Sirmour: जोंसार की मेरे गाँव की बाट के बाद देखिए गिरिपार की पहली पहाड़ी फिल्म परिवार ddnewsportal.com

Sirmour: जोंसार की मेरे गाँव की बाट के बाद देखिए गिरिपार की पहली पहाड़ी फिल्म परिवार
आज के दौर में बिखर रहे रिश्तों की मार्मिक कहानी में नाया गाँव के कलाकारों ने दिया है बेहतरीन संदेश, देखें फिल्म...
आपने जोंसार की "मेरे गाँव की बाट" जोंसारी फिल्म तो देखी ही होगी, अब सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र की "परिवार" पहाड़ी फिल्म आपके लिए यू-ट्यूब पर उपलब्ध है, जिसे आपको जरुर देखना चाहिए।
आधुनिकता की दौड़ में न केवल संयुक्त परिवार टूट रहे हैं , बल्कि रिश्ते भी तार तार हो रहे हैं। यह कहानी न केवल जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र की है बल्कि तमाम ग्रामीण इलाकों की है जहां आज संयुक्त परिवार बिखर गए हैं और रिश्तों की कद्र न के बराबर हो गई हैं। तार तार होते रिश्तों को बचाने और जिला सिरमौर के गिरिपार की पहाड़ी संस्कृति को बचाने के उद्देश्य से गिरिपार क्षेत्र के शिलाई विकासखंड की ग्राम पंचायत नाया के गांव नाया के कलाकारों ने पहाड़ी संस्कृति को बचाने के उद्देश्य से सिरमौर की पहाड़ी बोली की पहली फिल्म बनाई है। करीब एक घंटे 4 मिनट की इस फिल्म में युवाओं ने ग्रामीण इलाकों में किस प्रकार नशा फैल रहा है और आज का युवा कैसे कुसंगति की ओर बढ़ रहा है। युवाओं को नशे से बचाने ख़ास कर शराब, ड्रग्स और जुए जैसी लत के प्रति जागरूक करने तथा टूट रहे संयुक्त परिवारों को बचाने के उद्देश्य से नाया गांव के युवा कलाकारों ने एक पहल की है।
सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र की पहाड़ी बोली पर आधारित फिल्म "परिवार" में दर्शाया गया है कि किस प्रकार आज नशा गांव-गांव तक पहुंच रहा है और नशे की लत के आदि युवा न केवल अपने सगे संबंधियों से दूर जा रहे हैं, बल्कि आने वाला भविष्य भी बर्बाद कर रहे हैं। परिवार फिल्म में कलाकारों ने जहां नशे पर सीधी चोट की है, वहीं संयुक्त परिवार को किस प्रकार बताया जा सकता है उसे भी दर्शाया गया है। आपको बता दें कि यदि दो दशक पहले की बात करते हैं तो जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र और बाबर जौनसार के इलाकों में संयुक्त परिवार एक मिसाल कायम करते थे, लेकिन आज आधुनिकता की दौड़ में युवा पीढ़ी इस प्रकार अंधी हो गई है कि वह न केवल संयुक्त परिवारों से दूर जा रहे हैं, बल्कि नशे की गर्त में भी डूब रहे हैं। युवाओं को नशे की लत से बचाने के उद्देश्य से इस फिल्म में बेहतर जागरूकता संदेश दिया गया है। यह कहानी संयुक्त परिवार के एक पिता के तीन बेटों की है जिनमें दो भाइयों का विवाह हो चुका है जबकि एक भाई शहर में पढ़ाई करने को जाता है। जिन दो भाइयों का विवाह हुआ है उनमें एक भाई को जहां जुए की लत थी, वहीं दूसरा भाई शराब के नशे में डूब कर परिवार को बर्बाद कर रहा है, जबकि तीसरा भाई इन सब से बेखबर शहर में अपनी पढ़ाई में लगा हुआ है। लेकिन घर के बुजुर्ग की नशे और जुए के आदि भाइयों और बहुओं ने किस प्रकार अनदेखी की उसे बयां किया गया है और यह एक बेहतर संदेश गांव की युवाओं द्वारा आने वाली पीढ़ी के लिए दिया गया है। नशे और जुए की लत में पड़े दोनों भाइयों ने पिता के समक्ष बंटवारा करने का प्रस्ताव रखा तो अंत में गांव के नंबरदार के समक्ष गांव के मोजिज व्यक्तियों को एकत्रित किया गया और बंटवारे से संबंधित बात चलाई गई।
इसी दौरान गांव के नंबरदार ने जब उन दोनों भाइयों को समझाया और नशे और जुए की लत के दुष्परिणाम के बारे में जागरूक किया और इसके भविष्य में होने वाले घातक परिणामों के बारे में बताया तब जाकर उन दोनों भाइयों की आंख खुली और अंत में तीनों भाइयों ने एक साथ रहने का संकल्प लिया। एक साथ रहकर यह संदेश दे रहे हैं कि संयुक्त परिवार न केवल एक दूसरे के सुख-दुख का साथी है, बल्कि संयुक्त परिवार में रहकर परिवार और जीवन खुशहाल बनाया जा सकता है। साथ ही अपने ग्रामीण परिवेश और प्राचीन संस्कृति को बचाया जा सकता है। फिल्म परिवार में एक ही गांव के 20 कलाकारों ने अहम रोल किया है। मुख्य भूमिका में जहां फिल्म के निर्देशन का कार्य अंशुल शर्मा ने किया है वहीं अंशुल शर्मा ने फिल्म में एक बेटे का भी अहम रोल निभाया है। सबसे ख़ास बात यह कि यह फिल्म ज़ीरो बजट पर बनाई गई है। फिल्म के निदेशक अंशुल शर्मा, लेखक विक्की शर्मा और नवीन शर्मा, कैमरा मैन अंशुल और मनीष जबकि संपादन का कार्य अंशुल शर्मा शर्मा ने किया है। फिल्म परिवार में विक्की शर्मा, राजेश शर्मा, करिश्मा शर्मा, रवीना शर्मा, रिशु शर्मा, मनित शर्मा, नवीन शर्मा, मनीष शर्मा, अंशुल शर्मा, संदीप शर्मा, कमलेश शर्मा, सुभाष शर्मा, रोशन शर्मा, अरविंद वर्मा, वीरेंद्र शर्मा, गीता नेगी, कियालों देवी, दीपिका शर्मा और दीपो देवी आदि कलाकारों ने अहम रोल अदा किये है।
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