Sirmour: महाराजा सिरमौर द्वारा स्थापित चौतरा बनेगा इस ऐतिहासिक मिलन का गवाह- ddnewsportal.com

Sirmour: महाराजा सिरमौर द्वारा स्थापित चौतरा बनेगा इस ऐतिहासिक मिलन का गवाह- ddnewsportal.com
शिलाई: गिरिपार क्षेत्र के टटियाणा में महासू देवता का मंदिर और मंदिर के बाहर बना चौतरा।

Shillai: खास खबर- टटियाणा में 120 वर्ष बाद शाठी-पाशी भाई होंगे एकजुट

महाराजा सिरमौर द्वारा स्थापित चौतरा बनेगा ऐतिहासिक मिलन का गवाह, शांत महायज्ञ पर्व का होगा मौका

सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र के गांव टटियाणा में 1और 2 जुलाई को नया इतिहास लिखा जाएगा। लगभग 120 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद क्षेत्र के शाठी और पाशी वंशज एक जगह एकजुट होंगें। मौका माता ठारी का एक सदी से अधिक समय के बाद होने जा रहे शांत महायज्ञ पर्व का होगा। इस पर्व में शाठी एवं पाशी भाइयों का ऐतिहासिक मिलन होगा। इस मिलन का गवाह गांव में महाराजा सिरमौर द्वारा बनाए गया चौतरा प्रांगण बनेगा। 
दरअसल, टटियाणा गांव में माता ठारी की शांत महायज्ञ पर्व का आयोजन किया जा रहा है। यह ऐतिहासिक महापर्व कुल देवता महासू महाराज की छत्रछाया में चौतरा प्रांगण में 1 व 2 जुलाई 2023 को आयोजित करवाया जा रहा है।


बता दें कि टिटियाना गांव में चौतरे की स्थापना सिरमौर के महाराजा ने गिरिपार क्षेत्र में सामाजिक राजनीतिक धार्मिक तथा न्याय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए की गई थी।
उम्मीद के मुताबिक इस महायज्ञ पर्व में 400 गांव से लगभग 30 से 40,000 लोगों के एकत्रित होने की संभावना है। इस दिव्य एवं भव्य शांत महायज्ञ पर्व को विशाल रुप से मनाया जाएगा। 
स्थानीय निवासी मायाराम शर्मा और रमेश शर्मा आदि ने कहा कि इस महामिलन कार्यक्रम में गिरी नदी से लेकर टौंस तक समस्त गांव को आमंत्रित किया गया है। उत्तराखंड कालसी, तयुनी, हनोल, चिलाड़, डगली तथा शिमला जिला से नैरवा, चौपाल, जुब्बल, रोहडू और सिरमौर जिला के राजगढ़, नौहराधार, संगड़ाह, सैनधार, धारटीधार, नाहन पांवटा साहिब और हरियाणा आदि जगह से भी लोगों को आमंत्रित किया गया है।


गोर हो कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के क्षेत्र में शांत महायज्ञ पर्व का बहुत महत्व है। हिमालय के पहाड़ों को काली माता का 
निवास स्थान माना जाता है। काली का दूसरा स्वरूप ठारी माता है, जिसको पूरे हिमालय क्षेत्र में पूजा जाता है। माता को खुश एवं शांत करने के लिए ही इस तरह के महापर्व का आयोजन किया जाता है। टिटियाना में आयोजित होने वाली शांत का विशेष महत्व यह है कि यहां दोनों भाई  शाठी और पाशी के वंशज एक जगह एकत्रित होंगे। ऐसा माना जाता है कि शाठी यानी कौरव और पाशी यानी पांडव वंशज है। इसलिए इस महापर्व का ऐतिहासिक महत्व बढ़ जाता है। लगभग 120 वर्ष बाद ऐसा आयोजन हो रहा है।
टटियाना गांव के ब्राह्मणों ने इस महायज्ञ को पूर्ण करने की तैयारियां शुरू कर दी है। इस महापर्व में सरकार तथा प्रशासन एवं सभी लोगों से भी सहयोग मांगा गया है। इस दिव्य भव्य शांत महायज्ञ पर्व में क्षेत्र के भी सभी लोगों को आमंत्रित किया गया हैं।