पड़ोसी राज्यों मे खुल सकते हैं तो हिमाचल में क्यों नहीं- ddnewsportal.com
पड़ोसी राज्यों मे खुल सकते हैं तो हिमाचल में क्यों नहीं
लंबे समय से बंद पड़े स्कूलों के कारण बच्चों के भविष्य के प्रति इस संस्था ने जताई चिंता
ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करने की सरकार से उठाई मांग।
निजी स्कूलों के संगठन सिरमौर एजुकेशनल डेवलपमेंट सोसाइटी ने हिमाचल प्रदेश सरकार से स्कूलों को खोले जाने की मांग की है। बुधवार को गुरु नानक मिशन पब्लिक स्कूल सभागार में निजी स्कूलों के प्रमुखों ने एक पत्रकार वार्ता की जिसमे सभी ने एक स्वर में विद्यार्थियों की पढ़ाई की चिंता जताते हुए एसओपी के साथ स्कूल खोले जाने की मांग की है। गुरु नानक मिशन पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या देवेंद्र कौर साहनी ने कहा कि राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जानकार बुद्धिजीवी स्पष्ट कर चुके हैं कि घरों में रह कर कोरोना का मुकाबला नहीं किया जा सकता। खुद प्रधानमंत्री भी कह चुके हैं कि हमे कोरोना के साथ रहकर आगे बढ़ना है। ऐसे मे स्कूलों को ज्यादा समय तक बंद रखना एक पीढ़ी के साथ अन्याय होगा। उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली आदि राज्यों में यदि स्कूल ऑफलाइन शुरू हो सकते हैं तो हिमाचल मे क्यों नही। सरकार को इस दिशा मे अब कदम उठाना चाहिए। नई पीढ़ी को इस महामारी से लड़ने के लिए अनुशासित करने की आवश्यकता है। ऐसे में स्कूलों का खोला जाना अहम है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही एजुकेशन सिस्टम अपनी पटरी पर न
लौटा तो देश में ये जनरेशन कम समझ वाली होगी। सोसाइटी के महासचिव और विद्यापीठ स्कूल के प्रधानाचार्य एनएम वर्मा ने कहा कि कोरोना से हाई लोडेड पड़ोसी राज्यों में स्कूल खुल चुके हैं। वहां से कोई अशुभ समाचार नही मिलें है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश सरकार को भी साहस का परिचय देते हुए स्कूल खोलने का निर्णय लेना चाहिए। द स्कॉलर्स होम स्कूल के निदेशक एनपीएस नारंग, दून वैली स्कूल से प्रधानाचार्या शिवानी पांडेय और न्यू क्रिसेंट स्कूल से एनए हाशमी ने कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए आवश्यक है कि विद्यार्थियों को सक्षम बनाया जाए। स्कूल ही बच्चों में अनुशासन की भावना पैदा कर सकते हैं। सभी स्कूल विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर कोरोना की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि एसओपी के साथ सभी स्तर के स्कूल खोले जाएं। इस मौके पर लगभग एक दर्जन से अधिक निजी स्कूलों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।