श्री रेणुकाजी अंतर्राष्ट्रीय मेला: अपनी माता रेणुका जी से मिलने आयेंगे भगवान परशुराम ddnewsportal.com

श्री रेणुकाजी अंतर्राष्ट्रीय मेला: अपनी माता रेणुका जी से मिलने आयेंगे भगवान परशुराम ddnewsportal.com

श्री रेणुकाजी अंतर्राष्ट्रीय मेला: अपनी माता रेणुका जी से मिलने आयेंगे भगवान परशुराम 

सिरमौर जिले का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्रीरेणुका जी में सोमवार यानि आज से अंतरराष्ट्रीय मेला शुरु हो रहा है। मान्यता है कि हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को भगवान परशुराम अपनी मां रेणुकाजी से मिलने आकर अपना वचन निभाते हैं। सोमवार को होने वाले मां-बेटे के इस आध्यात्मिक मिलन के हजारों श्रद्धालु साक्षी बनेंगे। भगवान परशुराम अपनी मां रेणुका को दिए वचन को निभाने रेणुकाजी पहुंचेंगे।दो देवताओं के इस ऐतिहासिक व पारंपरिक मिलन के साथ ही पांच दिनों तक चलने वाला अंतरराष्ट्रीय रेणुका मेला सोमवार से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक जारी रहेगा। भगवान परशुराम की शोभायात्रा दोपहर बाद शुरू होगी। गिरि नदी के पावन तट से शुरू हुई यह शोभायात्रा शाम ढलने से पूर्व रेणुकाजी तीर्थ में प्रवेश करेगी। जहां त्रिवेणी घाट पर मां-पुत्र का विधिवत मिलन करवाया जाएगा।


शोभायात्रा के दौरान चढ़ती पालकी में देवताओं के दर्शन पाना अति शुभ व कल्याणकारी माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान मांगी गई मुराद अवश्य पूर्ण होती है। इसी मान्यता को लेकर शोभायात्रा में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ता है। शोभायात्रा के दौरान कुछ लोग देवताओं की पालकी के नीचे से होकर गुजरना भी शुभ मानते हैं। ऐसा करने से जहां उनकी आयु लंबी होती है वहीं देव कृपा भी उन पर हमेशा के लिए बनी रहती है।
उधर, अंतरराष्ट्रीय रेणुका मेले में दशकों पुरानी परंपरा को सिरमौर राजघराना आज भी पूरी श्रद्धाभाव से निभाता आ रहा है। सिरमौर राज परिवार के वंशज और राजघराने के वरिष्ठ सदस्य कंवर अजय बहादुर सिंह अपने परिवार के सदस्यों व वरिष्ठजनों के साथ इस परंपरा का निर्वाहन करेंगे। गिरि नदी के संगम पर राजपरिवार के वंशज अपने परिवार के साथ भगवान परशुराम की प्रतीक्षा करते हैं और भगवान परशुराम की चांदी जड़ित मुख्य पालकी को अपने कंधों पर उठाकर पंडाल तक लेकर जाते हैं। कंवर अजय बहादुर सिंह ने बताया कि भगवान परशुराम उनके कुल ईष्ट देवता हैं। भगवान परशुराम की उनके परिवार पर विशेष कृपा है। वह किसी भी सूरत में इस परंपरा को निभाना नहीं भूलते। यह परंपरा उनके परिवार के लिए आज भी विशेष मायने रखती है। मेले के शुभारंभ पर प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पंहुच रहे हैं।