चूड़धार मन्दिर न्यूज़: शुल्क पर चौतरफा घिरे वन्यजीव अभयारण्य ने स्थगित किया निर्णय, केंद्रीय हाटी समिति ने जताया आभार... ddnewsportal.com

चूड़धार मन्दिर न्यूज़: शुल्क पर चौतरफा घिरे वन्यजीव अभयारण्य ने स्थगित किया निर्णय, केंद्रीय हाटी समिति ने जताया आभार...
हिमाचल प्रदेश के धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण चूड़धार वन्यजीव अभयारण्य में प्रवेश शुल्क को लेकर चौतरफा घिरे शिमला वन्यजीव अभयारण्य ने अपना निर्णय फिलहाल स्थगित कर दिया है। इस तरह अभी यह विवाद आखिरकार थम गया है। हिमाचल प्रदेश वन विभाग के तहत वन्यजीव विंग के शिमला वन्यजीव मंडल ने श्रद्धालुओं, स्थानीय निवासियों और विभिन्न धार्मिक संगठनों की आपत्तियों को गंभीरता से लेते हुए बीते 2 अप्रैल को जारी प्रवेश शुल्क संबंधी अपने आदेश को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है। यह निर्णय चूड़धार यात्रा पर आने वाले हजारों श्रद्धालुओं, विशेषकर पूज्य शिरगुल देवता के भक्तों के लिए एक बड़ी राहत बनकर आया है।
दरअसल, वन विभाग ने पर्यावरणीय संरक्षण और स्वच्छता व्यवस्था को बेहतर बनाने के उद्देश्य से अभयारण्य में जाने वाले आगंतुकों से शुल्क वसूली का प्रावधान किया था। हालांकि, इस कदम से स्थानीय समुदायों और श्रद्धालुओं में गहरा असंतोष फैल गया था, क्योंकि चूड़धार मंदिर जो अभयारण्य के भीतर स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, तक पहुंचने के लिए भी यह शुल्क देना पड़ रहा था। उत्तराखंड के जौनसार-बावर क्षेत्र से आने वाले हजारों श्रद्धालुओं के लिए, जिनके लिए चूड़धार पूज्य शिरगुल देवता का घर है, यह शुल्क उनकी आस्था पर कुठाराघात जैसा लग रहा था। हाल ही में उत्तराखंड के त्यूनी से चूड़धार यात्रा पर आए एक परिवार से 20 सदस्यों के लिए 1000 रुपए वसूले जाने के बाद तो आक्रोश और बढ़ गया था, जहां श्रद्धालुओं का स्पष्ट कहना था कि हम यहां पिकनिक मनाने नहीं आए हैं। हम अपने देवता के दर्शन के लिए आए हैं। हमें अपनी आस्था के लिए टैक्स क्यों देना चाहिए?
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए डिप्टी कंजरवेटर ऑफ फॉरैस्ट्स शिमला वन्यजीव मंडल की ओर से नया आदेश जारी किया गया है। इस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि जब तक एक समग्र और पारदर्शी मॉडल तैयार नहीं हो जाता (जिसमें धार्मिक श्रद्धालुओं को छूट देने और अन्य आगंतुकों के लिए न्यायसंगत शुल्क निर्धारण सुनिश्चित किया जाएगा) तब तक पूर्व आदेश को स्थगित रखा जाएगा।
उधर, चूड़धार मन्दिर जाने वाले बाहरी राज्यों के श्रद्धालुओं पर लगाए जा रहे शुल्क को समाप्त करने के लिए केन्द्रीय हाटी समिति ने हिमाचल प्रदेश सरकार का धन्यवाद किया है।
केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष डाॅ अमीचंद कमल और महासचिव कुंदन सिंह शास्त्री ने बताया कि समिति ने 24 मई को मुख्यमंत्री सेवा संकल्प में एक ओनलाइन पत्र द्वारा विशेष आग्रह किया था कि चूड़धार जाने वाले सभी श्रद्धालुओं से किसी भी प्रकार की शुल्क वसूली नहीं होनी चाहिए। अन्य संगठनों ने भी इस पर आपत्ति जताई थी। आखिर सरकार ने जनता की भावनाओं को समझते हुए इस शुल्क उगाही को समाप्त किया है इसके लिए हम हाटी समिति की ओर से मुख्यमंत्री का धन्यवाद करते हैं। इस बात का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है कि सिरमौर जिला के लोगों और उत्तराखंड के जोंसार बावर के लोगों की देव परम्पराएं, और आस्था शिरगुल देवता मन्दिर चूड़धार, तीर्थ स्थल रेणुका, भंगायणी माता मंदिर हरिपुरधार, की भांति जोंसार बावर स्थित महासू देवता मन्दिर हनोल, गबेला, शिरगुल देवता मन्दिर शिमोग आदि देवस्थलों में एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। अनेक गांवों में आपसी दाईचारे और भाईचारे के घनिष्ठ सम्बन्ध हैं। इसलिए किसी भी नियम से एक दूसरे समुदाय को ठेस पहुंचाना उचित नहीं।