभूमि में गोसंरक्षण हेतु प्रभावी कदम उठाए गए हैं जोकि धरातल पर भी दिख रहे है। अतः आपसे करबद्ध निवेदन है कि इन सुझावों की ओर भी ध्यान देकर इन्हें लागू करने की कृपा करें ताकि हम सभी मिलकर हिमाचल प्रदेश को शीघ्र ही निराश्रित गोवंश मुक्त राज्य बना सकें।