गिरिपार: टेप रिकार्डर में जिनके गाने सुनकर नही भरता था मन, प्रसिद्ध लोकगायक आत्माराम शर्मा को मिलेगा माँ सरस्वती अवार्ड ddnewsportal.com
गिरिपार: टेप रिकार्डर में जिनके गाने सुनकर नही भरता था मन, प्रसिद्ध लोकगायक आत्माराम शर्मा को मिलेगा माँ सरस्वती अवार्ड
कैसेट में रिकार्ड कर घर-घर पंहुचाई सिरमौर की संगीतमय विरासत, लोक गाथाओं और हारुलों से सभी को करवाया रूबरू, 23 वर्ष बाद आज भी गुंजायमान है "हाटी की गूँज"
सिरमौर की लोक संस्कृति और गीतों को कैसेट के माध्यम से घर-घर पंहुचाने और वर्षों से अपनी गायकी से लोगों के दिलों पर राज करने वाले सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के प्रसिद्ध लोक गायक आत्माराम शर्मा को माँ सरस्वती सिरमौर अवार्ड से नवाजा जा रहा है। एक ऐसा समय रहा जब टेप रिकार्डर में कैसेट में आत्मा राम शर्मा के गाये गाने हर घर में बजते थे। सिरमौर की संगीतमय विरासत को लोगों तक पंहुचाने में इनका बड़ा योगदान रहा है। संस्कृति के क्षेत्र में अनुकरणीय एवं उत्कृष्ट कार्यों की बदौलत आत्माराम शर्मा को यह अवार्ड मिलने जा रहा है।
आत्माराम शर्मा मूलतः जिला सिरमौर के शिलाई क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव "भंगाटा" से संबंध रखते हैं। बचपन से ही लोक गीतों व गायकी के प्रति लगाव और रुचि से इन्होंने लोक कला और संस्कृति के क्षेत्र में अलग पहचान बनाई है। अपने पिता जी से विरासत में मिली इस कला, विद्यालय की बालसभाओं और अपने दाईचारे (च्याना) के कलाकारों से मिली प्रेरणा ओर मार्गदर्शन से लोकगीतों के प्रति उत्पन्न रुचि ने लोक संगीत (खासकर शिलाई क्षेत्र की कुछ लोक गाथाओं और हारुलों) आदि से सभी को रुबरू करवाया।
श्री शर्मा 1976 से इस क्षेत्र में अपने निरंतर कार्यों से योगदान दे रहे हैं। 2001 में इनकी प्रसिद्ध एल्बम "हाटी की गूंज" के शानदार गीत आज भी लोगों के जुबान पर चढ़े हुए है। इसके अलावा आपके कुछ प्रसिद्ध लोक गीतों में "हाटी की नाटी, हाटी धमाका 2003, कोनकुआ, राजीन, सिंघा बजीर आदि प्रसिद्ध लोक गीत शामिल है। इसके अतिरिक्त ये महफिल नाटी, गीह, रासा नृत्य, हारूल जैसी विधाओं में भी माहिर है।
आत्मा राम शर्मा लोक निर्माण विभाग (PWD) में बतौर कार्य निरीक्षक (Working Inspector) व प्रदेशाध्यक्ष के पद पर रहकर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। और वहां से सेवानिवृत होकर वर्तमान में समाज सेवा के कार्यों में योगदान देने के लिए भी सदैव तत्पर रहते है। इसके अतिरिक्त चुड़ेश्वर सेवा समिति के भी आजीवन सदस्य है, और धर्म-कर्म के कार्यों में भी बढ़ चढ़ कर योगदान देते हैं।