Sirmour: शीघ्र जारी हो महंगाई भत्ते की लंबित किश्तें, जिलाध्यक्ष सुरेंद्र पुंडीर ने OPS को लेकर भी कही बड़ी बात... ddnewsportal.com

Sirmour: शीघ्र जारी हो महंगाई भत्ते की लंबित किश्तें, जिलाध्यक्ष सुरेंद्र पुंडीर ने OPS को लेकर भी कही बड़ी बात...
हिमाचल प्रदेश विद्यालय प्रवक्ता संघ एवं नई पेंशन योजना कर्मचारी संघ जिला सिरमौर अध्यक्ष सुरेंद्र पुंडीर ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री से शीघ्र ही कर्मचारियों की लंबित महंगाई भत्ते की किस्ते जल्द जारी करने का निवेदन किया। संघ अध्यक्ष ने जारी प्रेस बयान में कहा कि जहां केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 55% महंगाई भत्ता दिया जा रहा हैं वहीं राज्य सरकार के कर्मचारियों की महंगाई भत्ते की चार किस्तें लंबित हैं तथा केवल 42% मंहगाई भत्ते पर ही प्रदेश के कर्मचारियों को गुजारा करना पड़ रहा हैं। इसके अतिरिक्त महंगाई भत्ते एवं संशोधित वेतनमान के लंबित एरियर भी बकाया हैं।
मंहगाई भत्ते की किस्तों के जारी न होने से विशेष रूप से तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी सीधे प्रभावित हो रहे हैं। आश्चर्य हैं कि बिहार जैसे सीमित संसाधनों वाले राज्य ने भी अपने कर्मचारियों के लिए मंहगाई भत्ते की किस्त जारी कर दी हैं। प्रदेश के बजट भाषण का हवाला देते हुए पुंडीर ने कहा कि बजट में मई माह से मंहगाई भत्ते को किस्त जारी करने की घोषणा हुई थी परंतु अब मई माह का वेतन भी संबंधित आहरण एवं वितरण अधिकारियों द्वारा संबंधित कोषागार को प्रेषित किया जाना हैं परंतु अभी तक महंगाई भत्ते से संबंधित अधिसूचना जारी न होने से असमंजस की स्थिती बने हुई हैं।
दूसरी ओर संशोधित वेतनमान की दूसरी किश्त की आनन फानन में जारी की गई अव्यवहारिक अधिसूचना निरस्त होने के बाद कर्मचारी उस एरियर की अदायगी की संशोधित अधिसूचना की भी प्रतिक्षा में हैं। नई पेंशन योजना कर्मचारी संघ जिला अध्यक्ष ने प्रतिदिन समाचार पत्रों में पुरानी पेंशन के स्थान पर यू पी एस की चर्चाओं पर भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली के लिए कड़ा संघर्ष किया हैं। अतः उन्हें ओ पी एस का कोई विकल्प मंजूर नहीं। साथ ही ओ पी एस को प्रदेश पर अतिरिक्त बोझ बताने वाले विश्लेषकों की राय से असहमत होते हुए पुंडीर ने कहा कि कर्मचारियों की नियुक्ति से लेकर सेवानिवृति उपरांत तक की सभी देनदारियों के आंकलन के बाद ही किसी भी विभाग में पद सृजित किए जाते हैं। अतः कर्मचारियों की पेंशन को अचानक अतिरिक्त भार कहना किसी भी सूरत में न्यायोचित नहीं हैं।