चल उड़ जा रे पंछी कि अब ये देस हुआ बेगाना- ddnewsportal.com

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चल उड़ जा रे पंछी कि अब ये देस हुआ बेगाना

आसन बेराज से विदेशी पक्षियों ने अपने वतन को भरी उड़ान, करीब 4 हजार पक्षी निकले वापिस

गर्मियों की दस्तक से पांवटा साहिब के आसन बेराज से विदेशी पक्षियों की रवानगी आरंभ हो चुकी है। करीब तीन-चार माह के प्रवास के बाद अब

विदेशी परिन्दे अपने अपने देशों को रवाना होने लगे है। विभाग के स्थानीय विशेषज्ञों ने भी इनके वापसी की पुष्टि की है। हालांकि इस बार भी पक्षियों की

वापसी तय समय के आसपास ही हुई है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक अब प्रवासी पक्षी आसन बेराज झील से उड़ रहे है। उड़ते उड़ते जा रहे पक्षी मानो कह रहे हो कि ‘चल उड़ जा रे पंछी कि अब ये देस हुआ बेगाना’। जानकारी

के मुताबिक इस बार विदेशी परिन्दो की तादात गत वर्ष के मुकाबले बढ़ी थी। इस बार करीब 50-60 विभिन्न प्रजातियों के करीब 5000 से अधिक विदेशी

पक्षियों ने आसन बेराज की झील मे डेरा डालकर यहां के वातावरण को अपनी चंहचाहट से गुलजार किया। पांवटा शहर से महज तीन किलो मीटर

दूर उत्तराखंड के वेटलैंड, आसन बैराज में पंहुचे भारी संख्या में विदेषी पक्षी अब वापसी कर रहे है। मौसम मे गर्माहट होते ही इनकी रवानगी हो जाती है

तथा मार्च माह के आखिरी तक सभी प्रजातियों के पक्षी वापस अपने वतन लौट जाते है। इस बार शेलडक, पिनटेल्स, रूडी, यूरेषियन, शावलर, रेड

ग्रेस्टर, पोचार्ड, डक, टफ्ड, स्पाट बिल, मोरगेन, टील, डकएकामन व पांड आदि पक्षी झील पर पंहुचे थे। यह विदेशी मेहमान पांवटा के पास यमुना नदी

में भी लोगों को नजर आए। उत्तराखण्ड प्रदेश के चकराता वन प्रभाग ने विदेशी मेहमानों की आवभगत और सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम भी किए

हुए है। बताया जा रहा है कि करीब 3 से 4 हजार पक्षी अपने वतन लौट चुके है और इनका जाना जारी है। उधर इस बारे चकराता वन प्रभाग के वन बीट

अधिकारी व पक्षी एक्सपर्ट ने बताया कि पक्षियों ने वापसी शुरु कर दी है। अनुमान के मुताबिक अभी तक करीब 3 से 4 हजार से अधिक प्रवासी व

विदेशी पक्षी अपने वतन लौट चुके है। अब ज्यादातर सुर्खाव पक्षी ही बचे हैं। उन्होने बताया कि जब तक सभी पक्षी वापिस नही लौट जाते उनकी सुरक्षा

के लिये पूरे प्रबंध जारी रहेंगे।
                                                         
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हिमाच्छादित देशों से भी आतें है पक्षी- 

आसन बैराज झील पर आने वाले प्रवासी पक्षियों मे से ज्यादातर पक्षी हिमाच्छादित पोलीआर्टिक, युरोप, मध्य ऐषिया व साईबेरिया आदि ऐसे देशों

से आकर शरण पाते हैं जहां सर्दियों के मौसम में झीलें और समुद्र जम जाते हैं। बताया जाता है कि आसन झील की पटेरा नामक घास इनके आवास और

प्रजनन के लिहाज से भी अनुकूल है। इसके अलावा विदेशी परिंदो की पसंद का हर भोजन इस झील में मौजूद रहता है। झील के आसपास का जंगल और

यहां के पक्षियों का दोस्ताना व्यवहार भी इन्हें खूब भाता है। यही कारण है कि हर साल बड़ी संख्या में यह पक्षी आसन झील का रूख करते हैं। अमूमन

दिसम्बर से जनवरी तक इन पक्षियों का आगमन चलता रहता है और मार्च माह के अंत तक सभी पक्षी वापिस अपने देशों को लौट जाते है।