Paonta Sahib: चूड़ेश्वर महाराज चूड़धार से बुंगा टिंबी क्यों आए, बताएगी चूड़ेश्वर सेवा समिति की ये पुस्तक... ddnewsportal.com

Paonta Sahib: चूड़ेश्वर महाराज चूड़धार से बुंगा टिंबी क्यों आए, बताएगी चूड़ेश्वर सेवा समिति की ये पुस्तक... ddnewsportal.com

Paonta Sahib: चूड़ेश्वर महाराज चूड़धार से बुंगा टिंबी क्यों आए, बताएगी चूड़ेश्वर सेवा समिति की ये पुस्तक...

आगामी 17 अप्रैल 2024 को श्री शिरगुल महाराज की तपोस्थली बुंगा टींबी के बिशु मेला का आयोजन होने जा रहा है। टौंरू, भैला और कलाथा, तीनों गांव के सभी ग्रामवासियों ने जनता को इस मेले के लिए आमंत्रित किया है। ग्रामीण ने कहा है कि हमारी पहाड़ी संस्कृति को जिंदा रखने में हम सब का सहयोग करें। इस मेले में टोंरु, भेला और कलाथा से शिरगुल महाराज की जातर

आएगी। हर साल की तरह और लोग सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी शामिल होगें। इस दिन केंद्रीय चूड़ेश्वर सेवा समिति और आंजभोज चूड़ेश्वर सेवा समिति के द्वारा एक पुस्तिका का अनावरण किया जायेगा। टौंरू, भैला, कलाथा तीनों गांव की तरफ से, हजार साल पुराने इतिहास को लोगों के सामने लाने का एक प्रयास इस एक पुस्तिका के माध्यम से किया जा रहा है। जिसमें बुंगा टींबी टोंरू में अवतरित श्री शिरगुल महाराज के अवतरित होने की कथा को विस्तार से लिखा गया है। श्री शिरगुल महाराज स्वयं साक्षात भगवान शिव शंकर के ही अवतार हैं, इसीलिए इनको शिरगुल महादेव भी कहा जाता है। इसमें आपको टौंरू, भैला,कलाथा और

हमारे 3 भाई गांव जो जौनसार में है और हमारे 8 से 10 भाई गांव, जो चौपाल में है (अर्थात 16 भाई गांव)। इन सभी गांव के सबसे प्राचीन शिरगुल महाराज बुंगा टीबी टौंरू मंदिर के इतिहास की पूरी गाथा के बारे में पता चलेगा। साथ में चूड़ेश्वर महाराज चूड़धार से बुंगा टिंबी क्यों आए? उस विषय पर भी विस्तार से लिखा गया है। पहली बार टौंरू, भैला, कलाथा तीनों गांव को आँज का नाम देना और इसी शब्द को पहाड़ी भाषा में आँजो कहा जाता है और अंजवाल भी कहा जाता है, यह सब कुछ विस्तार से बताया गया है। स्थानीय निवासी एवं प्रोफेसर सुशील तोमर ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि सभी लोग उस दिन पूजनीय स्थान बुंगा टिंबी में उपस्थित होकर, इस कथा के बारे में जानेंगे। यह पुस्तिका आपको मुफ्त में दी जाएगी। एक साल की मेहनत करके, ग्रामवासियों ने बहुत से लोगों और पंडितों से तथ्य इकट्ठे करके यह कथा लिखी है।