बच्चों में मोबाईल की लत बीमारियों को दावत ddnewsportal.com

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फोटो: साभार गूगल।

बच्चों में मोबाईल की लत बीमारियों को दावत

क्या है लक्षण और कैसे छुड़ाए आदत, बता रहें हैं एक्सपर्ट...

यदि आपके बच्चे को मोबाईल की लत लग गई है तो यह उसके स्वास्थ्य और भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए समय रहते संभल जाईए और बच्चे पर ध्यान देना शुरू कर दीजिये। हो सके तो एक्सपर्ट की भी सलाह लें ताकि आपके बच्चे का भविष्य सुरक्षित हो सके। 
दरअसल, मोबाइल का ज्यादा प्रयोग करने वाले बच्चे मोटापा, हाईपरटेंशन जैसी बीमारियां का शिकार हो सकते हैं। बच्चों को लाइफस्टाइल डिसआर्डर हो जाता है, जिसमें मोटापा बढ़ना, भूख कम लगना, चिड़चिड़ा होना आदि शामिल हैं। बच्चों में इस सब बीमारियों के आने के जिम्मेदार माता-पिता खुद हैं। बची कसर कोरोना काल ने निकाल दी जब अभिभावकों को ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर छोटे बच्चों के हाथों मे मोबाइल पकड़ाने पड़े। 
आजकल दो तीन बच्चे एक जगह बैठे हुए हों तो अक्सर कुछ ऐसा सुनने को मिलता है। "भाई, उधर से बंदा आ रहा है, हेड शॉट मार… हेड शॉट…" गोली चलने की आवाज़ आती है। बच्चे मोबाइल पर 'पबजी' नाम का ऑनलाइन गेम खेल रहे होते हैं, जिसमें उन्होंने एक दुश्मन को मार दिया है। मोबाइल पर कई घंटे रोज बिताने वाले बच्चे काफी खुश रहते हैं लेकिन इनके मम्मी-पापा इनके मोबाइल प्रेम से बहुत परेशान हैं।
एक कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे कुछ साल पहले तक खाली समय में फुटबाल खेलते थे, साइकिल चलाते थे, पार्क में दूसरे बच्चों के साथ मौजमस्ती करते थे, लेकिन अब ज्यादातर समय घर में बीतता है। हमेशा इस ताक में रहते हैं, कि कब मोबाइल मिले और गेम खेलना और कार्टून देंखे।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने जून 2018 में ऑनलाइन गेमिंग को एक मानसिक स्वास्थ्य विकार घोषित किया था। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 'गेमिंग डिसऑर्डर' गेमिंग को लेकर बिगड़ा नियंत्रण है, जिसका अन्य दैनिक गतिविधियों पर भी प्रभाव पड़ता है। डब्ल्यूएचओ ने इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज के ताजा अपडेट में यह भी कहा कि गेमिंग कोकीन और जुए जैसे पदार्थों की लत जैसी हो सकती है।
भारत के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज में से एक किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ में बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. शैली अवस्थी, मोबाइल से होने वाली समस्याओं को गिनाते हुए बताती हैं, "मोबाइल के ज्यादा प्रयोग से बच्चों में सबसे ज्यादा मानसिक बीमारियों की समस्या देखने को मिलती है। वे मोबाइल को आंखों के बहुत पास रखकर देखते हैं तो आंखों पर असर पड़ता है। उनकी पास और दूर दोनों की दृष्टि कमजोर पड़ती है। इसके साथ क्योंकि मोबाइल का ज्यादा प्रयोग करने वाले बच्चे बाहर खेलने कूदने नहीं जाते हैं तो उनमें मोटापा और हाईपरटेंशन जैसी बीमारियां हो सकती है।" 
डॉ. अवस्थी आगे जोड़ती हैं, "मोबाइल फोन प्रयोग करने वाला बच्चा वास्तविक दुनिया से हटकर इमैजिनेशन की दुनिया में जीने लगता है। वह खेलना-कूदना कम कर देता है। बच्चे का दूसरे बच्चों और परिवार, रिश्तेदार के लोगों से संपर्क कम हो जाता है। ये कहिए कि उसकी सोशल स्किल कम हो जाती है।" सिर्फ बड़े बच्चें नहीं, नर्सरी और केजी में पढ़ने वाले हजारों बच्चे भी मोबाइल का शिकार हो रहे हैं। बच्चों को खाने से पहले मोबाइल

चाहिए होता है, कई बार वो वीडियो देखने के चक्कर में खाना तक भूल जाता है। डॉक्टर अपनी भाषा में बच्चों के इस मोबाइल प्रेम को 'मोबाइल एडिक्शन' यानि मोबाइल की लत कहते हैं। मोबाइल के बहुत ज्यादा प्रयोग से बच्चे कई बीमारियों का शिकार भी हो रहे हैं। इनमें से कई बीमारियों के लक्षण तुरंत दिखते हैं तो कुछ का असर लंबे समय में नजर आता है। दिल्ली-लखनऊ जैसे बड़े महानगरों के अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। दुनिया में चीन के बाद सबसे ज्यादा मोबाइल फोन भारत में हैं। 'बैंक मई सेल' नाम की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 38 करोड़ 69 लाख स्मार्नफोट उपभोक्ता हैं। डॉक्टरों के मुताबिक जिन घरों में बड़े लोग ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं वहां बच्चों में भी आदत पड़ जाती है।

बच्चों को बीमार कर रही इस समस्या से निपटा कैसे जाए?

डाॅ शैली ने एक उदाहरण देते हुए समझाया कि "जो मैंने पढ़ा है कि बिल गेट्स हैं जो कंप्यूटर में क्रांति लेकर आए। उन्होंने अपने बच्चों को फोन और कंप्यूटर दोनों से बचपन में दूर रखा। लेकिन ये चीजें हमें कहां समझ आती हैं। बच्चा मोबाइल फोन चला लेता है इस पर माता-पिता को खुश नहीं होना चाहिए। बल्कि उन्हें बच्चों को ज्यादा वक्त देना होगा, ताकि बच्चे को मोबाइल की जरुरत ही न पड़े। बच्चे को मोबाइल देकर उससे छुटकारा पाने की कोशिश न करें।

ऐसे दूर हो सकती है बच्चे के मोबाइल की लत-

डॉ. शैली का कहना है कि ये सब रोकने के लिए हमें एक जागरूकता लानी पड़ेगी क्योंकि आज कल न्यूक्लियर फैमिली है। माता-पिता दो लोग ही होते हैं, तीसरा बच्चा जो कि फोन लेकर बैठा रहता है तो माता-पिता को भी बताना पड़ेगा कि कृपया एक दूसरे की मदद करें। जब माँ काम करे तो पिता बच्चे का ख्याल रखे उसे मोबाइल फोन देकर छुटकारा न पायें।
एक अन्य एक्सपर्ट डॉ अमित बताते हैं कि अगर बच्चों को मोबाइल की लत से छुड़ाना है तो सबसे पहले उसके सामने फोन का प्रयोग बंद करना होगा क्योंकि बच्चे देख कर बहुत जल्दी सीखते हैं। आप अपने समय और प्यार की जगह किसी गैजेट को देकर पीछा न छुड़ायें। अगर आपका बच्चा बहुत ज्यादा एडिक्ट हो गया है तो किसी मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक के पास जाकर सलाह लें।

डॉक्टरों की सलाह:

3 साल तक के बच्चे को किसी भी तरह की स्क्रीन टीवी-मोबाइल से दूर रखें।
बच्चे के साथ ज्यादा वक्त बिताएं ताकि उससे मोबाइल पर समय न बिताना पड़े।

मोबाइल लत के लक्षण- 

भूख कम लगना, चिड़चिड़पान, नींद का कम आना, झगड़ालू, किसी चीज में मन न लगना और गुस्सा आना है। यदि आपके बच्चे में ये लक्षण है तो एक्सपर्ट की राय जरूर मानें।