हाटियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं तो होगा चुनाव का बहिष्कार ddnewsportal.com

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हाटियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं तो होगा चुनाव का बहिष्कार

गिरिपार क्षेत्र के संगडाह की हाटी महाखुमली में गजरे पदाधिकारी, युवाओं में झलका आक्रोश।

हाटी समीति ने सरकारों को फिर से स्पष्ट तौर पर चेताया है कि यदि विधानसभा चुनाव से पूर्व हाटियों को जनजातीय दर्जा नही मिला तो क्षेत्र के तीन लाख लोग चुनाव का वहिष्कार करेंगे। रविवार को हाटी की गिरिपार क्षेत्र के संगडाह में महाखुमली का आयोजन हुआ। इस मौके पर केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष,  महासचिव कुंदन सिंह शास्त्री सहित युवाओं ने कहा कि हाटियों की फाइल हर तरह से कम्प्लीट है। प्रदेश में डबल इंजन की सरकार

है। मुख्यमंत्री तथा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष व राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हाटियों के साथ का ऐलान किया है। उन्होंने सरकार को स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यदि जून माह तक हाटियों की मांग पूरी नहीं की जाती है तो उसके बाद आर-पार की निर्णायक लड़ाई लड़ी जाएगी। अब लोगों का सब्र टूट रहा है। उन्होंने वहां मौजूद 5000 से अधिक लोगों से संकल्प लिया कि यदि आगामी चुनाव से पहले हाटियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं दिया जाता है तो सभी लोग चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
दरअसल, अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त करने के लिए पिछले 50 साल से गिरिपार क्षेत्र की 154 पंचायतों के 3 लाख से अधिक हाटी समुदाय के लोग आंदोलनरत हैं। इस कड़ी में अब हाटी महाखुमलियां आयोजित कर अपनी शक्ति और एकता का प्रदर्शन कर रहे हैं। रविवार को संगड़ाह में

महाखुमली आयोजित की गई। इसमें सरकार को हाटियों ने उनकी मांग पूरी करने के लिए जून तक का अल्टीमेटम देकर आर-पार की लड़ाई लडऩे का ऐलान कर दिया है। महाखुमली को संबोधित करते हुए केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष डाॅ. अमी चंद कमल ने कहा कि वैधानिक दृष्टि से हाटियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा तो 1979 में उसी वक्त मिल चुका है, जब भोलानाथ शास्त्री की अध्यक्षता वाले अनुसूचित जाति एवं जनजाति कमीशन ने भारत सरकार को गिरीपार क्षेत्र में रहने वाले हाटी कबीले को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की सिफारिश की थी। मगर तब से लेकर आज तक की सरकारों ने हाटियों के साथ अन्याय किया है। इस सिफारिश को लागू नहीं किया गया। इस महाखुमली में हाटियों में काफी रोश देखा गया।