हिमाचल में भी फैलता जा रहा साइबर ठगी का जाल ddnewsportal.com
फैलता जा रहा साइबर ठगी का जाल
एक वर्ष में 5428 शिकायतें, फाइनेंसियल फ्रॉड के 2108 मामले दर्ज, सतर्कता ही बचा सकता है आपकी जमा पूंजी।
हिमाचल प्रदेश मे साइबर ठगी का जाल फैलता जा रहा है। राज्य के भोले भाले लोग साइबर ठगी के शिकार हो रहे है। इस ठगी के मामलों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। इसका अंदाजा इसी बात से भी लगाया जा सकता है कि हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2021 साइबर पुलिस को कुल 5428 शिकायतें मिली। जिनमें फाइनेंसियल फ्रॉड के 2108 मामले दर्ज हुए हैं। सोशल नेटवर्किंग के 1731 सामने आए, जबकि 1402 मोबाइल फोन गुम होने के 187 मामले दर्ज हुए हैं। उनमें से 68 मोबाइल वापिस शिकायतकर्ता को वापिस भी दिलवाए गए। साइबर विभाग पुलिस थाना शिमला के एएसपी
नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि इस साल 54,85,426 रुपए ठगों से रिकवर करवाए गए। जिसमें 12 लाख रुपए प्रोसेस में है। ये रुपए भी जल्द ही रिकवर कर लिए जाएंगे। नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि इस साल जॉब फ्रॉड, सेक्सओटोर्शन, फेस बुक फर्जी खाता बना कर लोगों से पैसे ऐंठना, इन्शुरन्स पॉलिसी के नाम पर 4 ठगी, लॉटरी निकलने के नाम पर, ओलेक्स फ्रॉड, डीलरशिप इत्यादि मुख्य ठगी के मामले सामने आए।
एएसपी राठौर ने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण ये है कि जब आप गूगल सर्च पर वेबसाइट सर्च करते हैं तो उसमें अगर किसी ने कॉल सेंटर का मोबाइल नंबर दिया है तो उस पर बिल्कुल भी विश्वास ना करें। दूसरी बात यह क्रॉस चेक करने के बाद ही आप कोई डिटेल वेबसाइट में डालें, क्योंकि जो हमें दिखता है वह कई बार फेक होता है और फेक का पता हमें तब चलता है जब
हमारे अकाउंट से पैसे निकल जाते हैं। आपके बैंक में जो रिलेशनशिप मैनेजर है उनके जरिए ही आप ट्रांजैक्शन करें। उसके अलावा जो बैंक की असली साइट्स है या दूसरी साईट्स हैं उनमें फर्क है। सबसे पहले https वेबसाइट होनी चाहिए उसके अलावा बैंक कभी भी कोई एप्लीकेशन किसी से डाउनलोड नहीं करवाता है। वहीं वह आपसे आपका पिन नंबर मांगता और जो आपसे पिन नंबर मांगे या फिर ओटीपी मांगे तो वह 99 प्रतिशत फेक है। ओटीपी, पैन कार्ड, क्रेडिट/डेबिट कार्ड का विवरण किसी से साझा न करें। डायल 112 व राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर धोखाधड़ी की रिपोर्ट को 155260 पर कॉल करें।