शिलाई के नेताओं की तुलना मोहम्मद गजनवी से ddnewsportal.com

शिलाई के नेताओं की तुलना मोहम्मद गजनवी से ddnewsportal.com
फोटो: रिटायर्ड चीफ इंजीनियर बीर सिंह राणा।

शिलाई के नेताओं की तुलना मोहम्मद गजनवी से

रिटायर्ड चीफ इंजीनियर बीएस राणा ने लाईव के दौरान दी संज्ञा, क्षेत्र मे रोजगार के अवसर पैदा करने मे सिंचाई योजनाओं पर ध्यान देने के सुझाव को लेकर फेसबुक पर हुए थे लाईव।

रिटायर्ड चीफ इंजीनियर और शिलाई विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के इच्छुक बीर सिंह राणा ने शिलाई के भाजपा और कांग्रेस नेताओं की तुलना आक्रमणकारी मोहम्मद गजनवी और गौरी आदि से की है। बीमारी से उबरने के बाद लंबे समय बाद गत शाम अपने फेसबुक पेज पर उन्होंने करीब एक घंटे का लाईव किया जिसमे उन्होंने क्षेत्र मे रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए सिंचाई योजनाओं की बड़ी भूमिका निभाने की बात कही। हालांकि ज्यादातर समय वह भाजपा और कांग्रेस के शिलाई के नेताओं को कोसते नजर आए और क्षेत्र मे जनता पर दबाव डालकर परेशान करने का आरोप भी

लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्र मे लौटा नूण के लिए जनता को मजबूर किया जा रहा है। वर्तमान विधायक के कुछ लोगों ने तो एक गांव मे यह तक कह दिया कि यदि विधायक निधि से घोषणा करनी है तो पहले पूरे गांव को लौटा नूण करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि क्षेत्र मे इन नेताओं को अपना जनाधार खिसकने का भय सता रहा है। जिससे लोगों पर दबाव डाल रहे हैं। उन्होंने यह तक कह दिया कि इस तरह लोगों को परेशान मोहम्मद गजनवी और मोहम्मद गौरी जैसे अफगानिस्तानी डाकू भी नही करते थे जिस प्रकार की राजनीति शिलाई मे चल रही है। उन्होंने इस दौरान बताया कि एक गांव मे अपने प्रयासों से एक सिंचाई योजना बनवाई। जिससे गांव मे पानी की दिक्कत दूर हो गई। उसके बाद हुआ यूं कि बेरोजगार युवा जो बेकार घूम रहे थे उन्होंने टमाटर आदि लगाने शुरू किये। ऐसे मे युवा काम मे व्यस्त हो गये और नशे से भी दूर रहे। बीते दिनों जब वह बीमार थे तो उस दौरान ग्रामीणों

के फोन आए और धन्यवाद व्यक्त किया कि उनकी वजह से युवा बुरी लत की तरफ जाने से बच गये और खेतों मे काम कर कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिलाई के नेताओं ने पिछले 60 वर्षों से इस बारे मे सोंचा ही नही। यहां केवल दबाव की कुष्टित राजनीति ही हो रही है। यह लाईव काफी शैयर भी हुआ है। हालांकि यह अलग बात है कि जनवरी-फरवरी में क्षेत्र के हर गांव मे घूमने के बाद अप्रैल-मई मे कोरोना की दूसरी लहर के दौरान वह क्षेत्र से नदारद रहे। कहीं भी उनके द्वारा लोगों की मदद के लिए मास्क या हैंड सेनिटाईजर आदि वितरित करने की कोई सूचना नही आई। जिससे कुछ लोग उन्हे अवसरवादी भी कहने लगे थे। अब वह दौबारा से स्वस्थ होने के बाद सक्रिय होने लगे हैं। देखना यह रहेगा कि आने वाले समय मे शिलाई की राजनीति किस तरह से प्रदेश मे सुर्खियां बटौरती है।