गिरिपार- ये पर्व भी पुख्ता करता है हाटी जनजातीय दर्जा देने की मांग ddnewsportal.com

गिरिपार- ये पर्व भी पुख्ता करता है हाटी जनजातीय दर्जा देने की मांग  ddnewsportal.com

ये पर्व भी पुख्ता करता है हाटी जनजातीय दर्जा देने की मांग

गिरिपार मे सदियों से मनाए जाने वाले माघी (भातियोज) त्यौहार का काउंटडाउन शुरु, 10 जनवरी को होगा आगाज़।

जिला सिरमौर मे परंपराओं और संस्कृति के धनी गिरिपार क्षेत्र के हाटी द्वारा हर वर्ष जनवरी माह मे मनाये जाने वाले माघी त्यौहार का काउंटडाउन शुरु हो गया है। पर्व के लिए अब लगभग एक सप्ताह शेष बचा है। क्षेत्र के लोग पर्व के लिये खरीददारी व अन्य तैयारियों मे जुटे हुए है। पर्व के लिये मांसाहारी जहां बकरों की खरीद फरोख्त कर रहें है वहीं शाकाहारी वर्ग भी घी-शक्कर का इंतजाम कर रहे है। आजकल गिरिपार क्षेत्र के लोग पांवटा समैत उत्तराखण्ड के विकासनगर आदि बाजारों से पर्व के लिए खरीददारी करने पंहुच रहे है। जानकारी के मुताबिक गिरिपार क्षेत्र मे माघी त्यौहार सदियों से मनाया जाता है। जिसे स्थानीय भाषा में "भातियोज" कहा जाता है। परंपरा के

मुताबिक इस पर्व पर बकरा काटा जाता है तथा मां काली के नाम की कढ़ाई चढ़ाई जाती है। बुर्जुगों के मुताबिक मां काली पूरे साल उनकी हर कष्टों से रक्षा करती है। सदियों से मनाया जाना वाला यह पर्व क्षेत्र की जनजातीय दर्जा देने की मांग को भी पुख्ता करता है। क्योंकि इस तरह की अनूठी परंपरा आब देश मे बिरले ही बची है। इस पर्व को लेकर क्षेत्र के लोगों मे उत्साह रहता है। अहम यह है कि इस पर्व के लिये घर से बाहर रोजी रोटी के जुगाड़ मे व नोकरीपैशा लोग भी घर जरुर आतें है। इससे परिवार मिलन भी हो जाता है और पर्व भी मनाया जाता है। जानकारी के मुताबिक यह माघी त्योहार गिरिपार क्षेत्र के तहसील शिलाई, संगडा़ह, राजगढ़, कमरउ, उपतहसील रोनहाट तथा पांवटा तहसील की आंजभोज की पंचायतों समैत उत्तराखण्ड के जोंसार बाबर और शिमला जिले मे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पर्व के पहले दिन दूर-दूर से नौकरीपैशा लोग परिवार समैत अपने घर आते हैं। पूरा परिवार मिलकर पारंपरिक व्यंजनों का लुत्फ उठाता है तथा मिल जुलकर इस पर्व को मनाया जाता है। बहरहाल गिरिपार क्षेत्र मे माघी पर्व के लिये काउंटडाउन शुरु हो गया है। यह पर्व इस बार 10 जनवरी से शुरू हो रहा है। हाटी समीति की केंद्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारी भी मानते हैं कि इस प्रकार के लोकोत्सव व परंपराएं हमारी जनजातीय दर्जा देने की मांग को और पुख्ता करती है। इसलिए सरकार को इस पर जल्द निर्णय देना चाहिए। 

पर्व पर काटे जाते है बकरे-

उक्त पर्व पर क्षेत्र मे बकरे काटे जाते है। हालांकि अब क्षेत्र मे करीब 50 फीसद से अधिक परिवार ऐसे हो चुके है जो शाकाहारी तरीके से बिना बकरे काटे इस पर्व को मनाते है। सबसे बड़ी बात यह है कि साल मे एक बार वह लोग भी घर आ जाते है जो काम के सिलसिले मे साल भर बाहर रहते है। इससे परिवार मिलन मे भी यह पर्व अपनी बड़ी भूमिका निभाता है।

माघी पर्व के लिये चलें स्पेशल बसों की मांग-

अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ इकाई कमरऊ/कफोटा ने परिवहन निगम से मांग की है कि क्षेत्र के महत्वपूर्ण पर्व माघी के लिये नाहन से शिलाई निगम की कम से कम 4 स्पेशल बसे चलाई जायें। संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र मे जनवरी माह मे मनाये जाने वाले महत्वपूर्ण माघी त्योहार के लिये प्रदेश के दूरदराज इलाके मे अपनी सैवाएं दे रहे कर्मचारी वर्ग व अन्य कामकाजी लोग परिवार के साथ अपने घर आतें है। उन्होने कहा कि क्षेत्र मे निगम की नाममात्र की सैवा है। ऐसे मे पर्व पर घर आने वाले लोगों को यातायात संबंधी दिक्कतों से दो चार होना पड़ता है। इसलिये पर्व के लिये क्षेत्र मे स्पेशल बसें चलनी चाहिये।