शिलाई हाटी महाखुमली में हुआ हाटी की गूंज-2 का विमोचन ddnewsportal.com

शिलाई हाटी महाखुमली में हुआ हाटी की गूंज-2 का विमोचन ddnewsportal.com
हाटी की गूंज पार्ट टू के निदेशक और गायक।

बीस साल बाद आया हाटी का पार्ट टू

शिलाई हाटी महाखुमली में हुआ हाटी की गूंज-2 का विमोचन, पहले पार्ट ने मचाई थी धूम।

आज से करीब बीस वर्ष पूर्व जब हाटी की गूंज ऑडियो रिलीज हुई तो उसने हिमाचली लोक गायकी में एक क्रांति ला दी। उस समय प्रदेश के हर जिलों में हाटी की गूंज के गाने हर जुबान पर थे। इस क्रांति के जनक हाटी कला मंच कफोटा के निदेशक भाव सिंह कपूर को कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। उनकी दूरगामी सोंच ने जहां सिरमौर सहित शिमला जिले के कलाकारों को एक नई राह दिखाई वहीं हिमाचल के लोक गीतों को भी नया आयाम दिया।

उस समय टेप रिकॉर्डर होता था और कैसेट चलती थी। हाटी की गूंज ने कईं रिकार्डिंग करने वालों को कमाई का बड़ा जरिया दिया। उस दौर में भी हजारों रूपये मात्र रिकार्डिंग करने वालों ने कमाए। आज का दौर होता तो यू ट्यूब पर हाटी की गूंज देश विदेश में धमाल मचाती। उस ऑडियो की अपार सफलता के बाद अब 20 वर्ष बाद इसका दूसरा पार्ट हाटी की गूंज-2 बनाया गया है। जिसका हाटी कालामंच कफोटा द्वारा शिलाई मे आयोजित हुए हाटी महासम्मेलन मे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप द्वारा विधिवत विमोचन किया गया। यह पार्ट भी भाव सिंह कपूर के निर्देशन में बनाया गया है। जिसमे मुख्य गायक आत्मा राम शर्मा और मामराज मामू है। इस पार्ट में क्षेत्र की धरोहर हारूल को नये तरीके से गाकर पेश किया गया है। इसमे हारूल

ठेन्डोऊ, सिंगठोऊ और बीणी की बीर गाथाओं का वर्णन किया गया है l शिलाई मे पत्रकार वार्ता के दौरान हाटी कालामंच कफोटा के अध्यक्ष भाव सिंह कपूर और इस हारुल को अपनी सुन्दर आवाज मे गाने वाले प्रसिद्ध कलाकार आत्मा राम शर्मा ने बताया कि हमारी प्राचीन संस्कृति जो आज विलुप्त हो रही है, उसको संजोये रखना आवश्यक है। इस हारुल मे उन हाटियों कि बीर गाथाओ का वर्णन किया गया है, जो अपने अस्तित्व को बचाने के लिये राजाओं और अन्य बाहरी युद्धाओ से युद्ध लड़े थे। इन हारुल को मामराज मामू, आत्माराम शर्मा, भावसिंह कपूर और उनकी टीम ने गाया है  उम्मीद जताई जा रही है कि पहले पार्ट की तरह दूसरा पार्ट भी बाजार में खूब धूम मचायेगा। भाव सिंह कपूर ने कहा कि विशेषकर गिरिपार क्षेत्र के लोगों और युवाओं को यह हारूलें अवश्य सुननी चाहिए।