CAG Report News: हिमाचल की आर्थिक हालत का कैग रिपोर्ट में खुलासा ddnewsportal.com

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CAG Report News: हिमाचल की आर्थिक हालत का कैग रिपोर्ट में खुलासा, वेतन-पैंशन पर आधा बजट, कर्ज के ब्याज का बोझ भी भारी...

हिमाचल प्रदेश की आर्थिक हालत बहुत खराब हो गई है। आलम ये हैं कि अत्यधिक कर्ज लेने के चलते कर्ज के ब्याज पर लगभग पांच हजार करोड़ रूपये खर्च करने पड़ रहे हैं। यह चिंताजनक खुलासा कैग की रिपोर्ट में हुआ है। वित्तीय हालात खराब होने के कारण राज्य सरकार को आवश्यकता से अधिक कर्ज लेने के लिए बाध्य होना पड़ा है। ऐसे में कर्ज के कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था हिचकोले खा रही है। हालात यह हैं कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में जहां प्रदेश पर 73534 करोड़ रुपए कर्ज था, वहीं वर्ष 2022-23 में यह बढ़कर 86589 करोड़ रुपए पहुंच गया है। शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन विधानसभा में रखी गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की वर्ष 2022-23 की रिपोर्ट के मुताबिक बीते वित्तीय वर्ष में प्रदेश का राजस्व घाटा 6335 करोड़ रुपए था। यह वर्ष 2021-22 के 7962 करोड़ रुपए से थोड़ा कम है।

वेतन-पैंशन पर 50 फीसदी बजट-

रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने बीते वित्तीय वर्ष में 50539 करोड़ रुपए खर्च किए। इसमें से 50 फीसदी से अधिक की राशि कर्मचारियों के वेतन व पैंशन के भुगतान पर व्यय हुई। छठे पंजाब वेतन आयोग के सिफारिशों को लागू करने के बाद सरकारी कोष पर पैंशन व वेतन के भुगतान का अधिक बोझ पड़ा। वर्ष 2021-22 में वेतन पर 11641 करोड़ रुपए सालाना खर्च हो रहा था, वहीं वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद इसमें 4 हजार करोड़ रुपए की बढ़ौतरी के साथ हर वर्ष वेतन पर खर्च 15669 करोड़ रुपए पहुंच गया। इसी तरह पैंशन के भुगतान पर भी खर्च की राशि वर्ष 2021-22 के 6088 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 9283 करोड़ रुपए से अधिक हो गई। 

कर्ज का ब्याज 4828 करोड़-

लगातार कर्ज लेने से सरकार को ब्याज पर भी 2021-22 के 4472 करोड़ रुपए के मुकाबले वर्ष 2022-23 में 4828 करोड़ रुपए खर्च करने पड़े। इसी तरह लोकलुभावन घोषणाओं को पूरा करने के लिए सरकार की तरफ से उपदानों पर खर्च की जा रही राशि भी वर्ष 2021-22 के 1240 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 1973 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। रिपोर्ट के मुताबिक बीते वित्तीय वर्ष में सरकार ने 13055 करोड़ रुपए कर्ज उठाया। कर्ज की इस राशि में वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में मौजूदा सरकार की तरफ से ली गई ऋण की राशि भी शामिल है।

वहीं, उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं लिए जाने पर भी कैग ने सवाल उठाए हैं। वर्ष 2021-22 व वर्ष 2022-23 में सरकार ने करीब 4,242 करोड़ रुपए की राशि खर्च करने के बावजूद इसके उपयोगिता प्रमाण पत्र विभिन्न एजैंसियों से नहीं लिए गए। कैग ने सरकार से इस बारे में आवश्यक कदम उठाने की बात कही है।