केंद्र के सामने रखेंगे गिरिपार क्षेत्र का ये अहम मसला- अनुराग- ddnewsportal.com

केंद्र के सामने रखेंगे गिरिपार क्षेत्र का ये अहम मसला- अनुराग- ddnewsportal.com

केंद्र के सामने रखेंगे गिरिपार क्षेत्र का ये अहम मसला

केंद्रीय वित राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने शिमला मे मिले हाटी समीति के प्रतिनिधिमंडल को दिया आश्वासन, बोले; लंबे समय से उठाई जा रही मांग को सिरे तक पंहुचाने का करेंगे प्रयास।

केंद्रीय वित राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि गिरिपार क्षेत्र की दशकों से लंबित हाटी जनजातीय दर्जा देने की मांग को वह केंद्र के समक्ष रखेंगे। यह बात उन्होंने शिमला मे उनसे मिले हाटी समीति के प्रतिनिधियों से कही। अनुराग ठाकुर ने कहा कि गिरिपार क्षेत्र के लोग काफी समय से जनजातीय दर्जा देने की मांग उठा रहे है। केंद्र में सरकार के सामने इस मांग को रखा जाएगा। ताकि इस मसले को सिरे तक पंहुचाया जा सके। इस दौरान हाटी केंद्रीय समीति के प्रतिनिधियों ने एक मांग पत्र भी अनुराग ठाकुर को सौंपा जिसमे कहा गया है कि गिरिपार क्षेत्र के तीन लाख लोगों की पांच दशक से क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने की मांग लंबित है। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के जोंसार बावर को 1968 मे यह दर्जा दिया गया। लेकिन हर तरह से हकदार गिरिपार क्षेत्र को 1978 मे राष्ट्रीय जनजातीय आयोग द्वारा गिरिपार क्षेत्र की उक्त मांग की संस्तुति को नजरअंदाज किया गया। 1994 मे पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफ़ेसर प्रेम कुमार धूमल ने सांसद रहते हुए संसद मे इस मामले को प्रमुखता व प्रखरता के साथ उठाया था। उन्ही के नेतृत्व मे भाजपा ने इस मुद्दे को वर्ष 2007 और 2011 के अपने चुनावी घोषणा पत्र मे शामिल किया। हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार ने समय समय पर गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय घोषित करने की संस्तुतियां की और घोषणा पत्र मे शामिल किया। जबकि केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते नाहन मे तत्कालीन जनजातीय मंत्री जुयाल ओराम ने हरिपुरधार मे सार्वजनिक मंच पर गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देना की घोषणाएं की थी। यही नही, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी तत्कालीन सांसद वीरेन्द्र कश्यप के नेतृत्व मे उनसे मिले हाटी प्रतिनिधिमंडल को भी आश्वासन दिया जिसके लिए उनके आभारी है। प्रदेश सरकार ने जनजातीय अनुसंधान संस्थान से सर्वे करवाने के पश्चात वर्ष 2016 मे इसकी संस्तुति केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय को की थी, जिसे महामहिम राज्यपाल ने भी अनुमोदित किया था। लेकिन RGI द्वारा इस प्रस्ताव पर गलत तथ्यों को आधार बनाकर आपत्तियाँ लगाई गई। जिस पर केंद्रिय हाटी समीति ने सूचना के अधिकार का प्रयोग कर जब सूचना मांगी तो

आरजीआई ने 25 नवम्बर 2020 के एक पत्र के जवाब मे कहा कि 2016 की रिपोर्ट पर पुनः विचार नही किया जा सकता है। इसलिए उन्होंने वर्ष 2017 मे ही हिमाचल प्रदेश सरकार से ताजा रिपोर्ट मंगवाने का पत्र जनजातीय मंत्रालय को भेज दिया था। लेकिन जनजातीय मंत्रालय ने पिछले करीब चार साल बीतने के बावजूद हिमाचल सरकार से इस बारे मे कोई पत्राचार नही किया है। इसलिए हाटी समीति की मांग है कि आप व्यक्तिगत हस्तक्षेप करके गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय की पांच दशक पुरानी मांग को पूरा करने के लिए जनजातीय मंत्रालय से प्रदेश सरकार को जल्द पत्र भिजवाने और उस पर प्रदेश सरकार की नवीन संस्तुति करवाकर उस पर अमल करवाने की कृपा करें। इस प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष डाॅ अमीचंद कमल, प्रदीप सिंगटा, अधिवक्ता श्याम सिंह चौहान, अतर सिंह तोमर आदि शामिल रहे।