सौंठ का करवाया जाए जीआई टैग ddnewsportal.com
सौंठ का करवाया जाए जीआई टैग
हाटी किसान संघ के अध्यक्ष कुंदन सिंह शास्त्री ने कृषि विश्व विद्यालय पालमपुर के उप कुलपति को पत्र भेजकर उठाई मांग
जिला सिरमौर के शिलाई क्षेत्र की बैला वैली मे पैदा की जाने वाले उत्तम दर्जे की सौंठ का जीआई टैग करवाया जाए। यह मांग हाटी किसान संघ के अध्यक्ष कुंदन सिंह शास्त्री ने कृषि विश्व विद्यालय पालमपुर के उप कुलपति को पत्र भेजकर उठाई है। भेज गये पत्र मे श्री शास्त्री ने लिखा है कि सिरमौर जिला के चुनिंदा गांव में पैदा होने वाले अदरक से बनाई जाने वाली सौंठ की किस्म व गुणवत्ता देश के किसी भी भाग में बनने वाली सौंठ से अधिक बेहतर
है। लेकिन अभी तक इस सौंठ को बनाने से लेकर ग्रेडिंग, पैकिंग तथा बेचने के पुराने परंपरागत तरीके ही प्रचलित हैं। जिसके कारण किसानों को अधिक मेहनत तथा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए मुख्यता दो विषयों पर विशेषज्ञों को किसानों के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। पहला अदरक से सोंठ बनाने, ग्रेडिंग और पैकिंग की परंपरागत विधि को सुधारने के लिए कोई आधुनिक कारगर तकनीक बनाई व सुझाई जाए। दूसरा और महत्वपूर्ण कार्य कि सिरमौर जिला में पैदा होने वाली सौंठ की जीआई टेगिंग करवाई जाए ताकि सौंठ को ट्रेडमार्क मिलने से देश-विदेश में अलग पहचान बने और किसानों को मेहनत के उचित दाम मिले। संघ के अध्यक्ष ने लिखा है कि इससे पहले भी कृषि विज्ञान केंद्र धोलाकुंआ के साथ इस मामले को लेकर कार्य करने के प्रयास किए गए। लेकिन उसे सिरे तक नहीं ले जाया गया। आशा है कि अब सार्थक परिणाम सामने आएंगे।
गोर हो कि भौगोलिक उपदर्शन न होने की वजह से गिरिपार क्षेत्र के बैला वैली के सौंठ की चमक फीकी पड़ गई है। 70 के दशक से एशिया की कृषि
मंडी में अपनी धाक जमाने वाली बैला वैली की सौंठ, बिना ब्रैंडिंग के इतिहस बनती जा रही है। हालांकि अब बैला वैली की सौंठ को ब्रैंडिंग दिलवाने के लिए केंद्रीय हाटी समिति के महासचिव व हाटी किसान संघ के अध्यक्ष कुंदन सिंह शास्त्री ने कार्य आरंभ कर दिया है। यदि गिरीपार के बैला वैली की सोंठ की ब्रांडिंग हो जाती है तो क्षैत्र मे आने वाले एक सौ से अधिक गांव के किसानों की आर्थिक स्थिति में बहुत सुधार आएगा। कुंदन सिंह शास्त्री का कहना है कि उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के उप कुलपति डॉ एस के गुप्ता के साथ मिलकर बैला वैली की सोंठ को ब्रांडिंग बनाने के लिए कार्य शुरू किया था लेकिन वह सेवानिवृत्त हो गए। अब उन्होंने वर्तमान उप कुलपति को पत्र लिखा है। उनका कहना है कि पहले ब्रांडिंग उसके बाद पैकिंग तथा उसके बाद सोंठ का ब्रेंड नाम देना अनिवार्य है। तभी लुप्त हो रही एशिया में प्रसिद्द बैला जिंजर वैली की सौंठ को सही मार्केट मिलेगी। किसानों को अच्छा लाभ मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी।