शिमला: चूड़धार यात्रा पर शुल्क वसूली हिन्दू आस्था का घोर अपमान: हाटी विकास मंच ddnewsportal.com

शिमला: चूड़धार यात्रा पर शुल्क वसूली हिन्दू आस्था का घोर अपमान: हाटी विकास मंच
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा चूड़धार तीर्थ यात्रा पर तीर्थयात्रियों से शुल्क वसूलने का निर्णय हाटी विकास मंच को न केवल अत्यंत खेदजनक और अमान्य प्रतीत होता है, बल्कि यह निर्णय भारत की सनातन संस्कृति, संविधान में प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता और जनभावनाओं के प्रतिकूल है। मंच ने सरकार को कड़ी चेतावनी दी है कि यदि यह निर्णय शीघ्र वापस नहीं लिया गया, तो एक व्यापक जन आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
हाटी विकास मंच हिमाचल प्रांत के अध्यक्ष प्रदीप सिंह सिंगटा ने कहा कि चूड़धार धाम का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। यह उत्तर भारत के प्रमुख शिव तीर्थों में से एक है। इसे भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है और स्थानीय रूप में "चूड़ेश्वर महादेव" के नाम से जाना जाता है। यह तीर्थस्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पुराणों, शास्त्रों और लोकगाथाओं में चूड़धार धाम का उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस क्षेत्र में निवास किया था। सदियों से यह यात्रा पूर्णतः निशुल्क रही है, और हिमाचल, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा समेत देश और विदेश से लाखों श्रद्धालु इस कठिन यात्रा को हर वर्ष श्रद्धापूर्वक करते हैं।
हाटी विकास मंच के कोषाध्यक्ष एडवोकेट वी एन भारद्वाज ने कहा की धार्मिक परंपरा और आस्था का अपमान स्वीकार्य नहीं है चूड़धार यात्रा पर शुल्क लगाना सनातन धर्म और इसकी सेवा परंपरा का तिरस्कार है। यह एक पवित्र तीर्थ को व्यावसायिक रूप देने का प्रयास है, जो घोर निंदनीय है।
हाटी विकास मंच के मुख्य प्रवक्ता विवेक तोमर और डॉक्टर अनिल भारद्वाज ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है। तीर्थयात्रा पर शुल्क लगाना उस मौलिक अधिकार का सीधा उल्लंघन है। सरकार को संविधान की मर्यादा में रहकर निर्णय लेने चाहिए। वहीं हाटी विकास मंच के पदाधिकारी मोहन शर्मा और सतपाल चौहान ने बताया कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी सेवा है, न कि वसूली। तीर्थस्थलों पर सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है। स्वच्छता, चिकित्सा, सुरक्षा, पेयजल और विश्राम की मूलभूत सेवाएँ करदाताओं के पैसे से चलती हैं न कि श्रद्धालुओं की आस्था को टैक्स का माध्यम बनाकर।
यदि सरकार ने इस निर्णय को तुरंत वापस नहीं लिया, तो हाटी विकास मंच सिरमौर जिले से लेकर समूचे प्रदेश में चरणबद्ध तरीके से जन आंदोलन शुरू करेगा। हाटी विकास मंच हिमाचल प्रदेश ने मुख्यमंत्री से विनम्र निवेदन किया है कि वे इस जनविरोधी निर्णय को तत्काल प्रभाव से निरस्त करें। चूड़धार धाम मात्र एक पर्यटन स्थल नहीं है, बल्कि यह करोड़ों शिवभक्तों की आत्मा और आस्था का केंद्र है। सरकार को धार्मिक भावनाओं और लोक परंपराओं का सम्मान करते हुए इस तीर्थस्थल की पवित्रता बनाए रखनी चाहिए।