Himachal News: NPA मसला: डाॅक्टर्स सोमवार से डेढ़ घंटे की हड़ताल पर ddnewsportal.com
Himachal News: NPA मसला: डाॅक्टर्स सोमवार से डेढ़ घंटे की हड़ताल पर
स्वास्थ्य मंत्री के साथ बैठक में नही सुलझा मामला, पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने कह दिया कुछ ऐसा...
हिमाचल प्रदेश की सुखविन्दर सिंह सुक्खू सरकार की ओर से बंद किए गए नॉन प्रैक्टिस अलाउंस (एनपीए) को बहाल करने को लेकर स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल के साथ शनिवार को हुई चिकित्सक संघ की बैठक बेनतीजा रहने से अब सोमवार से प्रदेश के चिकित्सक डेढ़ घंटे की हड़ताल करेंगे। मंत्री से मात्र आश्वासन मिलने से नाराज चिकित्सकों ने सोमवार 29 मई सुबह 9:30 से 11:00 बजे तक हड़ताल पर जाने का एलान कर दिया। मंत्री ने चिकित्सक संघ को आश्वासन दिए, लेकिन डॉक्टर एनपीए बंद करने की जारी अधिसूचना को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे। मंत्री शांडिल ने सचिवालय में सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक हिमाचल प्रदेश चिकित्सक संघ, रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन और केंद्रीय छात्र संघ के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला तो मंत्री ने कहा कि अब वह मुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर चर्चा कर पुनर्विचार करेंगे।
हालांकि उन्होंने कहा कि वित्तीय संकट के बीच कोई राज्य चलता है तो ऐसे में वित्त विभाग से इसी तरह के फैसले आते हैं। वहीं, हिमाचल प्रदेश चिकित्सक संघ के अध्यक्ष डॉ. राजेश राणा और प्रेस सचिव डॉ. विकास ठाकुर ने दो टूक कहा कि जब तक लिखित में अधिसूचना वापस नहीं होती, तब तक वे पेन डाउन स्ट्राइक जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि इस दौरान ऑपरेशन थियेटर और लेबर रूम सुचारु रूप से चलते रहेंगे।
डॉक्टरों का एनपीए बंद करना बेहद गलत निर्णय: जयराम
वहीं, पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने मंडी में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से डाॅक्टरों का एनपीए बंद करने का एलान बहुत ही गलत निर्णय है और भाजपा इसका कड़ा विरोध करेगी। प्रदेश सरकार ने डॉक्टरों का एनपीए बंद करने की अधिसूचना भी जारी कर दी और स्वास्थ्य मंत्री को इस बारे में पता भी नहीं है। प्रदेश में यह किस तरह की सरकार काम कर रही है जिसमें मंत्रियों को अपने विभाग के बारे में भी पता नहीं चल रहा है। सरकार का यह फैसला केंद्र सरकार की ओर से 1971 में जारी अधिसूचना का उल्लंघन है। इसमें कहा गया है कि डॉक्टरों का मनुष्य जीवन से सीधा संपर्क है। वहीं, ब्रेनड्रेन को रोकने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश के अधिकांश राज्यों में एनपीए दिया जाता है। इस निर्णय के पश्चात डाॅक्टरों का भविष्य ही नहीं बल्कि लोगों का जीवन भी संकट में डाल दिया है। इस निर्णय के पीछे कुछ आईएएस अधिकारी शामिल रहते हैं कि उनको हमेशा डर रहता है कि डाॅक्टर उनसे अधिक तनख्वाह न लें। उनकी सरकार ने दो मार्च 2022 में निर्णय लिया था कि डाॅक्टरों की तनख्वाह दो लाख पचीस हजार से कम और दो लाख 24 हजार से ज्यादा नहीं होगी। क्योंकि दो लाख पचीस हजार चीफ सेक्रेटरी की तनख्वाह है। एक डाॅक्टर तैयार करने में करीब साढ़े पांच साल का समय लगता है। लेकिन कुछ आईएएस अधिकारी खुद को ऐसा दिखाना चाहते है कि उनसे ज्यादा समझदार कोई नही और वही सरकार को अपने ढंग से चलायेंगे।